लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर एक बार फिर से प्रदेश की सियासत में प्रासंगिक हो गए हैं। सभी पार्टियां उन्हें अपना बताने की कोशिश में जुट गई है। आलम यह है कि कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर सत्ताधारी जेडीयू और आरजेडी दोनों अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कर रही है।
इधर, बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान के बाद बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर के बड़े बेटे और जदयू राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर को फोन पर बधाई दी है।
रामनाथ ठाकुर ने बताया कि आज सुबह 7.30 बजे पीएम का फोन आया था। उन्होंने बधाई दी है। इसके साथ ही उन्हें 27 जनवरी को दिल्ली बुलाया गया है। रामनाथ ठाकुर ने कहा कि मैंने भी पीएम को इसके लिए बधाई दी है। कोई राजनीतिक बात नहीं हुई है।
जेडीयू-आरजेडी की तैयारी: जेडीयू की तरफ से जहां वेटनरी ग्राउंड में मेगा रैली का आयोजन किया गया है। वहीं आरजेडी श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में कार्यक्रम आयोजित कर रही है। जेडीयू एमएलसी संजय गांधी ने दावा किया है कि वेटनवरी ग्राउंड में आयोजित रैली में 2 लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे।
इधर, आरजेडी की तरफ से भी बड़ी भीड़ जुटाने का दावा किया जा रहा है। जबकि, बीजेपी खुद को कर्पूरी ठाकुर का सबसे बड़ा हितैषी मान रही है। पार्टी की तरफ से भी उनकी 100वीं जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले, उपेंद्र कुशवाहा की रालोजद और प्रशांत किशोर के जनसुराज ने भी कर्पूरी जंयती का आयोजन किया।

पीएम मोदी ने मंगलवार को कर्पूरी ठाकुर पर एक लेख लिखा था। इसके बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की.. झे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी जी की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है। यह भारत रत्न न केवल उनके अतुलनीय योगदान का विनम्र सम्मान है, बल्कि इससे समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा

पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि कर्पूरी ठाकुर ईबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते थे। बिहार में भले ईबीसी की अकेले कोई जाति चुनावी गणित के लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं हो, लेकिन सामूहिक तौर 130 जातियों और उपजातियों का ये समूह 36 फ़ीसदी का वोट बैंक बनाती हैं। इस लिहाज से देखें तो ये समूह बिहार की सबसे बड़ी आबादी है। यही कारण है कि हर दल इस वोट बैंक को अपने खेमे में करना चाहता है।
ईबीसी नीतीश के कोर वोट बैंक
एक्सपर्ट कहते हैं कि 2005 में नीतीश कुमार को पहली बार मुख्यमंत्री बनाने में इस समूह का अहम योगदान रहा है। यादव की आबादी के मुकाबले उन्होंने ईबीसी की छोटी-छोटी जातियों को अपने साथ जोड़ा और एक बड़ा वोट बैंक बनाने में कामयाब रहे। सरकार में आने के बाद उन्होंने पंचायत सत्र से लेकर राज्य सरकार तक में ईबीसी की हिस्सेदारी बढ़ाई।
जातीय गणना की रिपोर्ट के बाद सबसे ज्यादा लाभ ईबीसी को मिला। उनके आरक्षण को 12 फीसदी से बढ़ाकर सीधा 25 फीसदी कर दिया गया। ऐसे में ईबीसी को नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक माना जाता है और वे किसी भी परिस्थिति में इसे खोना नहीं चाहते हैं।
अब तीन पॉइंट में समझिए चुनाव से पहले कर्पूरी प्रासंगिक क्यों?
1. वे अति पिछड़ा वर्ग में जन्मे थे, मौजूदा समय में बिहार में ईबीसी की आबादी 36 फीसदी है।
2. कर्पूरी ठाकुर को सामाजिक न्याय का मसीहा माना जाता है, जिनके अनुसरण का दावा जेडीयू, आरजेडी और बीजेपी तीनों पार्टियों के नेता कर रहे हैं।
3. बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए कर्पूरी ठाकुर ने देश में पहली आर्थिक आधार पर सवर्णों को तीन फीसदी आरक्षण दिया था, जिसे बाद में कोर्ट ने खत्म कर दिया था।
जेडीयू का दावा- नीतीश कुमार ने कर्पूरी का सपना पूरा किया
जेडीयू एमएलसी संजय गांधी ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती के अवसर पर हमारी भव्य तैयारी है। पूरे बिहार से 2 लाख से ज्यादा लोग कार्यक्रम में शामिल होंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अति पिछड़ों के सपनों को पूरा किया है। नीतीश कुमार शुरू से ही कर्पूरी जयंती मनाते आ रहे हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत की थी। इसका चुनाव से कोई लेना-देना है। वे शुरुआत से ही इसे मनाते आ रहे हैं।
कर्पूरी के विचारों का सच्चा वाहक है राजद- शक्ति यादव
राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि राजद कर्पूरी के विचारों के सच्चे वाहक हैं। कर्पूरी जी के विचारों को लेकर लालू यादव ने सामाजिक क्रांति को मूर्त रूप दिया। उन तमाम बेसहारों और बेजुवानों को सहारा दिया। राजनीतिक चेतना जाहिर किया। घोट के राज को छोट का राज परिभाषित किया। जो लोग कर्पूरी जी को गाली देते थे। वे आज कर्पूरी जी की जयंती माने के लिए व्यग्र हैं। वोट की खातिर।
अपने शिष्यों के कृत्य देख कर कर्पूरी जी की आत्मा रो रही होगी-बीजेपी
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता कुंतल कृष्णन ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर के सपनों को बीजेपी ने ही जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि उस वक्त भाजपा के पूर्वजों ने अपना समर्थन देकर कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया। पिछड़े लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के सपनों को साकार किया। बिहार में जिन लोगों ने कर्पूरी ठाकुर की नाम पर राजनीति की। ये वे लोग हैं जो समाज के अंतिम व्यक्ति के हिस्से के विकास को अपने परिवार में बांट दिया। नीतीश कुमार उन्हीं घोटाले बाजों के साथ सरकार चला रहे हैं। कर्पूरी जी की आत्मा आज अपने इन कथित शिष्यों को देख कर रो रही होगी।
जानिए, कर्पूरी ठाकुर के वो फैसले जो देश में मिसाल बना
- देश में पहली बार ओबीसी को आरक्षण दिया।
- देश के पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने अपने राज्य में मैट्रिक तक मुफ्त पढ़ाई की घोषणा की थी।
- राज्य में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा देने का काम किया।
- 1967 में पहली बार उपमुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया।
- गैर लाभकारी जमीन पर मालगुजारी टैक्स को बंद कर दिया।
- मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने चर्तुथवर्गीय कर्मचारी लिफ्ट का इस्तेमाल कर पाएं, ये सुनिश्चित किया।
- 1977 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मुंगेरीलाल कमीशन लागू किए। इसके कारण पिछड़ों को नौकरियों में आरक्षण मिला।
- आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के और महिलाओं लिए आरक्षण का प्रावधान किए ।
भारत रत्न पाने वाले बिहार के चौथे व्यक्ति बने कर्पूरी:लालू और नीतीश भी मानते हैं अपना गुरु, दो बार बिहार के सीएम रहे
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से नवाजा गया है। कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति की ओर से इसकी घोषणा की गई है। कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री, एक बार उप मुख्यमंत्री और बिहार के शिक्षा मंत्री रहे हैं।
इसके साथ ही वे कुछ समय के लिए समस्तीपुर से सांसद भी रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर भारत रत्न पाने वाले बिहार में जन्मे चौथे शख्स हैं। इनसे पहले डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जय प्रकाश नारायण और बिस्मिल्ला खान को भारत रत्न मिल चुका है।
कर्पूरी ठाकुर को बिहार के सामाजिक न्याय का मसीहा माना जाता है। उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जो न केवल बिहार में बल्कि देश में मिशाल बना। देश में सबसे पहले उन्होंने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया। इतना ही नहीं देश में सबसे पहले महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने का श्रेय भी कर्पूरी ठाकुर को जाता है। हालांकि, बाद में उनके फैसले को समाप्त कर दिया गया।
2007 से नीतीश कुमार भारत रत्न देने की कर रहे है मांग
बिहार के सीएम नीतीश कुमार वर्षों से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर को बिहार सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को 2007, 2017, 2018 और 2019 में भारत रत्न के लिए अनुशंसा की गई थी। 2021 में नीतीश कुमार ने कहा था कि उनकी ख्वाहिश है कि जन नायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से विभूषित किया जाए। नीतीश कुमार की इस मांग को राजद और तेजस्वी भी अपना समर्थन देते रहे हैं।
पढ़ाई के लिए अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त किया, मैट्रिक तक की पढ़ाई मुफ्त किया
1967 में जब पहली बार बिहार में गैर कांग्रेसी सरकार बनी तो उसमें महामाया प्रसाद को मुख्यमंत्री और कर्पूरी ठाकुर को डिप्टी सीएम बनाया गया था। इसके साथ ही इन्हें शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी। शिक्षा विभाग का मंत्री रहते हुए कर्पूरी ठाकुर ने पढ़ाई में अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई को भी मुफ्त कर दिया। साथ ही उन्होंने बिहार में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा भी दिया।
फोर्थ ग्रेड के कर्मियों को सचिवालय के लिफ्ट में दिलाई एंट्री
कर्पूरी ठाकुर को यूं ही सामाजिक न्याय का प्रणेता नहीं माना जाता है। उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले बिहार सचिवालय में एक व्यवस्था ये थी की फोर्थ ग्रेड का कोई भी कर्मचारी सचिवालय का लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करेंगे। उन्हें ये फैसला रास नहीं आया और मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने लिफ्ट का दरवाजा सभी कर्मचारियों के लिए खोल दिया।1977 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मुंगेरीलाल कमीशन को लागू किया। इसके कारण पिछड़ों को नौकरियों में आरक्षण मिला।
जेडीयू की वर्षो पुरानी मांग हुई पुरी: नीतीश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महान समाजवादी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कर्पूरी ठाकुर को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सही निर्णय बताया है। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी 100वीं जयंती पर दिया जाने वाला ये सर्वोच्च सम्मान दलितों, वंचितों और उपेक्षित तबकों के बीच सकारात्मक भाव पैदा करेगा। हम स्व. कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग करते रहे हैं। जेडीयू की वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई है।
करोड़ों लोगों की भावनाओं के सामने झुका केंद्र सरकार: राजद
राजद के प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव लम्बे समय से जन नायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग करते रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने से बिहार ही नहीं, बल्कि कर्पूरी को आदर्श मानने वाले देश के करोड़ों लोगों की जीत है। देर से ही सही, लेकिन केंद्र सरकार को करोड़ों लोगों की भावनाओं के सामने झुकना पड़ा।
जीतन राम मांझी ने पीएम को जताया आभार
बिहार के पूर्व सीएम और हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी ने जन नायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह सम्पूर्ण बिहारवासियों का सम्मान है। यह नरेंद्र मोदी ही कर सकते थे। पूर्व की सरकारों ने कभी इस पर विचार भी नहीं किया। यह हमारी पुरानी मांग थी। इसी तरह बिहार केसरी श्री बाबू और पर्वत पुरुष दशरथ मांझी जी को भी भारत रत्न देना चाहिए।
भारत रत्न देकर पिछड़ों को किया सम्मानित
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि पिछड़ों के मसीहा जन नायक कर्पूरी ठाकुर को उनकी जन्मशताब्दी पर भारत रत्न देने का निर्णय सराहनीय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार और देश के करोड़ों पिछड़ों का सम्मान किया है। कर्पूरी जी का सपना था देश की सत्ता पर कोई पिछड़ा का बेटा बैठे। प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाल कर मोदी ने कर्पूरी जी के सपने को सच किया है।
बिहारवासियों को मिला सम्मान: चिराग
लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि सामाजिक न्याय के पुरोधा जन नायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत उनकी 100वीं जयंती के अवसर पर भारत रत्न देने की घोषणा सराहनीय है। इसको लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूं। जन नायक कर्पूरी ठाकुर समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को मान और सम्मान दिलाने के लिए सदैव तत्पर रहते थे। इन्हें भारत रत्न से सम्मानित करना समस्त बिहारवासियों का सम्मान है।