भारतवर्ष अपनी स्वतंत्रता के ७५ वर्ष मना रहा है। यह आजादी का अमृत काल है। यह हमारे संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को याद करने का भी समय है‚ जिन्होंने समाज के सबसे कमजोर तबकों और गरीब वर्गों की आकांक्षाओं और सपनों को पंख दिए। हालांकि आजादी के बाद से सभी सरकारों ने राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया और समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए काम किया है‚ लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यावहारिक रूप से बाबा साहेब अंबेडकर के अधूरे सपनों को साकार किया है।
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन भी है‚ जिनके साथ मेरा बहुत लंबा और यादगार जुड़ाव रहा है। मैंने उन्हें कार्यकर्ता‚ कुशल संगठनकर्ता‚ मुख्यमंत्री के रूप में और अब देश के प्रधानमंत्री के रूप में काम करते देखा है। प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने के पश्चात संसद की सीढ़ियों को नमन करते हुए उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार देश के गांव‚ गरीब‚ किसान‚ दलित‚ पीडि़त‚ शोषित‚ वंचित‚ आदिवासी‚ युवा एवं महिलाओं के कल्याण के प्रति समर्पित साकार होगी। विगत 8 वर्षों में प्रधानमंत्री ने निःसंदेह उसे चरितार्थ कर दिखाया है। देश के प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी बाबा साहेब के बताए रास्ते पर ही आगे बढ़े हैं। उन्होंने देश और दुनिया को बाबा साहेब के जीवन से जुड़े पांच महत्वपूर्ण स्थलों को ‘पंचतीर्थ’ के रूप में विकसित कर उन्हें संजोने का उपहार दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बाबा साहेब के जन्मदिन १४ अप्रैल को समरसता दिवस और २६ नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय उनकी ओर से बाबा साहेब को दी गई भावांजलि है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर ही पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ ने बाबा साहेब की १२५वीं जयंती मनाई थी। प्रधानमंत्री मोदी के दो महत्वपूर्ण कार्य‚ जो वास्तव में बाबा साहेब के सपनों को साकार करते हैं‚ रहे अनुच्छेद ३७० का उन्मूलन और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण हेतु अनेक लोक कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं को धरातल पर प्रस्तुत करना। बाबा साहेब की कड़ी आपत्तियों के बावजूद अनुच्छेद ३७० हमारे संविधान का हिस्सा बन गया जिसके हटने की कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। प्रधानमंत्री मोदी की दृढ़ प्रतिबद्धता और इच्छाशक्तिही थी जिसके बल पर अनुच्छेद ३७० निरस्त हुआ और जम्मू–कश्मीर सही मायनों में भारत का अभिन्न अंग बना। बाबा साहेब ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने पर जोर दिया था। यह नरेन्द्र मोदी ही हैं‚ जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के वाहक बने हैं। इसके लिए मोदी मिशन मोड पर काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति के रूप में जब भी मैं सामाजिक मुद्दों और शासन व्यवस्था पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ चर्चा करता था तो मैंने हमेशा उनमें एकदम जड़ तक फैले भ्रष्टाचार को लेकर गहरी चिंता दिखी क्योंकि वे मानते हैं कि भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा पीडि़त गरीब होते हैं। वे सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं कि सरकार की सभी जनोपयोगी योजनाओं का लाभ बिना किसी बिचौलिए के गरीब तक पहुंचे।
आज सभी पात्र लाभार्थियों के अकाउंट में सभी सरकारी योजनाओं का लाभ हस्तांतरित किया जाता है। इससे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगा है। वंशवाद और परिवारवाद की राजनीति द्वारा हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर जबरन नियंत्रण को लेकर भी मोदी काफी चिंतित रहते हैं क्योंकि यह किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। मोदी ने हमेशा योग्यता के आधार पर कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को बढ़ावा दिया है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘पद्म पुरस्कारों’ का गौरव पुनः हासिल हुआ है। पद्म पुरस्कारों ने ‘आम नागरिकों’ के साथ अपना सहज संबंध पुनः स्थापित किया है। इन पुरस्कारों को लेकर पहले धारणा सी बन गई थी कि ये उन्हीं को मिलते हैं जिनकी पहुंच बड़ी होती है‚ पर मोदी सरकार में पद्म पुरस्कार आम नागरिकों के करीब लगने लगे हैं‚ जिसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी की जनोन्मुखी सोच को जाता है। मैं यहां आकांक्षी जिलों के विकास और आदर्श ग्राम योजना का भी जिक्र करना चाहूंगा। दोनों योजनाओं ने पिछड़े क्षेत्रों में विकास की नई कहानी लिखी है। डि्ट्रिरक्ट मिनरल फंड़‚ एकलव्य मॉडल स्कूल और आदिवासी गांवों के विकास की योजनाओं से आदिवासी क्षेत्रों में विकास को नया आयाम दिया गया है। नई शिक्षा नीति से गरीब बच्चों को अपनी भाषा में उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
जनजातीय गौरव दिवस मनाने का निर्णय और जनजातीय संग्रहालयों का निर्माण भी अत्यंत सराहनीय कदम है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ने कोविड के दौरान देश के कमजोर तबकों को बड़ा संबल प्रदान किया है। उज्ज्वला योजना‚ सौभाग्य योजना‚ स्वच्छ भारत अभियान‚ जन–धन योजना‚ आयुष्मान भारत योजना‚ मिशन इंद्रधनुष‚ आवास योजना‚ किसान सम्मान निधि‚ स्टार्ट–अप‚ कौशल विकास आदि योजनाओं का सबसे अधिक लाभ गरीब‚ दलित‚ पिछड़े और आदिवासी वर्ग को ही मिला है। मैंने बहुत करीब से अनुभव किया है कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी ने घातक कोविड वायरस के खिलाफ भारत की निर्णायक लड़ाई का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व और प्रोत्साहन के बल पर हमारे वैज्ञानिक ९ महीने से भी कम समय में एक नहीं‚ बल्कि दो–दो ‘मेड इन इंडिया’ टीके विकसित करने में सफल हुए जिसने न केवल हमें सुरक्षा कवच दिया‚ बल्कि कई अन्य देशों में मानवता को बचाने का अवसर भी दिया। जब कोविड ने विकसित देशों को भी पंगु बना दिया था‚ तब प्रधानमंत्री मोदी ने हमारे स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत और विस्तारित किया। देश के अर्थचक्र को भी अवरु द्ध नहीं होने दिया।
देश के विकास के लिए विगत ८ वर्ष कई मायनों में उल्लेखनीय और ऐतिहासिक रहे हैं। मोदी कई कालजयी व्यक्तित्वों से प्रेरणा लेते हैं‚ लेकिन उनकी शासन पद्धति पर बाबा साहेब की अमिट छाप हर जगह दिखती है। मैं प्रधानमंत्री मोदी को भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सच्चे अनुयायी के रूप में इसलिए देखता हूं कि उन्होंने उनके पदचिह्नों पर चलते हुए ‘राष्ट्र प्रथम’ को अपना आदर्श वाक्य बनाया है‚ ‘सबका साथ‚ सबका विकास‚ सबका विश्वास और सबका प्रयास’ को अपना मंत्र बनाया है‚ और सुशासन‚ सामाजिक समरसता एवं अनुशासन को सरकार की पहचान बनाया है।
(लेखक पूर्व राष्ट्रपति हैं)