बडे आदमी बडे नखरे। बडे धंधे बडे नखरे। पहले क्रिकेट खरीदी और बेची। क्रिकेट का बिजनेस मैनेज न हो सका तो पोर्न के धंधे में आ गए। बडे आदमी बडे धंधे। खुद कंपनी चलाते हैं। पत्नी जी ‘शेंपू’ और ‘योगा’ बेचती रहती हैं। पहले फिल्मों में हीरोइन हुआ करती थीं। कुछ फिल्में जम के चलीं भी। फिर ‘किस कांड़’ से चर्चित रहीं। अब ‘पोर्न कांड’ से चरचा में हैं। यह पोर्न कांड अंतिम परिणति तक पहंचेगा भी कि नहीं‚ इस बाबत कुछ नहीं कहा जा सकता। हमारा आपका अनुभव भी यही कहता है कि बॉलीवुड में हाथ डालकर पुलिस खबर तो बडी बनाती है‚ लेकिन ज्यों–ज्यों वक्त गुजरता है त्यों–त्यों बडी मछलियां छूट जाती हैं। अंत में हर केस मैनेज कर लिया जाता है। सुशांत सिंह राजपूत की ‘हत्या/आत्महत्या’ की कहानी अंततः नारकोटिक्स की दिशा में लुढक गई और नशे के अवैध कारोबार के आरोप में जो पकडे गए उनके यहां से उतना ही नशा पकडा गया जिससे कोई संगीन केस न बने। इस मामले में अभी छोटी मछलियां फंसी हैं। जरा पोर्न फिल्में बनाने के आरोपों की कहानी को देखें‚ जिसे मैनेज करने की कोशिश जारी है।
कुंद्रा पर आरोप है कि वे ‘पोर्न फिल्म’ बनाते हैं और लोगों को ‘विशेष एप’ बेचकर अवैध तरीके से करोड़़ों कमाते हैं। आरोप हैं कि फिल्मी हीरोइन बनाने के बहाने नई लडकियों को धोखा देते रहे। अपनी कंपनी के विज्ञापनों में पत्नी शिल्पा शेट्टी का फोटो छापकर अपने धंधे को विश्वसनीय बनाते रहे। रातोंरात हीरोइन बनने के लालच में लडकियां ‘कांट्रेक्ट फार्म’ को भर देतीं। वादा होता कि एक लाख रुपये देंगे लेकिन देते दस–पंद्रह हजार। फिल्म आधी बन जाती तो कहते कि अब बोल्ड सीन करो‚ न्यूड सीन करो। लडकी मना करती तो ब्लैकमेल किया जाता। मीडिया ने ऐसी कई लडकियों की बातचीत सुनवाई।
शिल्पा ने कहा कि मीडिया उनकी ‘प्राइवेसी’ का हनन कर रहा है। उनका ‘पब्लिक ट्रायल’ कर रहा है। इसे बंद करे। बचाव में उन्होंने दूसरा तर्क दिया कि उनके पति की कंपनी ‘पोर्न’ नहीं बनाती‚ ‘इरोटिका’ बनाती है। अदालत ने उनकी प्राइवेसी की दलील नहीं मानी। उसका मानना रहा कि जो सेलिब्रिटी या पब्लिक फिगर होते हैं‚ प्राइवेसी की आड नहीं ले सकते.। एक चैनल पर इस अपील और उसकी खारिजी पर बहस में एक बेरोजगार साइड हीरो शिल्पा की ‘निजता के हनन’ पर मीडिया कोे कोसता रहा लेकिन कुछ ने कहा कि शिल्पा जैसी हीरोइनें मीडिया में ‘पब्लिक फिगर’ बनकर छाई रहती हैं। अपनी लाइफ स्टाइल बेचकर कमाई करती हैं। लाइफ स्टाइल बेचना गलत नहीं तो उनके जीवन का पब्लिक मीडिया में होना कैसे गलत हुआॽ
अपने और पति के बचाव में शिल्पा ने दूसरा तर्क दिया है कि कुंद्रा की कंपनी ‘पोर्न’ फिल्म नहीं बनाती‚ बल्कि‘इरोटिका’ बनाती है। अब केस का दारोमदार ‘पोर्न बरक्स इरोटिका’ के तर्क पर टिका है। ‘पोर्न’ अपने यहां कानूनन अपराध है‚ लेकिन ‘इरोटिका’ नहीं। ‘इरोटिका’ को बहुत से लोग ‘कला’ मानते हैं। सो‚ असली बहस ‘इरोटिका’ को लेकर होनी चाहिए कि वो क्या हैॽ ‘इरोटिका’ का मतलब है ‘काम भाव’ का ‘कलात्मक प्रदर्शन’। ‘कामोद्दीपन’‚ ‘कामोद्दीपक oश्य’ और ‘पोर्न’ का मतलब है साक्षात ‘सैक्सुअल एक्टिविटी’ का दृश्य जो सेक्स के लिए उत्तेजित करे। ‘पोर्नोग्राफी यानी पोर्न का शास्त्र। पोर्न से ही मिलता–जुलता शब्द है ‘न्यूडिटी’। मतलब है ‘नंगा शरीर’। लेकिन जरूरी नहीं हर नग्न देह कामात्तेजक हो।
इरोटिका’ और ‘पोर्न’ में क्या गुणात्मक फर्क हैॽ उसके विद्वान ही बता सकते हैं। हम तो इतना जानते हैं कि कामोद्दीपन को भले कला कहा जाता हो लेकिन सच में देखें तो ‘इरोटिका’ प्रकारांतर से ‘पोर्न’ का आधार तैयार करने वाला ‘प्रकार्य’ है। हमारी नजर में ‘पोर्न’ अगर ‘सेक्स दर्शन’ है‚ तो इरोटिका ‘सांढे का तेल’। ‘इरोटिका’ और ‘पोर्न’ में सिर्फ ‘तर’ और ‘तम’ का फर्क है। एक में ‘कामात्तेजना’ दिखाई जाती है। दूसरे में साक्षात् ‘कामुक एक्ट’। कहने की जरूरत नहीं कि इन दिनों ‘पोर्न इंडस्ट्री’ दुनिया की सबसे बडी इंडस्ट्री है और जब से ‘स्मार्टफोन’ और ‘पोर्न’ के ‘एप’ का चलन बढा है‚ तब से ‘पोर्न’ का मारकेट बहुत बढा है। एक आकलन के अनुसार दुनिया का सबसे बडा ‘पोर्न मारकेट’ भारत में ही है। यहां छोटे– छोटे बच्चे तक पोर्न को देखने के लती हो चले हैं। अनेक अपराध विशेषज्ञ बताते रहे हैं कि ‘स्मार्टफोनों’ में दिन रात उपलब्ध होती पोर्न सामग्री के दर्शन में और और ‘रेप’ के बढते केसों में गहरा संबंध है। ‘पोर्न दर्शन’ सेक्स की भूख पैदा करता है‚ और मर्दों को सेक्स के लिए आक्रामक बनाता है। ॥ जरूरी है कि इस तरह की ‘पोर्न इंडस्ट्री’ पर तत्काल अंकुश लगे।