मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को बताया कि सिंचित क्षेत्र को विकसित करने की दिशा में मृत नदियों को पुनर्जीवित करने पर काम किया जा रहा है और इसीका परिणाम है कि लखनदेई नदी की पुरानी धार को पुनर्जीवित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को सीतामढी जिले के सोनबरसा प्रखंड के खाप गांव में लखनदेई नदी की पुरानी धार को पुनर्जीवित करने की योजना का निरीक्षण का निरीक्षण करने के बाद बताया कि प्रदेश में सिंचित क्षेत्र को विकसित करने की दिशा में जल संसाधन विभाग द्वारा मृत नदियों को पुनर्जीवित करने पर काम किया जा रहा है।
इसके अंतर्गत लखनदेई नदी की पुरानी धार को पुनर्जीवित करने का काम किया गया है। लखनदेई नदी की पुरानी धार में गाद जमा हो जाने के कारण यह मृतप्राय हो गई थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि लखनदेई नदी की नई धार को पुरानी धार से मिलाने के लिए तीन किलोमीटर नये लिंक चैनल का निर्माण कार्य एवं १८.२७ किलोमीटर की पुरानी धार की उड़ाही का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। यह इंडो–नेपाल सीमा पर सोनवर्षा प्रखंड के छोटी भरसार से निकलकर सोनवर्षा प्रखंड के दुलारपुर‚ बथनाहा प्रखंड के पिताम्बरपुर (सोरम नदी के मिलन बिन्दु)‚ सीतामढ़ी एवं रून्नी सैदपुर प्रखंड होते हुए मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड में मोहनपुर (बागमती बायां तटबंध के ७४.७३ किलोमीटर) में बागमती नदी में मिल जाती है।मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत में पुरानी लखनदेई नदी की कुल लम्बाई १७० किलोमीटर है। उन्होंने बताया कि योजना पूर्ण होने पर कुल २१.२७ किलोमीटर चैनल से सीतामढ़ी जिले के सोनवर्षा‚ बथनाहा‚ सीतामढ़ी एवं रून्नी सैदपुर प्रखंडों में कुल २५३९.८६ हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य हो जायेगी।
मुख्यमंत्री ने इसके बाद शिवहर जिले के निर्माणाधीन बेलवा डै़म परियोजना का निरीक्षण किया। उन्होंने बागमती कार्य प्रमंडल के वरीय पदाधिकारियों से इस परियोजना के संबंध में विस्तृत चर्चा की। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि हेड रेगुलेटर एवं तटबंध निर्माण कार्य का उद्ेश्य बाढ़ के समय हेड रेगुलेटर से अधिकतम ५० हजार क्यूसेक जल प्रवाहित कराकर पुरानी बागमती नदी की धार से बूढ़ी गंडक नदी में प्रवाहित किया जाना है। निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरांत शिवहर‚ सीतामढ़ी एवं पूर्वी चंपारण जिले के ४.३९ लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल को बाढ़ से राहत मिलेगी तथा स्थानीय लोग सिंचाई‚ मत्स्य पालन जैसी गतिविधियों से लाभान्वित होंगे और अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकेंगे। सीएम ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि यथाशीघ्र भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करें। बागमती नदी की पुरानी धारा को जीवित करते हुए इसमें चैनल का निर्माण करें और इसे बूढ़ी गंडक से जोड़ा जाये। उन्होंने नवनिर्मित पुल का निरीक्षण करते हुए स्टेट हाईवे को भी चालू करने का निर्देश दिया। इस मौके पर जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा‚ मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार‚ जल संसाधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल‚ तिरहुत प्रमंडल के आईजी पंकज सिन्हा‚ जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि वीरपुर में बिहार कोसी बेसिन विकास परियोजना के तहत निर्माणाधीन भौतिक प्रतिमान केंद्र का कार्य इस वर्ष दिसम्बर तक पूरा कर लिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को वीरपुर में निर्माणाधीन भौतिक प्रतिमान केंद्र का निरीक्षण करने के बाद अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि भौतिक प्रतिमान केंद्र का निर्माण कार्य जल्द पूर्ण करें। उन्हें बताया गया कि दिसम्बर तक निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि यह जब बनकर तैयार होगा‚ तो अपने आप में विशिष्ट होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भौतिक प्रतिमान केंद्र के शुरू होने से बाढ़ प्रबंधन और सिंचाई की योजनाओं के लिए नदियों से जुड़े जरूरी अध्ययन को कम समय में पूरा किया जा सकेगा। अब इसके लिए पुणे जाने की जरूरत नहीं होगी। इससे होने वाले खर्च में भी बचत होगी। उन्होंने कहा कि यहां नदियों के हाइड्रोलिक गुणों का अध्ययन किये जाने से बिहार के साथ–साथ दूसरे राज्यों को भी फायदा होगा। मुख्यमंत्री को जल संसाधन विभाग‚ वीरपुर के मुख्य अभियंता (फ्लड) ने बताया कि उनकी परिकल्पना के अनुरूप बिहार के परिपेक्ष्य में जल संसाधन के बेहतर उपयोग के उद्ेश्य से यहां उच्च कोटि के भौतिक प्रतिमान केंद्र (फिजिकल मॉडलिंग सेंटर) की स्थापना की जा रही है। नदियों के हाइड्रोलिक गुणों के अध्ययन के लिए यह पुणे के सेंटर वाटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन के बाद भारत का दूसरा संस्थान होगा। मुख्यमंत्री ने निरीक्षण के बाद पूर्वी कोसी तटबंध के पुनस्र्थापन एवं सुदृढ़ीकरण कार्य का भी निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें बताया गया कि स्पर का सुरक्षात्मक एवं पुनस्र्थापन कार्य पीवीसी कोटेड गैबियन बॉक्स में बोल्डर डालकर किया जा रहा है ताकि तटबंध सुरक्षित रहे। उल्लेखनीय है कि जल विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में इस तरह का उन्नत संस्थान दुनिया के गिने–चुने देशों में ही है। १०८.९३ करोड़ रुपये की लागत से इस भौतिक प्रतिमान केंद्र का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। शुरू में यहां कोसी नदी से संबंधित अध्ययन किया जायेगा‚ लेकिन बाद में बिहार एवं पड़ोसी राज्यों की अन्य नदियों से जुड़े डाटा इक_ा कर उनके जल संचयन और प्रवाह क्षमता आदि की जानकारी जुटाई जायेगी। इस केंद्र में कोसी नदी का भौतिक प्रतिमान‚ कोसी बराज का प्रतिमान मुख्य रूप से रहेगा।
साथ ही राज्य की अन्य नदियों के लिए चार मॉडल ट्रे का निर्माण किया जा रहा है‚ जिससे अन्य सभी नदियों का भी मॉडलिंग कार्य किया जा सकेगा। निरीक्षण के दौरान जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा‚ पर्यावरण‚ वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार सिंह‚ मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार‚ जल संसाधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल‚ कोसी प्रमंडल के आयुक्त गोरखनाथ‚ कोसी क्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक शिवदीप लांडे‚ सुपौल के जिलाधिकारी कौशल कुमार और पुलिस अधीक्षक अमरकेश डी. सहित अन्य वरीय अधिकारी मौजूद थे।