3 दिसंबर को 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आए। इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की बुरी हार हुई और बीजेपी की सरकार बनी। जबकि तेलंगाना में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही। चुनाव परिणाम के साथ ही एक बार फिर से इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) गठबंधन की चर्चा तेज हो गई है।
गठबंधन की 4 महीने की खामोशी को सबसे पहले कांग्रेस की तरफ से तोड़ा गया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 6 दिसंबर को सभी 28 सहयोगी दलों की दिल्ली में बैठक बुलाई है। कांग्रेस के इस बुलावे के तुरंत बाद जदयू के नेताओं की प्रतिक्रिया आने लगी।
जदयू के महासचिव निखिल मंडल ने कहा कि I.N.D.I.A गठबंधन को अब नीतीश कुमार के अनुसार चलना चाहिए। कांग्रेस 5 राज्यों के चुनाव में व्यस्त होने की वजह से इंडिया गठबंधन पर ध्यान नहीं दे पा रही थी। अब तो कांग्रेस चुनाव भी लड़ ली, रिजल्ट भी सामने है। उन्होंने याद दिलाई कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सूत्रधार हैं और वही इस नैया को पार करा सकते हैं।
4 राज्यों के चुनाव परिणाम सामने आने के बाद फिर इसकी चर्चा तेज हो गई है कि कांग्रेस इस हार के बाद क्या नीतीश कुमार को 2024 की लड़ाई में विपक्ष के अगुआ बनाएंगी? क्या सीट शेयरिंग में क्षेत्रीय पार्टियां हावी होंगी? दैनिक भास्कर की इस खास रिपोर्ट में हमने 4 सवाल में एक्सपर्ट की मदद से बिहार के दृष्टिकोण से चुनाव के नतीजे को समझाने की कोशिश की है।
सवाल-1. 4 राज्यों के चुनाव नतीजे का बिहार पर क्या असर पड़ेगा?
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि बिहार में प्रत्यक्ष रूप से कोई असर नहीं पड़ेगा। बीजेपी के खिलाफ जो पार्टियां हैं, उनका मनोबल गिरेगा। बीजेपी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा। I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल पार्टियों के कार्यकर्ताओं में निराशा होगी। सभी ये मान कर चल रहे थे कि कम से कम दो राज्यों में कांग्रेस की जीत होगी। अब पूरा हिन्दी भाषी राज्य बीजेपी के खाते में चला गया है। ये नतीजे बीजेपी विरोधी पार्टी के लिए बड़ा सेटबैक है।
सवाल-2. I.N.D.I.A गठबंधन के सहयोगियों के लिहाज ये परिमाण कैसा रहा?
इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के लिए ये नतीजा ज्यादा निराशाजनक नहीं होंगे। बल्कि इसके बाद गठबंधन में उनकी सीटों के लेकर बारगेनिंग कैपिसिटी बढ़ेगी। कांग्रेस ने चुनावी वाले किसी भी राज्य में I.N.D.I.A में शामिल सहयोगी दलों का साथ नहीं लिया।

एमपी में तो कांग्रेस के खिलाफ सपा और जदयू जैसी पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे। सहयोगी के कहने के बाद भी किसी भी बड़े नेता से कैंपेनिंग नहीं कराई। पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि जिन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार है, वे और ज्यादा प्रभावी होंगे। उनकी अहमियत भी बढ़ेगी।
सवाल-3 क्या कांग्रेस की इस हार से गठबंधन में नीतीश कुमार का कद बढ़ेगा ?
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि इसमें कोई दोमत नहीं हैं कि बीजेपी विरोधी दलों को एकजुट करने में नीतीश कुमार की सबसे अग्रणी भूमिका रही। लेकिन गठबंधन के बाद उन्हें किनारे करने की कोशिश की गई। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर ये बातें कही कि कांग्रेस को गठबंधन में दिलचस्पी नहीं है। अब कांग्रेस ऐसा नहीं कर पाएगी। अब एक बार फिर से स्टीयरिंग क्षेत्रीय पार्टियों के हाथ में ही आएगी। हालांकि जानकार ये भी कहते हैं कि बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान नीतीश कुमार के बयान के कारण उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है।
सवाल-4 क्या विधानसभा के नतीजों का असर लोकसभा चुनाव की सीट शेयरिंग पर भी पड़ेगा
जाहिर तौर पर क्षेत्रीय पार्टियों के पास अब अपर हैंड होगा। बिहार में कांग्रेस 10 सीटों पर दावा कर रही थी, लेकिन अब वे क्षेत्रीय दलों के सहयोग से यहां अपना वजूद बचाने की कोशिश करेगी। अखिलेश यादव पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे यूपी में 65 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। बंगाल में ममता भी अब पीछे नहीं हटेगी।