स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि अब आशा की बहनें नवजात की देखभाल उनके घर पर ही करेंगी। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर दक्ष बनाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से आशा कार्यकर्ताओं को अलग–अलग बैच में प्रशिक्षित किया गया है‚ ताकि नवजात की देखभाल में कोई कमी न रह पाए। राज्यभर में अभी ८५ हजार आशा कार्यरत हैं। मोड्यूल ६ एवं ७ के लिए प्रशिक्षण पूर्ण कर लिए गये हैं‚ जिसमें ५७ प्रतिशत आशाओं को हाल के दिनों में प्रशिक्षित किया गया। श्री पांडेय ने कहा कि अब तक ६ एवं ७ मोड्यूल में २८४२ में से १६१२ आशाओं को प्रशिक्षित कर लिया गया है।
२०२१–२२ में ५७ प्रतिशत आशाओं के प्रशिक्षण के लक्ष्य के विरुद्ध विभाग ने ८० प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति की। इसे गति देने के लिए राज्यभर में एचबीएनसी किट का भी वितरण किया गया है। २०२१ में लक्ष्य के अनुरूप विभाग ने सौ प्रतिशत लक्ष्य की प्रप्ति की है। इस साल ९० हजार किट वितरण करना था‚ जिसे सितम्बर माह तक पूर्ण कर लिया गया है। आशा नवजात के घर ४२ दिनों के अंदर ६ से ७ बार दौरा करती है। श्री पांडेय ने कहा कि सितम्बर माह तक ८ लाख ३३ हजार ५७ नवजात के विरुद्ध ५ लाख ३९ हजार ६९५ बच्चों के घरों का दौरा आशाओं ने पूर्ण किया है। विभाग ने ९० प्रतिशत के लक्ष्य के विरुद्ध ६५ प्रतिशत की लक्ष्य प्राप्ति की। यह दौरा प्रथम चरण में राज्य के १३ अेकांक्षी जिलों में किया गया है। विभाग की कोशिश है कि राज्य में जो भी बच्चे जन्म लेते हैं. उनके जन्म के बाद समुचित देखभाल हो। सरकारी स्तर पर जो मदद उन्हें प्रदान की जाती है। उसका समुचित लाभ उन्हें मिले और किसी प्रकार की कोई कठिनाई न आए।