अमेरिका पर खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत पूरी तरह से चरितार्थ हो रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) पर भारत के तटस्थ रुख से बौखलाए अमेरिका ने मानवाधिकारों (Human Rights) के हनन की आड़ लेकर भारत को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है. 2021 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसः इंडिया नाम की इस रिपोर्ट में पुलिस द्वारा मनमानी गिरफ्तारी, हिरासत में मौत, अल्पसंख्यकों के खिलाफ धार्मिक हिंसा, अभिव्यक्ति की आजादी, मीडिया पर प्रतिबंध, पत्रकारों पर मुकदमे और हद से ज्यादा प्रतिबंधात्मक कानूनों पर चिंता व्यक्त कर भारत (India) को कठघरे में खड़ा किया गया है. यह अलग बात है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने इस रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए शठे शाठ्यम समाचरेत वाले अंदाज में जवाब दिया है. एस जयशंकर ने कहा है कि भारत की भी अमेरिका में हो रहे मानवाधिकारों के हनन पर गहरी नजर है.
ब्लिंकन ने कहा था भारत की चिंताजनक घटनाओं पर नजर है
गौरतलब है कि भारत-अमेरिका के बीच चौथे सत्र की टू प्लस टू वार्ता के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका भारत में हो रहे कुछ हालिया चिंताजनक घटनाक्रम पर नजर बनाए है, उन्होंने कुछ सरकारी, पुलिस और जेल अधिकारियों की मानवाधिकार उल्लंघन की बढ़ती हुई घटनाओं का जिक्र किया था. गौरतलब है कि अमेरिका की मानवाधिकार हनन रिपोर्ट में फरवरी 2021 में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि, मानवाधिकार कार्यकर्ता हिदमे मरकाम और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी का जिक्र किया गया है. इसके अलावा भीमा कोरेगांव प्रकरण में निरुद्ध किए गए 15 कार्यकर्ताओं को जमानत से इनकार समेत 81 वर्षीय कवि वरवर राव और स्टेन स्वामी का भी जिक्र किया गया है. पेगासस को लेकर भी मोदी सरकार पर निजता का उल्लंघनका आरोप भी लगाया गया है.
भारत बोलने से कभी पीछे नहीं हटेगा
अमेरिका यात्रा की समाप्ति पर पत्रकारों से बातचीत में जयशंकर ने कहा कि टू प्लस टू बातचीत में दोनों देशों के बीच मानवाधिकार के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई. भारत-अमेरिका के बीच यह बातचीत प्रमुखता से राजनीतिक और सैन्य मामलों पर केंद्रित थी. हालांकि एस जयशंकर ने यह जरूर कहा कि इस मसले पर ब्लिंकन की भारत यात्रा के दौरान चर्चा हुई थी, जिसमें हमने अपना रुख स्पष्ट कर दिया था. भारत ने साफ कहा था कि अमेरिका में भारतीयों के साथ हो रहे मानवाधिकारों हनन पर चिंता व्यक्त की थी. खासकर न्यूयॉर्क में दो सिखों के साथ पेश आए घटनाक्रम पर भारत ने बेबाक राय रखी थी. आगे भी ऐसे किसी मसले पर जब चर्चा होगी, तो हम बोलने से पीछे नहीं हटेंगे. एक खास लॉबी और वोट बैंक के फेर में इस तरह की बातें सामने लाई जाती हैं.