रविचंद्रन अश्विन गजब के स्पिन गेंदबाज हैं और वह अपनी गेंदबाजी से अक्सर सुर्खियां बटोरते रहते हैं। हालांकि कभी–कभी बल्ले से भी कमाल करते हैं। वह आईपीएल–15 के दौरान भी सुर्खियां बटोर रहे हैं पर इस बार इसकी वजह उनकी गेंदबाजी का कमाल होने के बजाय क्रिकेट के एक नियम का इस्तेमाल है। वह इस नियम का आईपीएल में इस्तेमाल करने वाले पहले खिलाड़़ी हैं‚ इसलिए वह चर्चा में हैं।
लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ मैच में राजस्थान रॉयल्स के शुरुआती विकेट जल्दी गिर जाने पर अश्विन को छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने को भेजा गया। उन्होंने जब २३ गेंदों में २८ रन बनाए तो उन्हें लगा कि थकान के कारण वह तेजी से रन नहीं बना पा रहे हैं तो उन्होंने रिटायर्ड़ आउट का विकल्प चुना। इसका परिणाम यह हुआ कि रियान पराग के आने से शिमरन हेटमायर उनके साथ तेजी से रन बना सके। अश्विन १९वें ओवर की दो गेंदें खेलने के बाद लौटे और उस समय स्कोर १३५ रन था और उनके फैसले के बाद स्कोर १६५ तक पहुंच गया अैर बाद में राजस्थान रॉयल्स के तीन रन से विजय पाने से यह तो साफ है कि अश्विन का फैसला कारगर रहा। अब यह नियम अन्य टीमों को भी आकर्षित कर सकता है। अश्विन ने रिटायर्ड़ आउट का फैसला करके क्रिकेटरों के सामने नई राह खोल दी है। भले ही इस मामले में कुछ लोग पक्ष में और कुछ विपक्ष में बोल रहे हैं।
पर सवाल यह है कि जब कोई नियम है तो उसका इस्तेमाल कैसे गलत हो सकता हैॽ अश्विन द्वारा क्रिकेट में पहली बार इस नियम का इस्तेमाल नहीं किया गया है। राजस्थान रॉयल्स के कोच कुमार संगकारा खुद इस नियम का इस्तेमाल करने वाले रह चुके हैं। यह बात २००१ की है। टेस्ट मैच में बांग्लादेश की पहली पारी ९० रन पर समेटने के बाद जब श्रीलंका के लिए मरवन अटापट्टू २०१ रन और महेला जयवर्धने १५० रन बना चुके थे‚ तब दोनों को कप्तान कुमार संगकारा ने वापस बुला लिया था और उनके नाम के आगे रिटायर्ड़ आउट लिखा गया था। क्रिकेट में इस तरह के कुछ और भी उदाहरण हैं। पर यह सभी फैसले किसी रणनीति के तहत नहीं लिये गए थे‚ जैसा अश्विन ने किया है। किसी खिलाड़़ी क चोटिल या अन्य किसी समस्या के लौटने पर उसके नाम के आगे रिटायर्ड़ नॉट आउट लिखा जाता है और वह अंपायर की अनुमति से फिर से बल्लेबाजी भी कर सकता है। अश्विन के रिटायर्ड़ आउट होने का नियम अपनाने और उसका टीम को फायदा होने पर अब इस नियम का इस्तेमाल करते और भी खिलाड़़ी नजर आ सकते हैं। अश्विन असल में इंजीनियर हैं। इसलिए उनका दिमाग भी काफी तेज चलता है। वह इससे पहले इंग्लैंड़ के क्रिकेटर जोस बटलर को अंतरराष्ट्रीय मैच में ‘मांकडिं़ग’ करके सुर्खियां बटार चुके हैं। उस समय उनके खिलाफ तमाम क्रिकेटरों ने नैतिकता का सवाल भी उठाया था। पर अश्विन ने हमेशा कहा कि उन्होंने कोई नियम विरुद्ध काम नहीं किया। बाद में आईसीसी के लिए क्रिकेट के नियम बनाने वाली संस्था ‘मेरिलबोन क्रिकेट क्लब’ ने नॉन स्ट्राइकर छोर वाले बल्लेबाज को इस तरह रन आउट करने का नियम को अनुचित की श्रेणी से बाहर भी कर दिया। इस बारे में क्रिकेट के नियम क्या कहते हैं– नियम २५.४.२ के अनुसार कोई बल्लेबाज चोट‚ बीमारी या अपरिहार्य कारणों से मैदान से बाहर जाता है तो उसे रिटायर्ड़ नाटआउट की श्रेणी में रखा जाएगा। वहीं नियम २५.४.३ कहता है कि यदि कोई बल्लेबाज बिना किसी उचित कारण के लौटता है‚ तो उसे रिटायर्ड़ आउट माना जाएगा। बाद में राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सेमसन ने कहा‚ ‘यह फैसला राजस्थान रॉयल्स टीम के लिए लिया गया था। हम इस बारे में सीजन से पहले भी बात कर चुके हैं। हमारा मानना था कि यदि इस तरह के हालात बनते हैं तो हम इस नियम को अपनाएंगे।’ कप्तान की तरह ही कोच कुमार संगकारा ने भी कहा कि मैच में यह फैसला लेने का सही समय था। अश्विन ने यह फैसला खुद ही लिया। हम इससे पहले यह चर्चा कर चुके थे कि इन हालात में क्या करना चाहिए।
वेस्टइंड़ीज के पूर्व गेंदबाज इयान बिशप ने इस बारे में ट्वीट किया कि अश्विन का रिटायर्ड़ आउट होना शानदार टी–२० रणनीति है। टी–२० हमें २१वीं सदी में खेल की कल्पना करने के तरीकों पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित कर रहा है। ऐसा लगता है कि अश्विन के मांकडिंग नियम को अपनाने के बाद जिस तरह आईसीसी ने इसे अनैतिक की श्रेणी से हटा दिया। उसी तरह अब आईपीएल में या अंतरराष्ट्रीय मैचों में टीमें इस नियम का इस्तेमाल करके अपने जीतने की संभावनाएं बढ़ाने का प्रयास करती हैं तो निश्चय ही इस नियम के इस्तेमाल की आलोचना करने वालों की संख्या में कमी आ जाएगी। इसका टीमों को फायदा यह होगा कि वह एक–एक गेंद का अपने पक्ष में इस्तेमाल कर सकेंगी। ऐसा होने पर यह नियम भी आम नियमों की तरह स्वीकार किया जाने लगेगा। फिलहाल तो अश्विन ने इस नियम का इस्तेमाल करके बाकी टीमों की हौसलाअफजाई तो की है।