बिहार विधानसभा शताब्दी समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पहली बार एक मंच पर दिखे. नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार जैसे कद्दावर नेताओं के मंचासीन रहने का असर तेजस्वी के ऊपर दिखा. वो अपने भाषण के दौरान काफी असहज दिखे और उनमें आत्मविश्वास की कमी दिखी.
मंच पर असहज दिखे तेजस्वी
मंच पर नर्वस हो चुके तेजस्वी को सहज करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाते वक्त उनसे आत्मीय बात की. कार्यक्रम का समापन हुआ और जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत मंच पर मौजूद अन्य नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदा करने के लिए उनके साथ आ रहे थे, तो प्रधानमंत्री ने तेजस्वी यादव से सबसे पहले लालू यादव की सेहत के बारे में पूछा. तेजस्वी ने संक्षिप्त उत्तर देते हुए कहा कि अब पहले से बेहतर हैं.
मोदी की बात सुनकर सभी मुस्कुरा दिये
इसके बाद प्रधानमंत्री ने कुछ ऐसा कहा जिसकी वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने कल्पना नहीं की थी. उन्होंने तेजस्वी यादव को अपना वजन कम करने की सलाह दे डाली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि थोड़ा वजन कम करो. नरेंद्र मोदी ने जब तेजस्वी यादव को वजन कम करने की सलाह दी तो तेजस्वी मुस्कुराने लगे और उनके साथ चलते रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा कि वो खुद को स्वस्थ रखने के लिए योगा करते हैं. सबको योगा करना चाहिए. वहां चल रहे अन्य नेता भी दोनों की बात सुनकर मुस्कुरा दिये.
तेजस्वी से की कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग
इससे पहले जब पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव विधानसभा शताब्दी समापन समारोह में अपना संबोधन कर रहे थे, अपने भाषण के दौरान बार-बार अटक रहे थे. उनके अंदर विश्वास की कमी साफ नजर आ रही थी. पहले तो वह एक लिखा हुआ भाषण पढ़ रहे थे, जोकि आमतौर पर तेजस्वी लिखा हुआ भाषण नहीं पढ़ते हैं. इसलिए वो कभी अपने लय में नहीं दिखे. अपने छोटे से भाषण के दौरान तेजस्वी यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न दिए जाने की मांग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की.
4 मिनट के भाषण में वो 6 बार अटके। कुछ लाइनों को तो वो दोबारा पढ़ते दिखे। कुछ शब्द के उच्चारण तक में दिक्कत हुई। वीडियो में देखिए तेजस्वी के भाषण के उस अंश को, जिससे वो झेपते नजर आए।
ये वो लाइन थी, जिस पर अटक गए
समाज के हर वर्ग की आबादी के अनुसार, भागीदारी और हिस्सेदारी से ही लोकतंत्र समृद्ध और समावेशी होगा।
अतः मैं आपसे आग्रह करता हूं कि School of Democracy & Legislative Studies जैसी एक संस्था बिहार में स्थापित हो। जिसके माध्यम से विधायी और लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं पर शोध एवं अध्ययन के अवसर और प्रशिक्षण दिया जा सके।
इसी प्रांगण में हम जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की आदमक़द प्रतिमा के बगल में बैठे है।