देश के कई राज्यों में इस वक्त प्रवर्तन निदेशालय (एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट) ज़बरदस्त एक्शन में है। जमीन के बदले नौकरी के मामले में ईडी पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से पूछताछ कर रही है. ऐसे में अपने भाई को मुसीबत में देख तेज प्रताप यादव भी ईडी ऑफिस के बाहर बैठे हुए हैं. साथ में आरजेडी सांसद मनोज झा भी मौजूद हैं. तेजस्वी यादव से मिलने के लिए मीसा भारती ईडी दफ्तर पहुंचीं. हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने मिलने से रोका है. तेजस्वी से पूछताछ जारी है. आरजेडी सांसद और तेजस्वी यादव की बहन मीसा भारती ने कहा, “पूछताछ (तेजस्वी यादव से) जारी है, हमें अंदर (ईडी कार्यालय) से कोई जानकारी नहीं मिल रही है…आरजेडी परिवार, उनके समर्थक और बिहार के लोग लालू जी के लिए बहुत चिंतित थे। वह बूढ़े और बीमार हैं, उन्हें 10 घंटे तक कार्यालय में बैठाया गया। यह सही नहीं था…मुझे नहीं लगता कि पीएम दबाव में हैं, वह डरे हुए हैं और 2024 के चुनावों को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं हैं क्योंकि उन्होंने कोई विकास कार्य नहीं किया है। इसलिए एजेंसियों की मदद से सभी विपक्षी नेताओं को डराने की कोशिश की जा रही है…आप देख सकते हैं कि हमारे पड़ोसी राज्य झारखंड में क्या हो रहा है…मुझे संदेह है कि केंद्र सरकार झारखंड में भी वही खेल खेल रही है जो वह बिहार में खेल रही है.
कल दिल्ली में हेमंत सोरेन के घर में सोमवार को दिनभर ED की टीम उनका इंतजार करती रही। हेमंत सोरेन एक चार्टर्ड विमान में दिल्ली आए थे और उन्हें शाम को उसी विमान से रांची लौटना था। लेकिन मुख्यमंत्री रहस्यपूर्ण तरीके से गायब हो गए। वह न रांची में थे, न दिल्ली में मिले। मुख्यमंत्री के कार्यालय से ईमेल करके ED को बताया गया कि मुख्यमंत्री 31 जनवरी को रांची में पूछताछ के लिए पेश होंगे। लेकिन मंगलवार को रांची में हेमंत सोरेन अचानक नज़र आए, और उन्होंने अपने विधायकों के साथ बैठक की, जिसमें उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और भाई बसन्त सोरेन मौजूद थे। उधर सोमवार को लालू यादव पटना में ED के दफ्तर पहुंचे। उनसे नौकरी के बदले ज़मीन घोटाले को लेकर तकरीबन 10 घंटे तक पूछताछ हुई। पूछताछ के समय लालू यादव को अन्दर भोजन और दवाएं भिजवाई गई, क्य़ोंकि गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद से उनका स्वास्थ्य़ अभी अच्छा नहीं चल रहा है। इधर दिल्ली में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्ड़ा से मानेसर ज़मीन सौदे को लेकर पूछताछ हुई। मुंबई में उद्धव ठाकरे की शिव सेना के विधायक और पूर्व मंत्री रविन्द्र वायकर से जमीन घोटाले में पूछताछ हुई। पंजाब में बीजेपी के पूर्व विधायक अरविन्द खन्ना को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में ED ने पूछताछ का समन भेजा है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा रही हेमंत सोरेन के गायब होने की और लालू यादव के पेश होने की। हेमंत सोरेन की पार्टी ने इल्जाम लगाया है कि ED उन जमीनों के बारे में आरोप लगा रही है, सवाल पूछ रही है, जो जमीनें सरकारी हैं, बिक ही नहीं सकती। इसके अलावा जिस घर के बारे में सवाल पूछे जा रहे हैं, वह हेमंत सोरेन की पत्नी के नाम है, जिसका पूरा ब्यौरा सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है, इसलिए ED का एक्शन राजनीति से प्रेरित है, विरोधी दलों के नेताओं को परेशान करने की कोशिश की जा रही है। लालू से पूछताछ पर भी उनकी बेटी मीसा भारती ने यही इल्जाम लगाया। कहा, ये सब बीजेपी की साजिश है। विपक्ष के नेता चुनाव प्रचार न कर पाएं, इसलिए ED के जरिए उन्हें व्यस्त रखने की कोशिश की जा रही है। लालू की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य ने कहा कि उनके पिता की तबियत ठीक नहीं है,अगर उन्हें कुछ होता है, तो उनसे बुरा कोई नहीं होगा। कुल मिलाकर ED के एक्शन से विरोधी दलों के नेताओं में, पार्टियों में खलबली है, लेकिन सबसे हैरान करने वाला रवैया तो हेमंत सोरेन का रहा।
ED की टीम हेमंत सोरेन को कुल दस समन भेज चुकी है। वो आठवें समन के बाद पूछताछ के लिए राजी हुए थे। ED की टीम ने रांची में उनके घर जाकर पूछताछ की थी। इसके बाद फिर 27 जनवरी को पेश होने को कहा था। हेमंत सोरेन पेश नहीं हुए तो दसवां समन भेजा गया। 29 से 31 तारीख के बीच पेश होने को कहा गया। ED ने साथ ही ये भी कहा था कि अगर हेमंत सोरेन नहीं पहुंचे तो ED की टीम खुद उनसे पूछताछ करने आएगी। हेमंत सोरेन जानते हैं कि इस बार ED की टीम 31 जनवरी का इंतजार नहीं करेगी। इसलिए वो दिल्ली आए और गायब हो गए। ED की टीम घरों की तलाशी लेती रही लेकिन हेमंत सोरेन नहीं मिले। हेमंत सोरेन को समझ में आ गया है कि उनकी गिरफ्तारी हो सकती है और केस ऐसा है कि अगर वो गिरफ्तार हुए तो जमानत नहीं मिलेगी और सरकार भी जाएगी। इसीलिए हेमंत सोरेन अचानक गायब हो गए। हालांकि ये तो सिर्फ एक मामला है। हेमंत सोरेन के खिलाफ और भी कई मामलों में जांच हो रही है। उनकी 82 संपत्तियों के बारे में लोकायुकत ने हेमंत सोरेन से जबाव मांगा है। चूंकि हेमंत सोरेन अब तक इस मामले में जबाव देने से बच रहे हैं, इसलिए लोकायुक्त ने उन्हें 15 दिन की मोहलत दी है और साफ साफ कह दिया कि ये आखिरी मौका है। अगर 15 दिन में जबाव नहीं दिया तो लोकायुक्त उनके खिलाफ एक्शन लेगा। हेमंत सोरेन की पार्टी के लोग कहेंगे कि ये सब चुनाव को देखते हुए हो रहा है। उन्हें परेशान करने की कोशिश की जा रही है लेकिन ये सब कहने से काम नहीं चलेगा, जवाब देना पड़ेगा, हेमंत सोरेन को इस मामले में लालू यादव से सीखना चाहिए। लालू को ED ने बुलाया और लालू पहुंच गए। जमीन के बदले नौकरी घोटाले के केस में लालू यादव सुबह ग्यारह बजे ED के दफ्तर पहुंच गए और तकरीबन 10 घंटे बाद रात को बाहर निकले। ये केस उस वक्त का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे। इल्जाम ये है कि लालू के कार्यकाल में रेलवे में चौथी श्रेणी की नियुक्तियों के बदले रिश्वत में उम्मीदवारों की जमीनें लालू यादव और उनके परिवार के नाम की गई थी। इस केस में लालू के अलावा राबड़ी देवी, मीसा भारती और तेजस्वी यादव भी आरोपी हैं। तेजस्वी से मंगलवार को पूछताछ हुई, उसके बाद राबड़ी देवी और उनकी बेटियों से पूछताछ होगी।
ये सही है कि लालू यादव की सेहत साथ नहीं दे रही है, वो लंबे वक्त से बीमार हैं, इसलिए लोगों की सहानुभूति लालू यादव के साथ हैं। लेकिन जांच एजेंसियों की अपनी मजबूरी है। अदालत में चार्जशीट फाइल हो चुकी है और अगर केस को मजबूत बनाना है, अंजाम तक पहुंचाना है, तो पूछताछ करनी पड़ेगी। लेकिन मुझे लगता है कि अगर लालू से पूछताछ उनके घर पर हो सकती है या बार बार बुलाने के बजाए उनसे एक बार में पूछताछ खत्म हो सकती है, तो ये बेहतर रहेगा। लालू यादव ने अब तक जांच में सहयोग किया है, बार बार अदालत में पेश हुए हैं। ED ने जब भी बुलाया, वो गए हैं, इसे ध्यान में रखना चाहिए, लेकिन एक तरफ लालू से पूछताछ हो रही है और दूसरी तरफ बिहार में नीतीश बाबू की नई सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। पटना में लगे पोस्टर्स बदल गए। मुख्यमंत्री आवास के सामने तेजस्वी और नीतीश कुमार की तस्वीरें वाले जो पोस्टर्स बैनर्स लगे थे, उन पर तेजस्वी के फोटो को अख़बार चिपका कर छुपाया गया। कई जगहों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ नीतीश कुमार के पोस्टर लगा दिए गए।
स्पीकर अवध बिहारी चौधरी RJD के विधायक हैं, लालू के करीबी हैं, इसलिए सबसे पहला काम अवध बिहारी की जगह किसी और को स्पीकर बनाने का होगा। बीजेपी की तरफ से स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया गया है। बिहार में नीतीश कुमार ने जो किय़ा, उसके कारण विरोधी दलों के नेता इस जख्म के दर्द से अभी भी कराह रहे हैं। चूंकि सोमवार को ही राहुल गांधी की न्याय यात्रा बिहार पहुंची, इसलिए कांग्रेस के नेताओं के मन में टीस ज्यादा गहरी है। रविवार से मैं राजनीति के बड़े बड़े महारथियों के बयान देख रहा हूं। नीतीश कुमार ने सबको चक्कर में डाल दिया है। शरद पवार, मल्लिकार्जुन खरगे, लालू यादव सब अपने आपको सियासत की दुनिया का चतुर, चालाक खिलाड़ी मानते हैं। पर नीतीश बाबू ने ऐसी पलटी मारी कि सबको चारों खाने चित कर दिया। लालू तो आखिरी दिन तक नीतीश को फोन करते रहे, उन्हें भनक भी नहीं लगी कि कब नीतीश ने उनके बेटे के नीचे से कुर्सी खींच ली। बीजेपी के नेता सम्राट चौधरी भी चकरा गए कि नीतीश कुमार कब और कैसे उनके नेता बन गए। शरद पवार तो नीतीश को इंडी अलायन्स का संयोजक बनाने की मुहिम में लगे थे पर नीतीश कुमार ने पूरे के पूरे अलायन्स को ही छिन्न-भिन्न कर दिया। नीतीश कुमार क्या चमत्कार करने वाले हैं, इसकी सही जानकारी सिर्फ पटना के रिपोर्टर्स को थी। मैं इन पत्रकारों की प्रसंशा करूंगा जिन्होंने उड़ती चिड़िया के पंख गिन लिए। मीडिया के सिपाही सही साबित हुए और राजनीति के महारथी ताकते रह गए। अब इन लोगों को ये कहना बंद कर देना चाहिए कि टीवी चैनल्स इधर उधर की खबरें दिखाते हैं। ललन सिंह से लेकर नीतीश कुमार तक हर मसले पर बिहार के रिपोर्टर्स की एक-एक खबर सही साबित हुई।