बिहार के 16 जिले इस समय बाढ़ की चपेट में हैं। इन 16 जिलों के 55 प्रखंडों की करीब 10 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है। बाढ़ में बिहार के अलग-अलग जिलों में 8 लोग जिंदा बह गए, जबकि एक महिला की हार्ट अटैक से मौत हो गई। बेतिया के श्रीनगर घोड़ाहिया पीड़ी रिंग बांध के सामने स्थित चंपारण तटबंध सोमवार देर रात टूट गया। इस वजह से 4 पंचायतों के लगभग दो दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं
वहीं, पश्चिम चंपारण में बाढ़ प्रभावित 27 और स्कूलों को आगामी 2 अक्टूबर तक बंद करने के आदेश दिए गए हैं। इससे पहले जिले के आठ प्रखंडों के 58 स्कूलों को 2 अक्टूबर तक बंद करने का निर्देश दिया गया था। इस प्रकार अब तक बाढ़ और जलजमाव की वजह से जिले के 12 प्रखंड के 85 स्कूल बंद किए जा चुके हैं।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने बताया कि नेपाल में बारिश ने 56 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पड़ोसी देश ने 6 लाख 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा है। इससे बिहार में 56 साल बाद कोसी और 21 साल बाद गंडक नदी में इतना अधिक पानी आया है। इससे बीते 24 घंटे में अलग-अलग जिलों में 7 से ज्यादा बांध टूट गए हैं।
इधर, पटना समेत कई जिलों में गंगा का लेवल एक बार फिर बढ़ गया है। वहीं, बिहार में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए फरक्का बराज के सभी 109 गेट खोल दिए गए हैं।
8 लोग जिंदा बहे, महिला की हार्ट अटैक से मौत
सुपौल मे तेज बहाव में शिवपुरी में दादा के कंधे पर बैठी 3 साल की बच्ची बह गई। बाढ के सदमे से हार्ट अटैक हुआ और 1 महिला की मौत हो गई वहीं दरभंगा के किरतपुर में एक किशोर और तीन महिला-पुरुष बाढ़ में बह गए। सीतामढ़ी के रून्नीसैदपुर और बेलसंड में बाढ़ की स्थिति गंभीर है यहां 3 लोग बाढ़ के पानी में बह गए।
दरभंगा के कुशेश्वर स्थान पुर्वी प्रखंड के पूर्वी बलान बांध सोमवार की रात श्रीपुर गोबराही के पास टूट गया। इससे लगभग भिंडुवा, सिद्धिपुर, गोबराही समेत 25 गांव की आबादी प्रभावित हो गई है। कुशेश्वर स्थान पूर्वी के CO गोपाल कुमार पासवान ने बताया कि साढ़े 8 बजे रात में बांध टूट गया। मंगलवार की NDRF-SDRF की टीम पहुंचेगी। इसके बाद राहत कार्य शुरू किया जाएगा।
बागमती अपनी रौद्र रूप में
सीतामढ़ी जिले में 22 साल बाद बागमती अपनी रौद्र रूप में आई है, जिसके कारण सीतामढ़ी के तीन जगहों पर बांध टूट गए हैं. वहीं, शिवहर में भी एक जगह बांध टूटा है. इन चार स्थानों की 3 लाख की आबादी बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर है.
इसमें पहला स्थान बेलसंड के मधकौल का है, जहां बांध टूटने के बाद 10 पंचायतों के 30 गांवों में संकट का बादल छा गया है. वहीं, रुन्नीसैदपुर के रविवार की शाम को तिलकताजपुर और खरहुंआ-नुनौरा के मध्य बांध टूटा है, जिसके बाद लोगों में अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया. यहां बांध टूटने से करीब 2 लाख की आबादी प्रभावित हो चुकी है और इसका दायरा बढ़ता जा रहा है.
इन इलाकों में बाढ़ का खतरा
मुखिया मनोज कुमार सिंह ने कहा कि परियोजना के आला अधिकारी कोशिश करते तो तटबंध को बचाया जा सकता था. मुखिया ने बताया कि इसकी सूचना डीएम को भी दी गई थी, लेकिन डीएम के पहुंचने से पहले ही तटबंध टूट गया. बाढ़ का पानी मधकौल, जाफरपुर, बसौल, पड़राही, कंसार, बेलसंड, ओलीपुर, रूपौली आदि गांवों में प्रवेश कर गया है. बाढ़ का पानी बेलसंड तरियानी मेन रोड पर चढ़कर पूरब की ओर तूफान मचाना शुरू कर दिया है. लोग ऊंचे स्थानों और तटबंध पर शरण लेने लगे हैं.
22 साल बाद फिर टूटा बांध
बाढ़ की स्थिति से बेलसंड और रुन्नीसैदपुर के करीब डेढ़ लाख की आबादी प्रभावित हुई है. बताया गया कि मुख्य सड़क पर चारों ओर पानी का तेज बहाव हो रहा है. वहीं ग्रामीण कमल कुमार ने बताया कि वर्ष 2002 में एक बार ऐसा ही बाढ़ आया था, उस समय भी यही बांध टूटा था. 22 साल बाद फिर वही बांध टूट गया है. अगर प्रशासन सही समय पर पहुंचकर बांध की मरम्मती करता तो बांध नहीं टूटता.
प्रशासन से सहयोग की अपील
स्थानीय लोगों द्वारा प्रशासन से शिकायत की गई थी, जिसके बाद खुद ग्रामीण बांध को बचाने में लगे हुए थे. दयाराम पांडे ने बताया कि स्थिति काफी दयनीय है. कई लोग अभी भी घर में फंसे हुए हैं. आज 22 साल बाद हम लोगों के सामने ऐसी स्थिति आई है. अगर प्रशासन का सहयोग नहीं मिलेगा, तो लोगों में त्राहिमाम हो जाएगी.
गंगा नदी का रौद्र रूप
गंगा के जलस्तर में कमी तो आ गई है, लेकिन तबाही का मंजर कम नहीं हुआ है. पानी के कम होने से लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है. ऐसे में लोग भी अपने घर को छोड़कर सड़क किनारे शरण लेने को मजबूर हो रहे हैं. आपको बता दें कि जलस्तर में कमी आते ही कटाव तेज हो गया है. ऐसे में करीब 40 घर से अधिक गंगा में समा चुका है. ये कहानी भागलपुर के सबौर प्रखंड स्थित मसाढू की है, जहां लोगों के आंखों की नींद तक उड़ गई है. लोग अपने ही बनाए घर को गिरते देखते हैं और आंखों से आंसू छलकने लगता है. लेकिन यहां न कोई देखने वाला है और न ही कोई सुनने वाला है. ग्रामीण जैसे-तैसे अपने कुछ समान को निकाल पा रहे हैं. लेकिन मकान को नहीं बचा पा रहे हैं.
गांव में मचा भगदड़, ऐसा था नजारा
करीब 3 करोड़ से अधिक का घर गंगा में विलीन हो चुका है. जब लोकल 18 की टीम गांव पहुंची, तो उस गांव का नजारा ऐसा था, मानो भगदड़ मच गया हो. लोग एक जगह से दूसरे जगह भाग रहे हैं. कभी लोग यह रहे थे कि उधर घर गिर गया. तुरंत बाद फिर दूसरे तरफ भागते थे कि वहां का घर गिर गया. महज 1 घण्टे के अंदर 3 घर गंगा में विलीन हो गए. ग्रामीण राकेश कुमार बताते हैं कि हमलोग की जिंदगी तबाह हो चुकी है. अभी तक 50 से 60 घर गंगा में विलीन हो चुके हैं. इसकी कीमत करीब 3 करोड़ रुपये होगी.
वहीं किनारे के 40 घर लोग तोड़ चुके हैं. ऐसे में यह आंकड़ा 5 करोड़ तक भी जा सकता है. लेकिन अगर बात जमीन की भी करें, तो उसकी भी काफी कीमत है. इसलिए आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि कितने का नुकसान अभी तक हो चुका है. लेकिन न प्रशासन की नजर है और न ही जनप्रतिनिधि सुन रहे हैं. रात में डर के साए में जिंदगी कटती है. सरकार हमलोगों की मदद करे.
रात 1 बजे तटबंध टूटा, सैलाब आया, चीखने लगे लोग
दरभंगा जिले के किरतपुर प्रखंड के भभौल गांव के पास रविवार की रात एक बजे कोसी नदी का तटबंध टूट गया। तटबंध टूटते ही भभौल गांव के लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में चिखते-चिल्लाते भागने लगे। यह स्थिति सिर्फ भभौल गांव की ही नहीं थी, बल्कि आसपास के दो दर्जन गांवों की भी थी।
सोमवार को भास्कर की टीम किरतपुर और घनश्यामपुर प्रखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंची। यहां हमारी मुलाकात भभौल गांव के आदर्श कुमार से हुई। आदर्श ने बताया कि ‘रात के अंधेरे में तटबंध टूटा तो गांव में तेजी से पानी घुसने लगा। हम दौड़ते-भागते सुरक्षित जगहों तक पहुंचे।
सोए हुए थे, तभी घर में घुसा पानी
बाढ़ पीड़ित राम अनुज यादव कहते हैं कि ‘हम अपने घर में सोए हुए थे। अचानक रात 1 बजे गांव में चीखने-चिल्लाने की आवाज आने लगी। नींद खुली तो घर में पानी घुसा था। इसके बाद परिवार के सदस्यों को जगाया और जरूरी सामान लेकर कमर भर पानी से गुजरते हुए बांध पर आए।’
25 हजार लोग बांध पर रहने को मजबूर
गांवों में बाढ़ का पानी घुसने के बाद लोगों ने बांध पर शरण लिया है। यहां करीब 25 हजार लोग रहने को मजबूर हैं। कोई अपने साथ तिरपाल लेकर आया है तो कोई बड़ा प्लास्टिक, जिसको तानकर रह रहे हैं। वहीं, कुछ लोग ट्रक और ट्रैक्टर के नीचे रहने को विवश हैं।
करीब 2 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित
किरतपुर में कोसी नदी का तटबंध टूटने से किरतपुर, गौरा बौराम और घनश्यामपुर प्रखंड के करीब दो दर्जन से अधिक गांव जलमग्न हैं। लोग गांव को छोड़कर सड़क पर आकर रह रहे हैं।
इन गांवों के करीब 2 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित हैं। जिला प्रशासन की टीम राहत और बचाव कार्य में जुटी है। जिला प्रशासन की ओर से बताया कि रविवार की देर शाम से डीएम राजीव रौशन के नेतृत्व में तटबंध बचाने की कोशिश की गई, लेकिन देर रात टूट गया।