भारतीय जनता पार्टी ने आक्रामक राजनीति के रूप में पहचान बना चुके सम्राट चौधरी को बिहार प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपकर एक तीर से कई निशाना साधा है। कुशवाहा जाति से आने वाले चौधरी पिछले कई महीनों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर न केवल आक्रामक रहे हैं बल्कि विभिन्न मुद्दों पर बिहार सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। माना जा रहा है कि इन्हीं सब कारणों से भाजपा ने चौधरी को बिहार की कमान थमा कर सात दलों के महागठबंधन से सीधे मुकाबले में उतार दिया है। भाजपा अध्यक्ष की कमान मिलने के बाद चौधरी भी अपनी प्राथमिकता कार्यकर्ताओं के मान सम्मान की रक्षा करना और भाजपा की सरकार बनाना बताया है। चौधरी आश्वस्त हैं कि अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी बिहार में सभी 40 सीटों पर भगवा लहराएगी।
चुनौतियों का सामना करूंगा-सम्राट
चौधरी ने कहा कि बिहार के आम लोगों की आवाज बुलंद करने के लिए तत्पर रहूंगा। उन्होंने माना कि चुनौतियां हैं लेकिन वरिष्ठ और कनिष्ठ कार्यकर्ताओं का समन्वय बनाकर कार्य करूंगा। उन्होंने कहा कि चुनौतियों को अवसर में बदलना हमें आता है। समता पार्टी के संस्थापकों में से एक शकुनी चौधरी के पुत्र सम्राट चौधरी का प्रवेश सक्रिय राजनीति में 1990 में हुआ। कुशवाहा जाति से आने वाले चौधरी का कहना है कि उनकी प्राथमिकता पार्टी को विस्तार देते हुए बिहार में भाजपा की सरकार बनाना है। साथ ही हम अपने कार्यकर्ताओं के मान सम्मान की रक्षा करेंगे।
संगठन से ही सरकार बनती है-सम्राट
सक्रिय, कमिटेड और राजनीति से अलग व्यक्तिगत संबंधों को निभाने वाले चौधरी ने जोर देते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि संगठन और कार्यकर्ता से ही सरकार बनती है। उन्होंने भाजपा द्वारा सामाजिक समीकरण दुरूस्त करने को लेकर अध्यक्ष बनाए जाने के प्रश्न पर कहा कि भाजपा कभी भी जाति आधारित राजनीति नहीं करती है। उन्होंने कहा कि भाजपा गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों के कल्याण और विकास की बात करती है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब बिहार की राजनीति के लिए अप्रसांगिक हो गए हैं। 2005 के बाद गंगा में बहुत पानी बह गया है। हाल ही में राज्य में हुए विधानसभा चुनावों के परिणााम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि परिणाम से साफ है कि नीतीश को अब प्रदेश की जनता पसंद नहीं कर रही है।
जहरीली शराब बड़ा मुद्दा-सम्राट
उन्होंने कहा कि आप खुद देख लीजिए, बिहार में कानून व्यवस्था, शराबबंदी के बाद जहरीली शराब से होने वाली मौतों की संख्या, सरकारी नौकरी और रोजगार के नाम पर लोगों को बरगलाना और सबसे बड़ी बात पलटी मारने की आदत के बाद लोगों की बात छोड़िए उनके सहयोगी दलों का भी उनपर विश्वास नहीं रहा। महागठबंधन के संदर्भ में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में चौधरी कहते हैं कि इसे महागठबंधन कहना कहीं से उचित नहीं है। सभी घटक दल कुर्सी पकड़कर समय काट रहे हैं और इससे सबसे अधिक नुकसान बिहार को हो रहा है। उन्होंने कहा कि देखिए, उपमुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री बनना है और मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री बनने की चिंता है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि राजद के नेता और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार पर क्या टिप्पणी नहीं की, लेकिन क्या हुआ?
गठबंधन पर केंद्रीय नेतृत्व करेगा फैसला-सम्राट
अगले चुनावों में गठबंधन करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सब केंद्रीय नेतृत्व को तय करना है। उन्होंने अगले लोकसभा चुनाव को लेकर साफ लहजे में कहा कि देश में विपक्ष बिखरा हुआ है और फिलहाल भाजपा के सामने कोई मुकाबला नहीं है। बिहार में कृषि मंत्री और पंचायती राज मंत्री का दायित्व संभाल चुके चौधरी कहते हैं कि भाजपा का संगठनात्मक ढांचा बहुत प्रभावी है। कार्यकर्ताओं की सक्रियता और नेतृत्व के प्रति विश्वास के आधार पर लक्ष्य पूरा करेंगे। मोदी सरकार के कार्य की सार्थक चर्चा होती है। इसके आधार पर तय है कि हम निश्चित रूप से बिहार की सभी 40 सीटें जीतेंगे। उन्होंने कहा कि राजद जंगलराज की प्रतीक है और नीतीश कुमार का बिहार में कोई जनाधार नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि भाजपा का कार्यकर्ता सक्रिय है, वह समाज के बीच रहता है। उन्होंने प्रदेश कमिटी जल्द बनाए जाने की बात करते हुए कहा कि भाजपा के सारे पद कार्यकर्ताओं के लिए हैं, परिवार के लिए कोई पद आरक्षित नहीं है। मेहनती कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाएगी। भाजपा में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति सभी सामान्य कार्यकर्ता से इस मुकाम तक पहुंचे हैं।