सावन शुक्ल प्रतिपदा को सावन के तीसरे और शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार पर अश्लेषा नक्षत्र एवं वरीयान योग का युग्म संयोग पड रहा है। श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ तथा माता पार्वती की विधिवत पूजा–अर्चना करेंगे। कामनाओं की पूर्ति के लिए विविध पदार्थों से शिवार्चन कर स्तुति पाठ भी किया जायेगा। वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से रोकथाम के लिए सरकार ने सभी मंदिर‚ शिवालय एवं अन्य धार्मिक स्थलों को बंद रखा है। इसके बावजूद भक्तों का उत्साह अपने आराध्य देव को लेकर चरम पर है। मंदिरों में जन कल्याण की सुख–समृद्धि के लिए केवल पुजारी ही पूजा अनुष्ठान कर रहे हैं। संध्या बेला में अलौकिक शिव श्रृंगार कर विशेष आरती मंगल हो रहा है। विद्युत बल्ब और फूल माला से मंदिरों को सजाया गया है।
विभिन्न पंचांगों के हवाले से बताया गया है कि आज श्रावण शुक्ल प्रतिपदा को सावन का तीसरा तथा शुक्ल पक्ष का पहला सोमवारी अश्लेषा नक्षत्र एवं वरीयान योग में पड रहा है। इस नक्षत्र के स्वामी सर्प होते हैं। वहीं वरीयान का अर्थ है अपेक्षात श्रेष्ठ। इस योग में किया गया कार्य निर्विघ्न सफल होता है। आज महादेव की पूजा के बाद स्तुति व प्रार्थना करने से स्वास्थ्य लाभ तथा मनोरथ पूर्ण होंगे।
सीमित संसाधनों में शिवार्चन
कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सबके मन में भय की स्थिति बनी हुई है। इस बार सावन में भोलेबाबा की आराधना व पूजन सीमित संसाधनों में ही की जा रही है। घरों में ही पार्थिव शिवलिंग‚ स्फटिक शिवलिंग या नर्मदेश्वर शिवलिंग पर जलार्पण‚ अक्षत‚ चंदन‚ बेलपत्र‚ भांग‚ धतूरा‚ धूप–दीप आदि से आज तीसरी सोमवारी पर शिव भक्त शिवार्चन करेंगे। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन‚ शुद्ध अंतःकरण से सिर्फ जल चढाने से भी महादेव प्रसन्न हो जाते हैं।
कुंवारों के लिए खास
इस सोमवारी कुंवारों के लिए खास संयोग है। शिव की सच्चे मन से पूजा करने से उनका विवाह शीघ्र हो जायेगा। जलाभिषेक‚ रुद्री पाठ तथा ओम नमः शिवाय का जाप करने से शिव जी मनचाहा वरदान भी देंगे। जो विवाहित हैं उन्हें सुखमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इस सोमवारी पर रुद्राभिषेक‚ शिवसहस्रनाम‚ शिव पंचाक्षर‚ शिव महिम्न‚ रुद्राष्टक‚ शिव कवच तथा शिव तांडव स्त्रोत्र का १०८ बार पाठ करने से दरिद्रता का हस और शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी। पुत्र प्राप्ति के लिए दूध व घी से अभिषेक तथा धतूरे का फूल चढ़ाये। दीर्घायु के लिए अकावन का फूल‚ सुख प्राप्ति के लिए हरसिंगार का पुष्प‚ शत्रु नाश के लिए घी व सरसों तेल से अभिषेक तथा कुसुम का फूल‚ सुयोग्य पत्नी के लिए बेला का फूल‚ मोक्ष प्राप्ति के लिए आक‚ अलसी या समीपत्र तथा लIमी प्राप्ति के लिए दूध व ईख रस से अभिषेक तथा शंख पुष्प अर्पित करें।