BPSC पेपरलीक मामले में IAS अधिकारी से पूछताछ हुई है। बिहार लोक सेवा आयोग के 67वें एग्जाम के क्वेश्चन पेपर लीक मामले में उस IAS अधिकारी को आर्थिक अपराध शाखा (EOU) की टीम के सामने आना पड़ा, जिसके मोबाइल नंबर का जिक्र इस केस की FIR में है।
जिसने 8 मई को एग्जाम शुरू होने से महज 17 मिनट पहले BPSC के कंट्रोलर को उनके मोबाइल पर जानकारी देने के लिए लीक हुआ क्वेश्चन पेपर भेजा था। इन्हें जांच में सहयोग के लिए EOU के अधिकारियों ने बुलाया था। शुक्रवार को करीब डेढ़ घंटे तक IAS अधिकारी EOU के मुख्यालय में रहे। आधिकारिक तौर पर इनका बयान दर्ज किया गया।
सूत्रों के अनुसार, इनसे जानकारी ली गई कि इनके पास किसने और कितने बजे सेट C का क्वेश्चन पेपर भेजा था? जिस मोबाइल नंबर से क्वेश्चन पेपर भेजा गया था, वो नंबर क्या है? उस वक्त आप कहां थे? इस तरह के कई सवाल थे, जो EOU की तरफ से बनाई गई स्पेशल जांच टीम में शामिल अधिकारियों ने किए। हालांकि, EOU के अधिकारी का दावा है कि IAS अधिकारी ने उन्हें सहयोग किया है। पूछे गए सवालों का सही तरीके से जवाब दिया है। जो जानकारियां उनके पास थीं, उसे शेयर किया है।
दो लोगों को हिरासत में लिया गया
इस केस में यह पहला मौका था जब IAS अधिकारी और EOU की टीम का आमना-सामना हुआ। एक-दूसरे के सामने बैठकर सवाल-जवाब का दौर चला। इससे पहले शुरुआती जांच के दरम्यान इनकी सिर्फ फोन पर बात हुई थी। अब इस मामले में EOU की जांच टीम IAS अधिकारी से मिले मोबाइल नंबर की पड़ताल में जुट गई है।
सूत्र बता रहे हैं कि इस मामले में शुक्रवार की देर रात राजधानी में भी कुछ जगहों को खंगाला गया है। दो लोगों को पूछताछ के लिए EOU ने हिरासत में लिया है। ये दो लोग कौन हैं? इनका क्या रोल रहा है? इस बारे में अभी कुछ बताया नहीं गया है। इस केस में शक की सुई BPSC ऑफिस में काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारी पर भी घूम रही है। हर एक कर्मचारी की डिटेल्स EOU की टीम ले चुकी है। अब इनकी भूमिका का पता लगाया जा रहा है।
पटना समेत चार जिलों में EOU की विशेष टीम की छापेमारी, मुख्य सरगना की तलाश में एजेंसी
बीपीएससी पेपर लीक मामले में चल रही ईओयू की जांच अब निर्णायक चरण में पहुंच गयी है. अब तक की जांच में यह तय हो गया है कि इस प्रश्न-पत्र लीक मामले के तार आरा के अलावा दूसरे जिलों खासकर उत्तर बिहार के कुछ जिलों से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. यह भी स्पष्ट है कि यह काम महज कुछ लोगों या पदाधिकारियों या कर्मियों का नहीं है. बल्कि, इसके पीछे एक पूरा गैंग सक्रिय है, जिसके सरगना और इसमें शामिल सभी लोगों की तलाश तेजी से चल रही है.
मधुबनी समेत चार जिलों में छापेमारी
इस मामले में संदिग्धों की तलाश के लिए शुक्रवार को पटना, मधुबनी समेत चार जिलों के आधा दर्जन स्थानों पर ईओयू की विशेष टीम ने छापेमारी की. यह कार्रवाई देर शाम तक चलती रही. इस दौरान टीम को कई अहम सुराग मिले हैं, जिसकी जांच चल रही है. इससे जुड़े कई जरूरी पहलुओं पर फिलहाल तफ्तीश चल रही है.
सेंटर पर कोई सीसीटीवी नहीं
ईओयू आरा के परीक्षा केंद्र वीर कुंवर सिंह कॉलेज से जुड़े कुछ अहम तथ्यों की पड़ताल अभी भी करने में जुटा हुआ है. मसलन, जितने छात्रों के नाम कमरों में सीटो पर बैठने के लिए चस्पा थे, वास्तव में ये सभी छात्र अपने-अपने स्थानों पर बैठे थे या नहीं. इसका क्रॉस वेरीफिकेसन करने में समस्या आ रही है, क्योंकि इस सेंटर पर कोई सीसीटीवी नहीं लगे हुए थे.
कुछ अन्य केंद्र भी हो सकते है शामिल
इसमें इस बात को लेकर भी आशंका जतायी जा रही है कि कहीं कुछ छात्रों को रॉल नंबर सीरियल से इतर किसी खास स्थान पर बैठा दिया गया था और प्रश्न-पत्र लीक में ये भी शामिल थे. प्रश्न-पत्र लीक करने वाले गैंग से ही केंद्र के स्टैटिक मजिस्ट्रेट से लेकर केंद्राधीक्षक समेत कुछ अन्य लोग जुड़े हुए थे. इस तरह की व्यवस्था कुछ अन्य केंद्रों पर भी हो सकती है.
बीपीएससी पेपर लीक की गुत्थी सुलझाने के लिए ईओयू के एसपी सुशील कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सदस्यीय एसअाइटी अब तक तीन दर्जन से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी है. इसमें एक आइएएस अधिकारी से लेकर छात्र, पदाधिकारी, कर्मी से लेकर अन्य कई लोग शामिल हैं.
अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं
टीम इस बात के ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पायी है कि प्रश्न-पत्र लीक कहां से हुआ है और सबसे पहले किसने इसे स्कैन करके पीडीएफ फाइल बनायी. किसके इशारे पर यह पूरा खेल हुआ है. परंतु जल्द ही ईओयू इसकी तह तक पहुंच जायेगी और पूरे मामले का खुलासा हो जायेगा.