बिहार विधानसभा अध्यक्ष के साथ हुई बदसलूकी का मामला तुल पकड़ने लगा है। कई विधायकों ने इस मामले को लेकर यदा कदा विधानसभा में हंगाम करते रहे। आज जैसे ही विधानसभा की कार्रवाई शुरू हुई अध्यक्ष के खिलाफ मनगठंत कार्रवाई करने वाले दारोगा और डीएसपी को निलंबित करने की मांग को लेकर हंगामा शुरू हो गया।
जानकारों का मानना है कि इस मामले की जांच डीजीपी ने मुंगेर के डीआइजी को दिया था। डीआइजी ने अपनी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेज दी। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से बिहार विधानसभा अध्यक्ष खासे नाराज हैं। यहां बता दें कि विधनसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, लखीसराय क्षेत्र के रहने वाले हैं, यहां के विधायक हैं, उनका आरोप है कि इसी जिले का एक दारोगा और डीएसपी ने उनके साथ बदसलूकी की।
राजनीति गलियारों में इस बात की चर्चा है कि दारोगा और डीएसपी को एक राजनीतिक पार्टी का संरक्षण प्राप्त है। परिणामस्वरूप यह लड़ाई अब मूंछ की लड़ाई हो गई है। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष काफी गंभीर हैं। यह मामला विधानसभा अध्यक्ष के विधानसभा क्षेत्र लखीसराय का है। फिलहाल इस मामले की जांच विधानसभा की एक समिति भी कर रही है। आज के बावल के बाद यह संभावना व्यक्त की जा रही है समिति जल्द ही जांच पूरी हो जाएगी। जांच रिपोर्ट के बाद ही कार्रवाई संभव है।
यहां बता दें कि यह मामला आज भी विधानसभा में उठा। इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खासे नाराज हो गए। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को संविधान के दायरे में रहकर काम करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मामला अदालत का है, पुलिस का है। इसे क्यों बार-बार विधानसभा के पटल पर लाया जा रहा है। उन्होंने विस अध्यक्ष को कहा कि सदन संविधान के दायरे में रहकर चलाएं। यह घटना की लगातार यहां चर्चा हो रही है।
नीतीश के शब्दबाण से आहत विजय सिन्हा
जब स्पीकर विजय सिन्हा विधानसभा नहीं पहुंचे तो कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में बीजेपी के पूर्व मंत्री प्रेम कुमार ने आसन संभाला। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई, बीजेपी से ज्यादा अब इसे विपक्ष ने मुद्दा बना लिया है। विजय सिन्हा सोमवार को भी बहस के बाद सदन की कार्रवाई अधूरी छोड़ कर चले गए थे। दरअसल जिस तरह से सीएम नीतीश ने उनपर संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाया उससे विजय सिन्हा बुरी तरह से आहत हो गए। मंगलवार को भी विधानसभा की कार्यवाही को इसी वजह से हुए हंगामे के कारण दो बार स्थगित करना पड़ा।
विपक्ष ने काली पट्टी बांधकर अध्यक्ष को दिया समर्थन
इस घटना के बाद विपक्ष ने भी मोर्चा खोल दिया। अब विपक्ष बीजेपी की तरह ही अध्यक्ष के समर्थन में आ गया है। मंगलवार को जब सदन शुरू हुआ तो आरजेडी समेत विपक्ष के सारे सदस्य काली पट्टी बांधकर सदन में पहुंचे और अपना विरोध जाहिर कर दिया। इसके बाद सदन में ही विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी की और बिहार में तानाशाही शासन चलाने का नया मुद्दा छेड़ दिया। विपक्षी का कहना था कि सोमवार को सीएम नीतीश ने जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल सदन के अध्यक्ष के लिए किया वो मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता है। अध्यक्ष किसी एक पार्टी का नहीं बल्कि पूरी विधानसभा का होता है और उसका सम्मान सबको करना होगा।
उधर नीतीश के मंत्री की अजब दलील
इधर नीतीश कुमार के खासमखास और शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने इस मामले में अलग ही दलील दे दी। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश ने सोमवार को सदन में विधायिका और कार्यपालिका के अपने-अपने कार्यक्षेत्र और सीमाओं की जानकारी भर दी थी। विजय चौधरी, जो खुद भी विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं, ने ये दलील दी कि मुख्यमंत्री ने आसन से ससम्मान हाथ जोड़कर अपनी बात रखी थी। इस पर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि नीतीश ने किस तरह से हाथ जोड़कर अपनी बात रखी वो सदन और पूरे बिहार ने देखा।