मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। विपक्ष उनको हटाने के लिए महाभियोग ला रहा है। मोइज्जू को राष्ट्रपति की कुर्सी संभाले महज तीन महीने ही हुए हैं कि विपक्ष ने उन्हें हटाने में जुट गया है। देश के मुख्य विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और डेमोक्रेट ने महाभियोग प्रस्ताव के लिए जरूरी संख्या में सांसदों के हस्ताक्षर जुटा लिए हैं। 87 सदस्यीय संसद में अकेले एमडीपी को बहुमत है।
आइये जानते हैं मालदीव में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग को लेकर क्या हो रहा है? आखिर महाभियोग कैसे लाया जाता है? यहां की संसद में सियासी समीकरण किसके पक्ष में हैं? भारत के खिलाफ क्यों हैं मालदीव के राष्ट्रपति?
मालदीव में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग को लेकर क्या हो रहा है?
मालदीवियन राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू की कुर्सी खतरे में है। दरअसल, यहां की मुख्य विपक्षी एमडीपी राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू की हटाने की तैयारी में है। इसके लिए एमडीपी ने संसद में महाभियोग प्रस्ताव प्रस्तुत करने की प्रक्रिया शुरू की है।
जानकारी के अनुसार, एमडीपी ने महाभियोग प्रस्ताव के लिए पर्याप्त हस्ताक्षर जुटा लिए हैं। एमडीपी के एक सांसद ने सोमवार को बताया कि एमडीपी ने डेमोक्रेट के साथ मिलकर महाभियोग प्रस्ताव के लिए पर्याप्त हस्ताक्षर जुटा लिए हैं। प्रस्ताव 23 सांसदों के समर्थन के साथ प्रस्तुत किया जाना है। हालांकि, उन्होंने अभी तक इसे जमा नहीं किया है।
मोइज्जू के खिलाफ क्यों लाया जा रहा महाभियोग प्रस्ताव?
दरअसल, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू ने हाल ही में चीन का दौरा किया था। यहांं से लौटने के बाद मोइज्जू ने लगातार भारत के खिलाफ बयानबाजी की है। एमडीपी समेत देश के अन्य विपक्षी दल मोइज्जू पर भारत से माफी मांगने का दबाव बना रहे हैं। एमडीपी पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह की पार्टी है जो भारत समर्थक माने जाते हैं।
एक अन्य विपक्षी दल जूमहूरे पार्टी के नेता कासिम इब्राहिम ने कहा है कि चीन दौरे से लौटने के बाद मोइज्जू ने जिस तरह भारत के खिलाफ अप्रत्यक्ष जुबानी हमले किए हैं वे अस्वीकार्य हैं और निश्चित रूप से इसके लिए उन्हें भारत से माफी मांगनी होगी। मोइज्जू के खिलाफ तैयारी में जुटी एमडीपी से जुड़े सूत्रों ने दावा किया है कि अगर मोइज्जू माफी नहीं मांगते हैं, तो उन्हें पद खोना पड़ेगा।
आखिर महाभियोग कैसे लाया जाता है?
2008 के मालदीवियन संविधान में महाभियोग के जरिए किसी भी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति को अपदस्थ करने की प्रक्रिया का जिक्र है। संविधान में कहा गया है कि संसद के एक तिहाई सदस्यों द्वारा कारण सहित महाभियोग प्रस्ताव प्रस्तुत करना चाहिए। वहीं महाभियोग प्रस्ताव को संसद किए कुल संख्याबल का दो तिहाई का समर्थन हासिल होना चाहिए।
यहां की संसद में सियासी समीकरण किसके पक्ष में हैं?
मालदीव की संसद में कुल 87 सदस्य हैं। एमडीपी और डेमोक्रेट को मिलाकर 56 सांसद हैं। इनमें 43 सांसद एमडीपी और 13 डेमोक्रेट के हैं। वहीं मोइज्जू के पास महज 15 सदस्यों का ही समर्थन है। संविधान और संसद के स्थायी आदेशों के मुताबिक, 56 मतों के साथ राष्ट्रपति के खिलाफ लगाया जा सकता है। इससे साफ हो जाता है कि अगर मोइज्जू विपक्ष की मांग नहीं मानते तो उनकी कुर्सी जानी तय है।
भारत के खिलाफ क्यों हैं मालदीव के राष्ट्रपति?
पिछले साल सितंबर में मालदीव में आम चुनाव हुए थे। इस दौरान मुइज्जू की पार्टी ने भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए चुनाव में ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाया था। मोइज्जू ने खुद चुनाव में ‘इंडिया आउट’ लिखी टी शर्ट पहन कर चुनाव प्रचार किया था।
उनका चुनावी वादा था कि अगर चुनाव में जीते तो भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़कर जाने को कहा जाएगा। चीन समर्थक मुइज्जू ने राष्ट्रपति का पदभार संभालने के दूसरे दिन ही आधिकारिक तौर पर भारत सरकार से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध किया।
इसके बाद लक्षद्वीप के मुद्दे पर भी भारत और मालदीव के रिश्तों में तनाव देखने को मिला था। मालदीव के सांसदों ने ही अपनी सरकार के भारत विरोधी रुख की आलोचना की थी। भारत समर्थक एमडीपी ने कहा था कि मोइज्जू की विदेश नीति से देश के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। विपक्ष चाहता है कि सरकार सभी देशों के साथ मिलकर काम करे, जिससे मालदीव के लोगों को फायदा मिले।
वहीं हालिया चीन दौरे के बाद मालदीव के राष्ट्रपति मोइज्जू के तेवर और भी सख्त दिखे। उन्होंने भारत का नाम लिए बिना कहा था, ‘मालदीव किसी खास देश का आंगन नहीं है और कोई भी उसे धमका नहीं सकता है। भारत से घटिया गुणवत्ता की दवाओं के बजाय यूरोप और अमेरिका से दवाएं मंगाएंगे।’ उनके इन बयानों पर विपक्षी नेताओं ने जोरदार हमला बोला था।