नये संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अनावरण किए जाने पर विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया है। विपक्ष की दो प्रमुख आपत्तियां हैं–कि प्रधानमंत्री द्वारा अनावरण किए जाने से संविधान में उल्लिखित शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है। सरकार का प्रमुख होने के नाते प्रधानमंत्री को नये संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए। लोक सभा अध्यक्ष को इसका अनावरण करना चाहिए था‚ क्योंकि वह सदन का प्रतिनिधित्व करते हैं। दूसरी आपत्ति यह है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है‚ लिहाजा नये संंसद भवन के राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण परहिंदू विधि विधान का पालन नहीं किया जाना चाहिए था। जहां तक प्रधानमंत्री द्वारा किए गए अनावरण का संबंध है तो संविधान में शायद इसका कोई उल्लेख नहीं है कि किसी राष्ट्रीय भवन या राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण या उद्घाटन प्रधानमंत्री नहीं कर सकता। इस तरह की कोई परंपरा या परिपाटी भी नहीं है कि राष्ट्रीय महत्व के किसी भवन का उद्घाटन या किसी राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण कार्यपालिका के शीर्षस्थ व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता। इसलिए इस मामले में विपक्ष ने तर्क के लिए तर्क गढ़ा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण लोक सभा अध्यक्ष द्वारा किया जाना चाहिए था। वास्तव में दोनों ही लोकतंत्र के निर्वाचन परंपरा के प्रतिनिधि हैं। इस प्रकरण को विपक्ष सहजता से भी ले सकता था। विपक्ष की दूसरी आपत्ति भी बेबुनियाद है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है‚ धर्म विहीन राष्ट्र नहीं। यहां भी कोई ऐसी परंपरा या संविधान में ऐसा उल्लेख नहीं है कि जब किसी राष्ट्रीय भवन या राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया जाए तो उसमें किसी धार्मिक प्रक्रिया का पालन ना किया जाए। इस पर हैरानी तब होती जब कट्टर संप्रदायवादी नेता भी धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देकर धार्मिक प्रक्रिया सहित किए गए अनावरण का विरोध करने पर उतर आते हैं। पूरे प्रकरण पर आम राय और अधिक मजबूत हुई है कि विपक्ष का काम सिर्फ सरकार का अंधविरोध करना रह गया है‚ कोई वैकल्पिक विचार प्रस्तुत करना नहीं। किसी भी रूप में सरकार द्वारा उठाए गए कदम की आलोचना करना बहुत आसान है‚ लेकिन एक स्वीकार्य और संभव विकल्प प्रस्तुत करना कठिन और जिम्मेदारी का काम है। दुर्भाग्यवश देश का वर्तमान विपक्ष या तो यह जिम्मेदारी उठाने में सक्षम नहीं या फिर इससे बचकर भाग रहा है।
तीसरे चरण से पहले प्रधानमंत्री-खरगे में क्यों छिड़ी लेटर वार?
देश में लोकसभा चुनाव के तीसरे दौर के मतदान के पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच लेटर वार छिड़ गई...