वर्ष 2022 बिहार के सियासी दलों के साथ-साथ गठबंधन के लिहाज़ से भी बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है. ख़ासकर महागठबंधन के लिए नया साल बेहद खास हो सकता है. इसकी परीक्षा स्थानीय निकाय कोटे से होने वाले विधानपरिषद चुनाव में होगी. बिहार में विधानसभा की 2 सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस और राजद के बीच दूरियां बढ़ीं और तकरार की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. अब नए साल में राजद और कांग्रेस दोनों की कोशिश होगी की पुरानी दोस्ती को किसी तरह से फिर से पटरी पर लाया जाए.
दरअसल, कांग्रेस ने विधानसभा उपचुनाव में कुशेश्वरस्थान सीट राजद से मांगी थी, लेकिन तब लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने कांग्रेस को सीट देने से साफ़ इंकार कर दिया था. यही नहीं बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास पर उनके दिए एक बयान ने कांग्रेस को नाराज़ भी कर दिया था. उस वक्त कांग्रेस प्रभारी ने कहा था कि उपचुनाव के बाद राजद से गठबंधन की समीक्षा होगी. उपचुनाव परिणाम के बाद राजद को भी अहसास हुआ की कांग्रेस से दूरी उसके लिए ठीक नही है. ऐसे में लालू की पार्टी ने बिना देर किए पहल करते हुए विधानपरिषद की 24 सीट पर कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दोस्ती की शुरुआत कर दी है.
‘कांग्रेस हर परिस्थिति के लिए तैयार’
लालू यादव के पहल के बाद कांग्रेस ने भी सकारात्मक रुख़ दिखाया है. बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने लालू यादव की पहल को सकारात्मक बताया है. साथ ही कहा कि अंतिम फ़ैसला आलाकमान को लेना है. उनका जो फ़ैसला होगा बिहार कांग्रेस को मान्य होगा. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस हर परिस्थिति के लिए तैयार है.