सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता बेनतीजा संपन्न हो गई। किसान नेता तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े़ हैं। अगली बैठक १५ जनवरी को हो सकती है। किसान नेताओं ने सरकार से दो टूक कहा कि उनकी ‘घर वापसी’ तभी होगी जब वह इन कानूनों को वापस लेगी। सरकार ने कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग खारिज करते हुए इसके विवादास्पद बिन्दुओं तक चर्चा सीमित रखने पर जोर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का इंतजारः बैठक में वार्ता ज्यादा नहीं हो सकी और अगली तारीख सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में ११ जनवरी को होने वाली सुनवाई को ध्यान में रखते हुए तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट किसान आंदोलन से जुड़़े अन्य मुद्दों के अलावा तीनों कानूनों की वैधता पर भी विचार कर सकता है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर‚ रेलवे‚ वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश करीब ४० किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में वार्ता कर रहे थे। एक किसान नेता ने बैठक में कहा‚ ‘हमारी ‘घर वापसी’ तभी होगी जब इन ‘कानूनों की वापसी’ होगी।’ एक अन्य किसान नेता ने बैठक में कहा‚ ‘आदर्श तरीका तो यही है कि केंद्र को कृषि के विषय पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों में कृषि को राज्य का विषय घोषित किया गया है। ऐसा लग रहा है कि आप (सरकार) मामले का समाधान नहीं चाहते हैं। ऐसी सूरत में आप हमें स्पष्ट बता दीजिए। हम चले जाएंगे। क्यों हम एक दूसरे का समय बर्बाद करें।’
बैठक शुरू होने से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और दोनों के बीच लगभग एक घंटे वार्ता चली। इससे पहले‚ चार जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी क्योंकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर ड़टे रहे‚ वहीं सरकार ‘समस्या’ वाले प्रावधानों या गतिरोध दूर करने के लिए अन्य विकल्पों पर ही बात करना चाहती है॥। सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के ४१ सदस्यीय प्रतिनिधियों के साथ आठवें दौर की वार्ता में सत्ता पक्ष की ओर से दावा किया गया कि विभिन्न राज्यों के किसानों के एक बड़़े समूह ने इन कानूनों का स्वागत किया है। सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि उन्हें पूरे देश का हित समझना चाहिए॥। एक घंटे की वार्ता के बाद किसान नेताओं ने बैठक के दौरान मौन धारण करना तय किया और इसके साथ ही उन्होंने नारे लिखे बैनर लहराना आरंभ कर दिया। इन बैनरों में लिखा था ‘जीतेंगे या मरेंगे’। लिहाजा‚ तीनों मंत्री आपसी चर्चा के लिए हॉल से बाहर निकल आए।
सूत्र ने बताया कि तीनों मंत्रियों ने दोपहर भोज का अवकाश भी नहीं लिया और एक कमरे में बैठक करते रहे।
किसानों ने कहा‚ कानून निरस्त होने पर ही घर वापसी‚ सरकार का विवादास्पद बिन्दुओं तक चर्चा सीमित रखने पर जोर॥ सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के ४१ सदस्यीय प्रतिनिधियों के साथ आठवें दौर की वार्ता में सत्ता पक्ष की ओर से दावा किया गया कि विभिन्न राज्यों के किसानों के एक बड़़े समूह ने इन कानूनों का स्वागत किया है। सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि उन्हें पूरे देश का हित समझना चाहिए। एक घंटे की वार्ता के बाद किसान नेताओं ने बैठक के दौरान मौन धारण करना तय किया और इसके साथ ही उन्होंने नारे लिखे बैनर लहराना आरंभ कर दिया। इन बैनरों में लिखा था ‘जीतेंगे या मरेंगे’। लिहाजा‚ तीनों मंत्री आपसी चर्चा के लिए हॉल से बाहर निकल आए। सूत्र ने बताया कि तीनों मंत्रियों ने दोपहर भोज का अवकाश भी नहीं लिया और एक कमरे में बैठक करते रहे। किसानों ने कहा‚ कानून निरस्त होने पर ही घर वापसी‚ सरकार का विवादास्पद बिन्दुओं तक चर्चा सीमित रखने पर जोर॥