लोकसभा सदस्यता गंवाने के बाद राहुल गांधी ने मंगलवार को केरल के वायनाड में अपनी बहन प्रियंका के साथ रोड शो किया। राहुल ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘मेरे लिए सांसद होना सिर्फ एक टैग है। बीजेपी मुझसे वह टैग छीन सकती है, मेरा घर छीन सकती है, लेकिन मैं परेशान होने वाला नहीं हूं। मैं जनता के मुद्दे उठाता रहूंगा।’ प्रियंका ने अपने भाई की सराहना करते हुए उन्हें ‘निडर और ईमानदार योद्धा’ बताया। उन्होंने कहा, ‘सरकार राहुल को उनके घर से निकाल सकती है, लेकिन लोगों के दिलों से कैसे निकालेगी?’ पिछले हफ्ते बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने कहा, ‘राहुल के रोड शो का कोई असर नहीं होगा, क्योंकि बाकी के राज्यों की तरह केरल के लोगों को भी समझ में आने लगा है कि देश को नरेंद्र मोदी ही आगे ले जा सकते हैं।’ वायनाड में राहुल के स्वागत में जो पोस्टर लगाए गए थे उसमें लिखा हुआ था ‘मैं सावरकर नहीं, गांधी हूं, और गांधी माफी नहीं मांगते।’ पूरा शहर ऐसे हजारों पोस्टरों से भरा पड़ा था। वायनाड में लगे पोस्टरों को लेकर महाराष्ट्र में फिर विवाद शुरू हो गया। कांग्रेस के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इसे लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा कि वायनाड में जो पोस्टर लगे थे, वह वहां के स्थानीय लोगों ने लगाए थे, कांग्रेस पार्टी ने नहीं। चव्हाण ने कहा, ‘बाकी पार्टियों (शिवसेना) के साथ हुई बातचीत में जो तय हुआ था, कांग्रेस लीडरशिप उस पर कायम है।’ लगता है सावरकर का नाम राहुल गांधी का पीछा आसानी से नहीं छोड़ेगा। राहुल गांधी ने प्रसिद्ध क्रांतिकारी वीर सावरकर को ‘माफीवीर’ बताया था, जिन्होंने अंग्रेजों को कई दया याचिकाएं भेजी थीं। सावरकर को महाराष्ट्र में विभूतियों में गिना जाता है। NCP सुप्रीमो शरद पवार और शिवसेना (उद्धव) के चीफ उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के नेताओं से साफ-साफ कहा है कि वीर सावरकर सिर्फ महाराष्ट्र के नहीं, बल्कि पूरे देश के गौरव हैं। विपक्षी नेताओं की बैठक में, जिसमें शिवसेना का उद्धव गुट मौजूद नहीं था, शरद पवार ने सोनिया और राहुल गांधी दोनों से कहा कि कांग्रेस को इस तरह के भावनात्मक विषय पर बोलने से बचना चाहिए। पवार ने कथित तौर पर राहुल से कहा, ‘हमें भावनात्मक मुद्दों से बचना चाहिए और वास्तविक मुद्दों पर टिके रहना चाहिए।’ कांग्रेस सावरकर पर निशाना न साधने की बात पर सहमत तो हो गई, लेकिन ऐसा लगता है कि अभी यह संदेश केरल तक नहीं पहुंचा है।
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