पश्चिम बंगाल में एड़़ी चोटी लगाने के बाद भी ममता बनर्जी के सामने भाजपा को मिली हार से पार्टी को आगामी उत्तर प्रदेश समेत अन्य सभी चुनावों के लिए नयी रणनीति तैयार करने पर बाध्य कर दिया है। वहीं पश्चिम बंगाल में भाजपा की हार से बिहार समेत पूरे देश के विपक्षी दलों को ‘आक्सीजन’ मिल गया है। ताजा परिणाम से स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल में परिवर्तन नहीं ‘खेला’ हो गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी‚ गृह मंत्री अमित शाह व पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की संयुक्त सेना को अकेले परास्त कर दिया। कोरोना काल में सम्पन्न बिहार विधानसभा का चुनाव तो एनडीए की टीम ने जीत लिया था पर बंगाल में ममता ने नमो के विजय रथ को रोक लिया। इस चुनाव में बिहारवासी प्रशांत किशोर की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी। जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे प्रशान्त किशोर बंगाल में ममता बनर्जी के चुनावी प्रबंधन का काम देख रहे थे। पीके (प्रशांत किशोर) ने दावा किया था कि बीजेपी दहाई का अंक यानी ९९ का आंकडा पर नहीं कर पायेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि बीजेपी दहाई का आंकडा पार करने में सफल रही तो वह चुनावी प्रबंधक के कार्य से सन्यास ले लेंगे। पीके के लिए यह बडा दांव था। पश्चिम बंगाल में ममता की जीत से पीके का कद और बढ गया है। भाजपा ने बंगाल चुनाव जीतने के लिए एडी चोटी एक कर दिया था।
ममता के खास शुभेन्दु अधिकारी समेत कई प्रभावाशली नेताओं को भाजपा ने तोडकर पार्टी के पक्ष में जबर्दस्त हवा बनाने की कोशिश की थी पर ममता के आगे एक भी दांव नहीं चला। तृणमूल से भाजपा में आए दिग्गज नेता को ममता ने धूल चटा दिया। भाजपा ने अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती से भी प्रचार कराया। जय श्रीराम नाम का सहारा लिया। दरअसल‚ भाजपा ने पश्चिम बंगाल के चुनाव को जीतने के लिए सारी ताकत झोंक दी थी पर बंगाल को फतह नहीं कर सकी। देश के नमो विरोधी सभी पार्टियों के लिए पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की जीत संजीवनी देने वाली है । बिहार में महागठबंधन की हार के बाद विपक्षी दलों में उदासी छा गई थी‚ किंतु पश्चिम बंगाल में ममता की जीत से विपक्ष को ऑक्सीजन मिला है। वहीं भाजपा के लिए मंथन का समय आ गया है। वर्ष २०२२ के फरवरी महीने में उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होना है। भाजपा के सामने कई चुनौतियां हैं। किसान आंदोलन पहले से लठ लेकर खडा है। वहीं कोरोना का दंश जनता में बेचौनी पैदा कर रहा है। ऐसे में भाजपा को जनता के दुखों पर मरहम लगाने के लिए नई योजना लेकर आना होगा। पश्चिम बंगाल के साथ तमिलनाडु‚ असम‚ केरल व पुडुचेरी का भी चुनाव परिणाम आया है। पुडुचेरी में मात्र ३० सीटें हैं और यहां भाजपा समेत एनड़ीए सत्ता में आई है। लेकिन इससे छह गुना सीटों वाले तमिलनाडु में भाजपा और एआईडीएमके की टीम डीएमके और कांग्रेस की संयुक्त टीम से हार गई। केरल में भी नमो विरोधी एलडीएफ की जीत हुई। असम में भाजपा अपनी सरकार बचाने में कामयाब रही। पश्चिम बंगाल में राजद नेता तेजस्वी यादव ने खुलकर ममता बनर्जी का समर्थन किया था। कई स्थानों पर तेजस्वी ने ममता के पक्ष में चुनाव प्रचार किया। लिहाजा ममता की जीत से तेजस्वी समेत विपक्षी दलों को बडा बल मिला है। विपक्ष अब नए तेवर में एनड़ीए से मुकाबला के लिए चुनाव मैदान में कूद सकता है। माना जा रहा है कि वर्ष २०२४ में होने वाले लोकसभा चुनाव में नया समीकरण तैयार होगा।
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