वर्ष 2005 से बिहार की सत्ता पर पिछले 17 वर्षों से काबिज सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पश्चिमी चम्पारण जिला से लगाव काफी पुराना है। बिहार में २००५ के विधान सभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नही मिलने पर सीएम नीतीश ने सूबे की जनता से न्याय मांगने के लिये पहली बार १२ जुलाई २००५ को न्याय यात्रा का आगाज पश्चिमी चम्पारण जिला से ही किया और बिहार की जनता ने न्याय करते हुए नवंबर में विधान सभा चुनाव मे पूर्ण बहुमत के साथ उन्हें सूबे की गद्ी पर बिठाया। इसके बाद सीएम नीतीश की कई यात्राएं अनवरत जारी रही और उनकी अधिकांश यात्राओं की शुरुआत पश्चिमी चंपारण जिला से ही शुरू हुई। ९ जनवरी २००९ को विकास यात्रा‚ १७ जून २००९ को धन्यवाद यात्रा‚ २५ दिसंबर २००९ को प्रवास यात्रा‚ २८ अप्रैल २०१० को विश्वास यात्रा‚ ०९ नवंबर २०११ को सेवा यात्रा‚ १९ सितंबर २०१२ को अधिकार यात्रा‚ ०५ मार्च २०१४ को संकल्प यात्रा‚ १३ नवंबर २०१४ को संपर्क यात्रा‚ वर्ष २०१६ में निश्चय यात्रा‚ वर्ष २०१७ में विकास कायोंर् की समीक्षा यात्रा समेत अब तक कुल १२ यात्राओं के जरिए सीएम नीतीश जनता से सीधा संवाद करने के साथ–साथ सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं और विकास कार्यों को धरातल पर उतरता देख चुके हैं। पश्चिमी चंपारण जिले के सूरत बदलने की दिशा में भी इनकी यात्राएं कारगर साबित हुई और चम्पारण के पर्यटन स्थलों के विकास की दिशा में भी सार्थक पहल हुई। अब इधर वाल्मीकिनगर में कैबिनेट की बैठक के उपरांत २२ दिसम्बर से सीएम नीतीश के समाज सुधार अभियान का आगाज भी चम्पारण की धरती से ही हो रहा है जो कई नए आयाम लिखने का काम भी बखूबी करेगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बेहद पसंद है चंपारण की धरती‚ १२ ऐतिहासिक यात्राओं में अधिकतर की शुरूआत चंपारण से ही हुई ।
इन 12 यात्राओं में सबसे खास बात यह है कि सबकी शुरुआत चंपारण से की है। आखिर क्या वजह है कि मुख्यमंत्री अपनी यात्रा की शुरुआत चंपारण से ही करते हैं। कभी अपनी यात्रा की शुरुआत पश्चिमी चंपारण से करते हैं तो कभी पूर्वी चंपारण से। जानिए, क्या है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ‘चंपारण फैक्टर’।
JDU प्रवक्ता बोले- गांधी की धरती है चंपारण
मुख्यमंत्री के चंपारण फैक्टर पर JDU के प्रवक्ता अजय आलोक कहते हैं कि चंपारण महात्मा गांधी की धरती रही है। आंदोलन की धरती रही है। बदलाव की धरती रही है। मुख्यमंत्री का लगाव महात्मा गांधी से शुरू से ही रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महात्मा गांधी को अपना प्रेरणा स्रोत मानते हैं। महात्मा गांधी के बताए हुए मार्ग पर चलते हैं।
महात्मा गांधी ने 1917 से चंपारण से ही अपने आंदोलन की शुरुआत की थी। इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपनी यात्रा की शुरुआत चंपारण से ही करते हैं। मुख्यमंत्री मानते हैं, यहां दिया गया संदेश पूरे बिहार में, पूरे देश में फैलता है और उसका असर सकारात्मक होता है। इस बार भी मोतिहारी से समाज सुधार यात्रा की शुरुआत हो रही है।

CM ने अपनी यात्राओं की शुरुआत कब और कहां से शुरू की है –
न्याय यात्रा- 12 जुलाई 2005 – चंपारण
विकास यात्रा- 9 जनवरी 2009 – बगहा
धन्यवाद यात्रा- 17 जून 2009- चंपारण
प्रवास यात्रा- 25 दिसंबर 2009 – वाल्मीकिनगर
विश्वास यात्रा- 28 अप्रैल 2010- पश्चिमी चंपारण
सेवा यात्रा- 9 नवंबर 2011 – पश्चिमी चम्पारण जिले के बगहा से
अधिकार यात्रा- 19 सितंबर 2012 -पश्चिमी चंपारण जिले से
संकल्प यात्रा- 5 मार्च 2014 – चंपारण
संपर्क यात्रा- 13 नवंबर 2014 – बेतिया से
निश्चय यात्रा- 9 नवंबर 2016 – पश्चिमी चंपारण जिले के नरकटियागंज
विकास कार्यों की समीक्षा यात्रा- 12 दिसंबर 2017 – पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा
जल-जीवन-हरियाली यात्रा- 3 दिसंबर 2019 – पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा से
पश्चिमी चम्पारण जिले के वाल्मीकिनगर में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के लिए पहुंचे सीएम नीतीश ने टैम्पल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इको टूरिज्म के तहत क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाने के उद्ेश्य से ६ बैट्री ई–रिक्शा तथा पर्यटकों को बेतिया जिला मुख्यालय से वाल्मीकिनगर लाने के लिए एक मिनी ट्रेवलर बस को हरी झंड़ी दिखाते हुए रवाना किया। इस दौरान सीएम नीतीश कुमार समेत मंत्रियों और अधिकारियों ने इको पार्क का भी जायजा लिया तथा वाल्मीकि गंड़क नदी में नौकायन करने के साथ–साथ जंगल सफारी करके वाल्मीकिनगर की प्राकृतिक सुंदरता को भी काफी करीब से देखा तो वही करीब १०४ करोड़ की लागत से बनने वाले बहुद्ेश्यीय कन्वेंसन सेन्टर के लिए चयनित स्थल पर पहुंच कर विभागीय अधिकारियों से विचार–विमर्श कर कई महत्वपूर्ण आवश्यक दिशा–निर्देश भी दिए।