पाकिस्तान अफगानिस्तान के घटनाक्रम की ड़ोर अपने हाथ में रखना चाहता है। इसी क्रम में उसने सऊदी अरब के प्रस्ताव पर ओआईसी (इस्लामिक सहयोग संगठन) के नेताओं की बैठक बुलाई। इन नेताओं ने अफगानिस्तान में बदतर होती मानवीय स्थिति को स्वीकार किया और अफगान अवाम को मानवीय सहायता देने के लिए विभिन्न देशों ने एक ट्रस्ट की स्थापना की। पाकिस्तान ओआईसी देशों को अफगानिस्तान को राजनयिक मान्यता देने के लिए मना रहा है। पिछले ४ महीनों के दौरान तालिबान हुकूमत को न तो किसी देश ने राजनयिक मान्यता दी है‚ और न ही विभिन्न देशों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ने उसे मिलने वाली अरबों डॉलर की आर्थिक मदद और उसकी संपत्तियों पर से रोक हटाई है। तालिबान हुकूमत के सामने भी अब यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मामलों में उसकी ज्यादा मदद नहीं कर सकता। यही कारण है कि पाकिस्तान सरकार देश में अपनी साख और प्रभाव मजबूत बनाए रखने की कवायद कर रही है। इस्लामाबाद में ओआईसी बैठक का यही उद्देश्य था। बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दुनिया के देशों से अफगान अवाम की मदद करने का आह्वान किया। चेतावनी दी कि तत्काल मदद नहीं की गई तो अफगानिस्तान में अव्यवस्था फैल जाएगी। लेकिन दूसरी ओर पाकिस्तान अफगानिस्तान की सहायता के लिए भारत की ओर से ५०००० टन खाद्यान्न ले जाने की पेशकश के संबंध में आनाकानी कर रहा है। इस संबंध में तालिबान नेताओं ने पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया था कि खाद्यान्न आपूर्ति के लिए वह अपने सड़क मार्ग के उपयोग की अनुमति दे। लेकिन इमरान सरकार ने मानवीय सहायता के आधार पर की गई पेशकश पर अनेक शर्तं लगाई हैं। वास्तव में पाकिस्तान की यह दोहरी नीति है। एक ओर तो पाकिस्तान दिखाना चाहता है कि अफगानिस्तान का वह सबसे बड़ा हितैषी है‚ और दूसरी ओर भारत की ओर से भेजी जा रही राहत सामग्री को काबुल पहुंचाने नहीं दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अनुसार अफगानिस्तान में करीब ढाई करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। नागरिक सुविधाओं के अभाव के साथ ही वहां चिकित्सा प्रणाली भी ठप होने के कगार पर है। राहत एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान को पर्याप्त दवाइयां और चिकित्सा सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई तो वहां बड़ी संख्या में लोगों के मरने की आशंका है। भारत ने पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन के जरिए दवाइयां और चिकित्सा सामग्री भेजी है। आने वाले दिनों में वह यह काम जारी रखना चाहता है। तालिबान शासक अफगान अवाम के मानवीय संकट को दूर करना चाहते हैं‚ तो उसे पाकिस्तान के शिकंजे से मुक्त होना होगा।
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