मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में BJP ने दो बड़े दांव चले। मुख्यमंत्री का नाम प्रोजेक्ट करने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ना और सांसदों को अपने असर वाली सीटों पर जीत-हार के लिए जिम्मेदार बनाना। तीनों राज्यों में 4 केंद्रीय मंत्रियों समेत कुल 18 सांसदों को सीधे विधानसभा चुनाव में उतारना इसी रणनीति का हिस्सा था।
तीनों राज्यों में PM मोदी ने 42 जिलों में अपनी रैलियों से करीब 250 विधानसभा सीटें कवर कीं। यहां उनकी जीत का स्ट्राइक रेट 67% है। खास बात ये है कि इन इलाकों में BJP ने 76 नई सीटें जीती हैं। इसी तरह अगर ये लोकसभा चुनाव होते तो BJP के 61 सांसदों में से 45 जीत जाते।
BJP की इन दोनों प्रमुख स्ट्रैटजी का सीट वाइज एनालिसिस…
1. राजस्थान, MP और छत्तीसगढ़ में PM की रैलियां कितनी सफल रहीं
नरेंद्र मोदी ने अगस्त से चुनाव तक कुल 42 जिलों में चुनावी रैली या कार्यक्रम किए। इन रैलियों से प्रधानमंत्री ने करीब 250 विधानसभा सीटों को कवर किया।
राजस्थान में PM की रैलियों का प्रभाव 119 सीटों पर रहा। इनमें से 41 सीटें ही BJP के पास पहले से थीं। इस बार यहां BJP को 74 सीटें मिली हैं। यानी पिछली बार से 33 सीटें ज्यादा।
मध्य प्रदेश में जिन 93 विधानसभा सीटों पर PM मोदी की रैलियों का प्रभाव रहा, उनमें से 46 सीटें ही BJP के पास थीं। इस बार BJP को यहां 70 सीटों पर जीत मिली हैं। यानी मोदी की रैलियों की वजह से BJP को मध्य प्रदेश में 24 नई सीटों पर जीत मिली है।
छत्तीसगढ़ में PM की रैलियों की प्रभाव वाली 38 सीटों में से केवल 6 सीटें ही BJP के पास थीं। इस बार BJP की सीटें बढ़कर 25 हो गईं। यानी पुरानी सीटों को रीटेन करने के साथ ही 19 और सीटें BJP को मिलीं।
अब BJPकी दूसरी प्रमुख स्ट्रैटजी का एनालिसिस…
2. अगर ये लोकसभा चुनाव होते तो 61 में से कितने सांसद जीत जाते
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में BJP के कुल 61 सांसद हैं। इनमें से 18 सांसदों को BJP ने सीधे तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ाया। इसके अलावा सभी सांसदों को अपने लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभाओं को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी। अगर ये लोकसभा चुनाव होते तो 61 में से 45 BJP सांसद अपनी सीटें जीतने में कामयाब होते, लेकिन 16 सांसद हार जाते।
विधानसभा नतीजों के आधार पर सांसदों की जीत या हार परखने के लिए हमने एक फॉर्मूला बनाया है…
- किसी लोकसभा क्षेत्र में मौजूद आधी से ज्यादा विधानसभा सीटें जीतने वाली पार्टी को उस लोकसभा क्षेत्र में जीता हुआ मान लिया है।
- अगर दोनों पार्टियां बराबर सीटें जीत रही हैं, तो जिस पार्टी को ज्यादा वोट मिले, उसे जीता माना गया है।
- अगर विधानसभा सीटों में कोई तीसरी पार्टी या निर्दलीय भी जीत रहा है, तो जिस पार्टी को ज्यादा वोट मिले, उसे जीता माना गया है।