जब संवेदनाएं मर जाती हैं और बेशर्मी के बादल घने होने लगते हैं तब राजनेता और अफसरों का दिल ऐसी दारुण घटनाओं पर भी नहीं पसीजता‚ उनकी ढीठता का स्तर देखकर नफरत होने लगती है। मध्य प्रदेश के मुरैना में हुई घटना इसकी बानगी है। यहां आठ साल का मासूम दो साल के छोटे भाई का शव गोद में लेकर अस्पताल के बाहर घंटों बैठा रहा जबकि उसका लाचार पिता एंबुलेंस न मिलने पर सस्ते में बच्चे के शव को गांव तक पहुंचा देने के लिए वहां मौजूद वाहन वालों की मिन्नतें करता रहा। शर्म से बचने के लिए सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। वाकया रविवार का है और मुरैना जिला अस्पताल के बाहर का है। सोशल मीडि़या पर अपलोड़ वीडि़यो में एक आठ साल का बच्चा जिला अस्पताल की चारदीवारी के साथ बैठा दिखाई दिया और उसकी गोद में उसके दो वर्षीय भाई का शव सफेद कपड़़े से ढका हुआ दिख रहा था। बच्चे की इलाज के दौरान इस अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। बच्चे के शव को वहां से करीब ३० किलोमीटर दूर उसके गांव बड़़फरा ले जाया जाना था। अस्पताल में क्या हुआ होगा यह अब बताने की जरूरत नहीं है। बच्चे की मौत के बाद अस्पताल के अधिकारियों की उदासीनता‚ असंवेदनशीलता और गरीबों से किए जाने वाले ेनिष्ठुर व्यवहार के कारण बच्चे का पिता गिड़़गिड़़ाता रहा लेकिन उसे शव घर तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिली। कहा जाता है कि तब लाचार पिता शव को अपने दूसरे बेटे को सौंपने के बाद पैसों का इंतजाम करने रिश्तेदार के घर चला गया । जानकारी के अनुसार पूजाराम जाटव रविवार सुबह अपने दो वर्षीय बेटे राजा को एंबुलेंस से लेकर आए थे जिसे जिले के अंबाह कस्बे के एक अस्पताल से रेफर किया गया था। रविवार दोपहर को एनीमिया और अन्य बीमारियों के इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। मौत के बाद उसके पिता जाटव ने एंबुलेंस दिलवाने की गुहार की‚ लेकिन उसे काफी देर तक वह नहीं मिली। भारी छीछालेदर और भर्त्सना के बाद एक पुलिस वाहन बच्चे के शव को जाटव के घर ले गया। जनता अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए वोट देती है। लेकिन सरकार का ध्यान बुलड़ोजर और पुलिस के सहारे एक समुदाय को सबक सिखाने पर लगा हुआ है जबकि जनता भुगत रही है।
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