उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि साहित्यकार समाज के श्रेष्ठ लोग होते हैं। वे जो लिखते हैं‚ उससे समाज बदलता है। इसीलिए साहित्यकार का स्थान समाज में श्रेष्ठ है। वे राजधानी के बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में बिहार एजूकेशनल रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट संस्थान के तवावधान में प्रधानमंत्री के जन्मोत्सव पर आयेजित समारोह में शिरकत कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने साहित्यकारों को ‘बिहार साहित्य गौरव सम्मान’ से सम्मानित भी किया। उप मुख्यमंत्री ने लेखक अमरेन्द्र कुमार के कथा–संग्रह ‘समसामयिक कहानियां’ का लोकार्पण भी किया। सम्मानोत्सव की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि इस मांगलिक अवसर पर‚ जो कि भारत की स्वतंत्रता के अमृत वर्ष में आयोजित हो रहा है‚ प्रधानमंत्री को चाहिए कि वो देश को‘राष्ट्रभाषा’ का उपहार दें। यह अत्यंत दुर्भाग्य और अपमान का विषय है कि देश की अपनी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। देश को एक सूत्र में जोडने वाली भाषा हिन्दी को अविलम्ब राष्ट्रभाषा घोषित किया जाना चाहिए।
इन्हें मिला सम्मान
डॉ. शिववंश पांडेय‚ मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’‚ डॉ. शंकर प्रसाद ‚ डॉ. मधु वर्मा‚ डॉ. कल्याणी कुसुम सिंह‚ डॉ. भूपेन्द्र कलसी‚ बच्चा ठाकुर‚ पूनम आनंद‚ डॉ. मेहता नगेंद्र सिंह‚ आराधना प्रसाद‚ डॉ. मंगला रानी‚ पं. गणेश झा‚ डॉ. सुलमी कुमारी‚ कुमार अनुपम‚ डॉ. शलिनी पांडेय‚ डॉ. अर्चना त्रिपाठी‚ सागरिका राय‚ सुनील कुमार दूबे‚ डॉ. मनोज गोवर्द्धनपुरी‚ डॉ. उमा शंकर सिंह‚ पंकज प्रियम‚ सुरेश रूंगटा‚ नीता सिन्हा‚ शमा कौसर ‘शमा’‚ डॉ. विनय कुमार विष्णुपुरी और शिल्पी मित्रा को ‘बिहार साहित्य गौरव सम्मान’ से विभूषित किया गया। इस अवसर पर विधान पार्षद संजय मयूख‚ सुरेश रुंगटा‚ राजेश वर्मा‚ अशोक भ^ तथा पुस्तक के लेखक अमरेन्द्र कुमार ने भी विचार व्यक्त किए।