बिहार सरकार ने 16वें वित्त आयोग से 1 लाख 59 हजार करोड़ का अनुदान मांगा है। इस राशि का उपयोग ढांचागत विकास, उद्योगों की स्थापना और कल्याणकारी योजनाओं पर होगा। इन उपायों से गरीबी दूर करने में सहायता मिलगी। डिप्टी सीएम सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने पटना में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ अरविंद पनगढ़िया के साथ उच्चस्तरीय बैठक में विशेष वित्तीय सहायता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के लिए 24206.68 करोड़, शहरी निकायों के लिए 35025.77 करोड़ एवं विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए 1,00,079 करोड़ रुपए का अनुदान मिलना चाहिए । केंद्रीय करों की शुद्ध आय का कम से कम 50 प्रतिशत एवं सेस और सरचार्ज से होने वाली आय को भी राज्यों के साथ साझा करना चाहिए। सीमित राजकोषीय क्षमता को देखते हुए विकास की चुनौतियों से निपटने के लिए अलग से वित्तीय प्रावधान होने चाहिए।
उपमुख्यमंत्री–सह–वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने 16वें वित्त आयोग की टीम के साथ उच्चस्तरीय बैठक में कहा कि ढांचागत विकास‚ उद्योगों की स्थापना और कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से गरीबी दूर करने की गति तेज करने के लिए बिहार को लगभग १ लाख ५९ हजार करोड का अनुदान मिलना चाहिए। उन्होंने बिहार के लिए विशेष वित्तीय सहायता की आवश्यकता पर जोर दिया। चौधरी ने वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढिया और उनकी टीम का स्वागत करते हुए राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन‚ चुनौतियों और अपेक्षाओं की चर्चा करते हुए आयोग से अनुरोध किया कि हमारी पंचायती राज संस्थाओं को सुदृढ करने के लिए २४२०६.६८ करोड और शहरी निकायों के विकास के लिए ३५०२५.७७ करोड रुपये का अनुदान मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार की विशिष्ट आवश्यकताओं और विभिन्न क्षेत्रों के विकास हेतु १‚००‚०७९ करोड रुपये का अनुदान उपलब्ध कराया जाना चाहिए। चौधरी ने कहा कि केंद्रीय करों की शुद्ध आय का कम से कम ५० प्रतिशत राज्य सरकारों को आवंटित किया जाए। सेस और सरचार्ज से होने वाली केंद्र सरकार की आय को भी राज्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए। चौधरी ने कहा कि सीमित राजकोषीय क्षमता को देखते हुए विकास की चुनौतियों से निपटने के लिए अलग से वित्तीय प्रावधान किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार विस्तृत विचार–विमर्श के बाद जल्द ही वित्त आयोग को अपनी अपेक्षाओं के बारे में ज्ञापन सौंपेगी।
16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढिया ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशकों में उच्च आर्थिक विकास दर को बनाये रखा है। विभिन्न सामाजिक–आर्थिक विकास संकेतकों में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज किया है। इसके बावजूद विभिन्न संकेतकों में राष्ट्रीय औसत को प्राप्त करने के लिए और प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। पनगढिया ने बिहार की मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया।
डॉ. पनगढिया ने गुरुवार को यहां एक होटल में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्यों को केंद्र सरकार से वित्तीय संसाधन के हस्तांतरण के लिए अधिक से अधिक फार्मूला–आधारित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। सीमित राजकोषीय संसाधनों वाले राज्यों पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए अनुदान–संबंधी व्यय के लिए अपने हिस्से से वित्तीय योगदान करने की आवश्यकता को नहीं रखा जाए।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सेस और सरचार्ज के माध्यम से राजस्व संग्रह में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। चूंकि‚ यह राजस्व राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है‚ इसलिए सेस और सरचार्ज से बढते राजस्व संग्रह को अक्सर राज्य सरकारों के राजस्व की हानि के रूप में देखा जाता है। इसलिए वर्तमान वित्त आयोग से अपेक्षा है कि सेस और सरचार्ज को विभाज्य पूल में शामिल करने की अनुशंसा करे। वित्त आयोग ऐसी अनुशंसा करे जिससे राज्य सरकारों पर अतिरिक्त वित्तीय शर्तं लगाए बिना स्थानीय निकायों को उनके कामकाज को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन आवंटित हो सके। सीमित वित्तीय संसाधनों वाले राज्य के लिए अक्सर सशर्त वित्तपोषण की मांगों को पूरा करना कठिन होता है।
राज्य की विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लिए तत्काल वित्तीय सहायता के लिए वित्त आयोग से १‚००‚०७९ करोड रुपये अनुदान की मांग की गई है। विशेष रूप से‚ राज्य में क्लाइमेट रेसिलिएंट कृषि प्रथाओं की तैयारियों के लिए ७०३.०३ करोड रुपये अनुदान मांगा गया है। पिछले वित्त आयोग ने राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन हेतु आवंटन के लिए केंद्र और राज्यों के बीच ७५ः२५ के अंशदान अनुपात की सिफारिश की थी। बिहार को पूर्वोतर और हिमालयी राज्यों के लिए किये गए प्रावधानों के समान केवल १० प्रतिशत अंशदान करने की व्यवस्था की जाए।
आपदा प्रबंधन जटिल कार्य है‚ और पूरे देश में समान रूप से सख्त दिशा–निर्देशों का पालन करना हमेशा संभव नहीं होता है। अतः‚ वित्त आयोग से अनुरोध है कि ऐसे प्रावधान किये जाए जिससे कि प्रत्येक राज्य के भीतर बदलती स्थानीय परिस्थितियों को समायोजित करने के लिए दिशा–निर्देशों में पर्याप्त लचीलापन रखा जा सके। संवाददाता सम्मेलन में १६वें वित्त आयोग के सदस्य अजय नारायण झा‚ एनी जार्ज मैथ्यू डा. मनोज पांडा‚ डा. शौम्य कांति घोष‚ ऋतिक रंजन पाण्डे समेत कई अधिकारी मौजूद थे।
१६वें वित्त आयोग की टीम इन दिनों बिहार के दौरे पर है। इसके समक्ष राज्य सरकार ने अपनी वित्तीय जरूरतों को रखा। राज्य सरकार की विशेष मांग है कि गरीबी के स्थान पर बहुआयामी गरीबी अवधारणा (एमपीआई) को शामिल किया जाए। इससे बिहार को मिलने वाले केंद्रीय करों में हिस्सेदारी में बढोतरी के आसार बढ जाएंगे। आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढिया अपनी चार सदस्यीय टीम के साथ इन दिनों बिहार के दौरे पर हैं।
केंद्रीय कर के पुल से वर्तमान में राज्य को करीब ४१. ५ फीसद राशि बतौर केंद्रीय सहायता मिलती है। इसे बढाकर ५० फीसद करने की सिफारिश राज्य सरकार ने वित्त आयोग से की है। हालांकि इस पर अभी आयोग के स्तर से स्पष्ट रूप से कोई सहमति नहीं मिली है। राज्य सरकार ने १६वें वित्त आयोग से पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने के लिए २४‚२०६ करोड रुपये तथा शहरी निकायों के विकास के लिए ३५‚०२५ करोड रुपये का अनुदान मांगा है। विभिन्न क्षेत्रों के लिए तत्काल वित्तीय सहायता के लिए वित्त आयोग से १ लाख ७९ करोड रुपये के अनुदान की मांग की है। मौसम अनुकूलन कृषि प्रथाओं की तैयारियों के लिए ७०३ करोड रुपये का अनुदान मांगा गया है।
केंद्र सरकार की तरफ से सेस और सरचार्ज के माध्यम से राजस्व संग्रह में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस आमदनी को केंद्र सरकार अब तक केंद्रीय टैक्स पुल से राज्यों को मिलने वाली हिस्सेदारी में शामिल नहीं करती है‚ लेकिन अब इस राशि को भी केंद्रीय अंशदान में शामिल करने की मांग की गई है। राज्य की रोजकोषीय क्षमता बढाने के लिए १६वें वित्त आयोग से विशेष वित्तीय प्रावधान करने की अपेक्षा की गई है। बिहार को जैविक कटोरा बनाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए ४०३ करोड रुपये का अतिरिक्त अनुदान मांगा गया है। राज्य की नहर प्रणाली को विकसित करने के लिए १३‚८०० करोड रुपये का अनुदान मांगा गया है। सूक्ष्म सिंचाई बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए ३‚५७७ करोड रुपये का अनुदान मांगा गया है।
बिहार में हरित आवरण बढाने के लिए विशेष पहल करने की आवश्यकता है। साथ ही नहर प्रणाली विकसित करने के लिए १३‚८०० करोड रुपये के अनुदान की मांग की गई है। सिंचाई बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ३‚५७७ करोड रुपये के अनुदान की मांग की गई है। केंद्र सरकार से वर्तमान में चयनित महत्वाकांक्षी जिलों और प्रखंडों को सहायता प्रदान करने के लिए १३‚५०० करोड रुपये का वित्तीय अनुदान मांगा गया है। शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए १८‚५३२ करोड रुपये तथा राज्य में विश्व स्तरीय फिल्म सिटी की स्थापना के लिए २०० करोड रुपये का अनुदान मांगा गया है। पिछले वित्तीय आयोग ने राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए केंद्र और राज्यों के बीच ७५ और २५ फीसद अंशदान अनुपात की व्यवस्था है। इसमें बदलाव करते हुए पूर्वोतर और हिमालयी राज्यों की तर्ज पर १० फीसद अंशदान करने की व्यवस्था करने की मांग की गई है।