प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नाथद्वारा में साढ़े पांच हजार करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन औऱ शिलान्यास किया. इस सरकारी कार्यक्रम के बाद एक रैली की. सरकारी प्रोग्राम में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक मंच पर थे. इसके बाद माउंट आबू में हुई बीजेपी की रैली में मोदी और वसुन्धरा राजे एक मंच पर थे. दोनों जगह मोदी ने मौके और माहौल के हिसाब से बात की. नाथद्वारा में जैसे ही गहलोत बोलने के लिए खड़े हुए तो पब्लिक ने ‘मोदी, मोदी’ के नारे लगाने शुरू कर दिए. .ये देखकर मोदी थोड़ा असहज हुए.. उन्होंने लोगों को रोका. फिर मंच पर बैठे सीपी जोशी से कहा कि नारेबाजी बंद करवाइए. मोदी के हावभाव देखकर नारेबाजी बंद हो गई . लेकिन ये नारेबाजी अशोक गहलोत को चुभ गई. गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष का सम्मान भी जरूरी है, विपक्ष के बिना सत्ता पक्ष का क्या मतलब है. गहलोत ने प्रधानमंत्री से अपील की कि वह राजस्थान की लम्बित परियोजनाओं को जल्द मंजूरी दें.
मोदी ने माउंट आबू की रैली में कांग्रेस पर सीधा हमला बोला. मोदी ने कहा कि राजस्थान की सरकार के पास जनता की भलाई के काम करने की फुर्सत ही नहीं है, क्योंकि मुख्यमंत्री को न अपने विधायकों पर भरोसा है, और न ही विधायकों को अपने मुख्यमंत्री पर विश्वास है. मोदी ने कहा कि जिस राजस्थान में एक दूसरे को नीचा दिखाने का कंपटीशन चल रहा है, वहां की सरकार को पब्लिक की चिंता कैसे हो सकती है. मोदी जब सरकारी कार्यक्रम में होते हैं, तो वो प्रधानमंत्री की भूमिका में रहते हैं, और जब बीजेपी के कार्यक्रम में पहुंचते हैं, तो कैंपेनर के रोल में तब्दील हो जाते हैं. राजस्थान में भी यही देखने को मिला. सरकारी कार्यक्रम में उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत को अपने पास बिठाया, अपना दोस्त बताया और उनकी तारीफ़ भी की, लेकिन थोड़ी देर बाद, जब वो बीजेपी की रैली में पहुंचे, तो मोदी ने सचिन पायलट और गहलोत की तकरार को मुद्दा बनाया, कांग्रेस को फ्रॉड बताया. यही नरेंद्र मोदी की ख़ासियत है. एक चुनाव का प्रचार पूरा होता है, और वो दूसरे की तैयारी में जुट जाते हैं. राजस्थान के बाद, अब उनका अगला दौरा मध्य प्रदेश में होगा.