महाराष्ट्र में महायुति के भीतर की राजनीति इस वक्त चर्चा का विषय बनी हुई है. बीते साल दिसंबर में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत वाली सरकार के गठन के बाद भी सहयोगी दलों के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. परदे के पीछे से तीनों दल- भाजपा, शिवसेना और एनसीपी एक दूसरे को मात देने की चाल चल रहे हैं. अब ताजा मामला बीड़ जिले में सरंपच संतोष देशमुख की हत्या से जुड़ा है. फडणवीस के सीएम की कुर्सी संभालने से पहले ही संतोष देशमुख की हत्या हुई थी लेकिन, बीते एक माह से ज्यादा समय से यह मामला लगातार राज्य की राजनीति और मीडिया में छाया हुआ है. इस मामले में विवाद के केंद्र में एनसीपी कोटे से मंत्री धनंजय मुंडे हैं. वह पार्टी प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के करीबी सहयोगी हैं.
संतोष देशमुख की हत्या के बाद बीड जिले में 49 वर्षीय मुंडे पर कई सामाजिक संगठनों और विपक्षी महाविकास आघाडी के निशाने पर हैं. मुंडे के करीबी वाल्मिक कराड को देशमुख की हत्या से जुड़े एक जबरन वसूली मामले में गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, दबाव के बावजूद मुंडे ने इस्तीफा नहीं दिया है और अजित पवार ने भी अभी तक उनका इस्तीफा नहीं मांगा है.
धनंजय मुंडे भाजपा नेता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे के भतीजे हैं. वह राज्य में एक प्रमुख ओबीसी चेहरा हैं. वह वंजारी समुदाय से आते हैं. सरपंच देशमुख मराठा समुदाय से थे, जबकि आरोपी कराड भी वंजारी समुदाय से हैं. संतोष की हत्या के मामले में अलग-अलग समुदाय न्याय की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ऐसे में अजित पवार के सामने उलझन पैदा हो गया है. उन पर मराठा और ओबीसी दोनों समुदायों का दवाब है.
ओबीसी और मराठा में बंटी राजनीति
मनोज जारंगे पाटिल ने बीते साल मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण की मांग कर महाराष्ट्र की राजनीति में जातिवाद का बीज बो दिया था. आज महाराष्ट्र में ओबीसी और मराठा दोनों समुदाय अलग-अलग धुरी पर खड़े हैं. पवार परिवार राज्य की राजनीति में प्रमुख मराठा चेहरा है. एनसीपी में विभाजन हुआ है, लेकिन अजित पवार एक प्रमुख मराठा चेहरा हैं. वह मुंडे को छोड़ने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें बीड में ओबीसी समुदाय में मजबूत समर्थन प्राप्त है. दूसरी तरफ वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल बगावती रुख अपनाए हुए हैं. ऐसे में अजित पवार के सामने मुंडे का साथ देने के वाला कोई दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है. हालांकि, अजित पवार यह दिखाना नहीं चाहते कि वह किसी एक समुदाय के पक्षधर हैं, इसलिए उन्होंने देशमुख हत्या मामले में कहा है कि पुलिस जांच रिपोर्ट के आधार पर ही वह मुंडे को लेकर कोई फैसला ले पाएंगे.
भाजपा के स्थानीय नेता काट रहे बवाल
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने बीड़ में अपने नेता सुरेश धस को मुंडे के हमला करने की खुली छूट दे रखी है. वह बीड की अस्टी सीट से विधायक हैं. वैसे धस सीधे तौर पर मुंडे का नाम नहीं ले रहे हैं, लेकिन बार-बार ‘कराड का आका’ शब्द का इस्तेमाल कर उन पर हमले कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस से एक नेता ने कहा कि जारंगे पाटिल की आंदोलन की वजह से मराठा समुदाय में भाजपा की पकड़ काफी कमजोर हो गई थी. इतना कि देवेंद्र फडनवीस ने पिछले चुनाव में वहां बहुत कम प्रचार किया था. अगर धस न्याय के लिए अभियान चला रहे हैं तो नाराज मराठा फिर से भाजपा का समर्थन कर सकते हैं. दूसरी ओर, अगर कराड या मुंडे के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो ओबीसी समुदाय में यह संदेश मिलेगा कि अजित पवार अपने लोगों को नहीं बचा सके.
दूसरी तरफ दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की बेटी और मंत्री पंकजा मुंडे और धनंजय मुंडे के बीच रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं. वंजारी समुदाय में पंकजा का भी अच्छा प्रभाव है. कुछ जानकारों का कहना है कि अगर धनंजय इस्तीफा देते हैं तो भाजपा को वंजारी समुदाय का समर्थन मिलता रहेगा. नुकसान केवल अजित पवार का होगा.