चैंपियंस ट्रॉफी लेकर हमारे चैंपियन क्रिकेटर स्वदेश लौट आए हैं। मुंबई एयरपोर्ट पर खिलाडियों का शानदार स्वागत हुआ। देश भर में चैंपियंस की वाहवाही हो रही है, लेकिन हैरानी की बात है कि मध्य प्रदेश के महू में ट्रॉफी जीतने के कुछ ही मिनट बाद दंगा हुआ। कई दुकान, गाड़ियां फूंक दी गई, पथराव हुआ। महू में क्रिकेट फैन्स ने तिरंगा लेकर विजय जुलूस निकाला था, आतिशबाजी की थी, ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ के नारे लगा कर सड़कों पर निकले थे। लेकिन जामा मस्जिद रोड पर अचानक माहौल बदला। मस्जिद में तरावीह नमाज़ का वक्त था। कुछ लोग मस्जिद से निकले और जुलूस को वापस लौटने को कहा। मारपीट, पत्थरबाज़ी शुरू हुई। पथराव करने वाले पूरी तैयारी के साथ आए थे। उनके हाथों में पत्थर और डंडे थे, मुंह पर कपड़ा बंधा हुआ था, दंगाइयों ने पेट्रोल बम फेंके। सड़क पर खड़ी बाइक्स को जलाया, दुकानों और वाहनों को आग के हवाले किया। मुझे नहीं लगता कि महू में ये हिंसा इसीलिए हुई कि टीम इंडिया की जीत से किसी को मिर्ची लगी। चैंपियंस ट्रॉफी का जश्न तो बहाना था। महू में टकराव का माहौल पहले से बनाया गया था और इसमें दोष किसी एक पक्ष का नहीं है। जीत का जश्न मनाने वाले ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे। ये बात मस्जिद में मौजूद लोगों को बुरी लगी। उन्होंने इसे अपनी तौहीन समझा। नाराज हो गए, भीड़ इकट्ठी की और हिंदुओं पर हमला कर दिया। भावनाओं से भड़की हुई भीड़ जब दंगा करती है तो वो बेकाबू हो जाती है। फिर कोई उसे रोक नहीं पाता। इसीलिए लोग घायल हुए, दुकानें जलीं, गाड़ियां फूंक दी गईं। फिर दूसरे पक्ष ने भी जवाब देने की कोशिश की। अच्छी बात ये कि पुलिस ने समझदारी से काम लिया। बात को बढ़ने नहीं दिया। हिंदुओं को टकराव करने से रोका और दोनों तरफ के लोगों को शांत किया।
मैं महू के लोगों को जानता हूं। यहां ज्यादातर लोग शांति से रहना चाहते हैं पर गिने-चुने लोग ऐसे हैं जिनकी दुकान दंगों से चलती है। ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है। अलग-थलग करने की जरूरत है। अब टीम इंडिया भारत लौट आई है तो महू में भी सबको मिलकर खिलाडियों का स्वागत करना चाहिए। जीत का जश्न सबको मिलकर मनाना चाहिए। कुछ दिन पहले तक जो लोग टीम इंडिया के खिलाडियों को निशाना बना रहे थे, चैंपियन्स ट्रॉफी जीतने के बाद वो भी तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने कैप्टन रोहित शर्मा को मोटा और सबसे Un-Impressive कैप्टन बताया था लेकिन जीत के बाद टीम इंडिया को उन्होंने बधाई दी, खासतौर पर रोहित शर्मा की 76 रनों की शानदार पारी की तारीफ की। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने तो चैंपियन्स ट्रॉफी में मैच के दौरान रोज़ा न रखने पर मोहम्मद शमी को जमकर कोसा था, इस्लाम से खारिज करने की बात कही थी लेकिन उन्हीं मौलाना ने मोहम्मद शमी को देश का नाम ऊंचा करने वाला बताया, और कहा कि टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया, अब मोहम्मद शमी जब घर लौटें तो रमजान के दौरान जो रोज़े छूट गए हैं उनकी भरपाई कर लें। सोशल मीडिया पर बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो टीम इंडिया में हिंदू और मुसलमान देखते हैं। किसी प्लेयर में ब्राह्मण, तो किसी में सिख नजर आता है। ऐसे विभाजनकारी लोगों का बायकॉट करना चाहिए। उन्हें वो तस्वीर दिखानी चाहिए, जब जीत के बाद विराट कोहली ने मोहम्मद शमी की मां के पैर छुए। उन्हें वो तस्वीर दिखानी चाहिए जब ऋषभ पंत ने शुभमन गिल के पिता के साथ डांस किया। उन्हें वो तस्वीर भी दिखानी चाहिए जब सुनील गावस्कर झूमकर नाच उठे। जैसे शमा मोहम्मद ने रोहित की तारीफ की, जैसे मौलाना बरेलवी शमी के मामले में पलट गए, वैसे ही अगर किसी के मन में दुर्भावना है, तो उसे भूलकर जीत का जश्न मनाना चाहिए। अगर किसी को पुरानी दुश्मनी मिटाने का बहाना चाहिए, तो चार दिन बाद होली का त्योहार है। इस बार की होली पर सबको मिलकर चैंपियंस ट्रॉफी की जीत को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाना चाहिए।