सन ऑफ मल्लाह यानी मुकेश सहनी ने कुढ़नी में सहनी उम्मीदवार का मोह छोड़कर भूमिहार जाति पर फोकस कर दिया है। उन्होंने यहां से चार बार के विधायक रहे साधु शरण शाही के पोते नीलाभ को मैदान में उतार दिया है।इससे महागठबंधन और भाजपा को पूरा समीकरण गड़बड़ा गया है। भाजपा और JDU ने पिछड़ा वर्ग पर दांव खेला है, जबकि मुकेश ने सवर्ण पर।
अभी तक मुकेश सहनी बाकी पार्टियों से सहनी उम्मीदवार देने की मांग कर रहे थे। यहां तक कह रहे थे कि भाजपा भी अगर किसी मल्लाह को टिकट देगी तो वह बीजेपी को समर्थन देने को तैयार है, लेकिन ऐनवक्त पर उन्होंने भूमिहार जाति के नीलाभ को टिकट दे दिया।
इसके पीछे मुख्य वजह है जातिगत समीकरण। कुढ़नी विधानसभा में लगभग 40 हजार से ज्यादा भूमिहार जाति का वोट है। निषाद जाति के करीब 30 हजार वोट बैंक है। पिछले चुनाव में इतने ही वोट सहनी की पार्टी को मिले थे। भूमिहार कैंडिडेट देकर सहनी ने भाजपा की अगड़ी जाति के वोट बैंक पर सेंध लगाने की कोशिश की है। अभी इस वर्ग पर अपनी ताकत रखनी वाली भाजपा ने यहां से अतिपिछड़ी जाति के पूर्व विधायक केदार गुप्ता को टिकट दिया है।
सहनी की ताजा अदावत भाजपा से यूपी विधानसभा चुनाव और उसके बाद वीआईपी के तीन विधायकों को तोड़ने और सहनी को मंत्री पद से हटाने पर रही है। वीआईपी वर्जेस बीजेपी की लड़ाई के बाद सहनी के सबसे बड़े राजनीतिक दुश्मन तेजस्वी यादव नहीं बल्कि भाजपा हो गई। लेकिन दिलचस्प यह भी कि मुकेश सहनी, राजद के पूर्व विधायक अनिल सहनी को वीआईपी में आमंत्रित कर रहे हैं।
भूमिहार जाति के नीलाभ को कुढ़नी से टिकट देने के बाद भास्कर ने मुकेश सहनी से उनके पटना स्थित आवास पर बात की-
सवाल- मुकेश सहनी आप पॉलिटिकल पार्टियों से लगातार मांग कर रहे थे कि कुढ़नी में किसी सहनी समाज से टिकट दें। लेकिन आपने ही सहनी समाज को टिकट नहीं दिया?
जवाब- देखिए वीआईपी हमारी पॉलिटिकल पार्टी है। हमको जो फैसला नहीं लेना चाहिए था वह भी हमने लिया और हमने कहा कि हम चुनाव लडे़ंगे और 16 तारीख को नामांकन करेंगे। हमने नामांकन को रोक कर रखा था। हमने महागठबंधन और एनडीए दोनों को ऑफर किया था कि कुढ़नी में पहले से निषाद समाज से विधायक जीते हुए थे, इसलिए किसी निषाद समाज को टिकट दे दिया जाता है तो हम उन्हें समर्थन कर देंगे।
हम पार्टी को नहीं बल्कि कंडिडेट को समर्थन देने की बात कर रहे थे। इसके लिए हम इंतजार कर रहे थे। महागठबंधन की तो मजबूरी थी कि सीट नीतीश कुमार के पास चली गई थी। नीतीश कुमार के पास पूर्व मंत्री वहां पहले से थे (मनोज कुशवाहा) जिस पर उन्होंने दांव लगाया। भाजपा ने भी निषाद समाज को ठगने का काम किया।
सवाल- लेकिन बीजेपी ने तो अतिपिछड़ी जाति को टिकट दिया है?
- जवाब- पहले से वे (केदार गुप्ता) लड़ रहे हैं। वे वहां से हारे भी हैं। हमारा कहना है कि एक जात से पार्टी नहीं चलती है। एक के भरोसा चुनाव नहीं जीत सकते हैं। हमारी भी पॉलिटिकल पार्टी है। वहां निषादों के नेताओं ने कहा कि ऐसे को टिकट देना है जो अपने व्यवहार के बल पर भी कुछ वोट ला पाएं और हमारा जो सहनी का वोट बैंक है उसको मिलाकर हम चुनाव जीतेंगे। हम चुनाव जीतने के लिए लड़ रहे हैं, हारने के लिए नहीं। कोरम पूरा नहीं कर रहे हम।
सवाल- लेकिन मैसेज तो यही जा रहा है कि बीजेपी को हराने के लिए आपने भूमिहार उम्मीदार नीलाभ को उतारा है?
- जवाब- नहीं, ये मैसेज नहीं जा रहा है। भाजपा ने हमें हराने के लिए अति पिछड़ा को उतार दिया है। हम यह भी कह सकते हैं। बोचहां में क्या हुआ था। भाजपा हमें हराने के लिए जबरन उम्मीदवार उतार दिया था।
सवाल- आपको क्या लगता है अतिपिछड़ा वोट आपको छोड़ कर कहीं नहीं जाएगा?
- जवाब- अति पिछड़ा को सब मालूम है। मामला व्यक्ति विशेष नहीं, बल्कि पार्टी विशेष है। लालू प्रसाद की पार्टी के नाम पर लोग वोट करते हैं। पूरे बिहार में अति पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए हम परसों कैमूर में जाकर लड़ाई लड़े। पूरे बिहार में सभी को मालूम हो चुका है कि कर्पूरी ठाकुर के बाद अति पिछड़ों के लिए कोई लड़ाई लड़ रहा है तो वह सन ऑफ मल्लाह है। हम किसी को हराने के कभी नहीं लड़े। हम अपनी जीत के लिए लड़ रहे हैं।
सवाल- बोचाहां में आपने लड्डू बांटा था, वहां भाजपा की हार हुई थी?
- जवाब- हमारी अपनी ताकत है। हम जश्न इसलिए मनाते हैं कि हमारे लोगों को लगता है हम जो चाहते थे उसमें हमारी जीत हुई। भाजपा चार पार्टी मिलकर 45 हजार वोट लाई। हम अकेले 30 हजार वोट लाए। जीत हुई कि नहीं हमारी! हमने जिस समुदाय से कुढ़नी में टिकट दिया है (नीलाभ) उनकी अपनी विरासत है।
- उनके दादा साधु शरण शाही जी चार बार वहां से विधायक रहे हैं। उनके दादा जी निर्दलीय भी जीते थे। बाकी उम्मीदवार बाहर के हैं, लेकिन हमारे उम्मीदवार स्थानीय हैं और युवा हैं। कोरोना के समय लोगों के बीच काफी काम किया। सौ लोगों को हमने फोन किया तो 99 लोगों ने कहा कि इस कंडिडेट पर दांव लगाइए। हमने सर्वे किया और उसमें वे आगे निकले तो प्रत्याशी बनाया।
सवाल- अनिल सहनी का भी कहना था कि कुढ़नी अतिपिछड़ा की सीट थी और उस पर कोई अतिपिछड़ा नीतीश कुमार को नहीं मिला क्या? जेडीयू कुशवाहा को उतार देती है और आप भूमिहार को उतार देते हैं?
- जवाब- हम तो अनिल सहनी से कहते हैं कि अति पिछड़ा की बात करते हैं तो अति पिछड़ा की पार्टी में आकर संघर्ष कीजिए। व्यवस्था को बदला जाएगा। खाली बाहर बोलने से नहीं होगा। नीतीश कुमार को जो सही लगा वह किया।
सवाल- आरजेडी के पूर्व विधायक अनिल सहनी को आप अपनी पार्टी वीआईपी में आमंत्रित कर रहे हैं?
- जवाब- निश्चित रूप से। वे हमारे समाज के भाई हैं। समाज का बेटा है। उनको अपने घर में दीप जलाना चाहिए, न कि दूसरे के घर में। मछली मारने वाले का बेटा कल तक टिकट मांगता था। आज हम टिकट बांट रहे हैं। वे साथ आएं कंधे से कंधा मिलाकर काम करें। हम बिहार और देश भर के सभी सहनी नेता को वीआईपी में आमंत्रित करते हैं।