राजनीति -1
प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में आते हैं और जन सुराज संगठन बनाते हैं। नई पार्टी बनाने का वादा करते हैं। मंडल की राजनीति के बाद आए लालू प्रसाद और नीतीश कुमार को नसीहत देते हैं।
राजनीति -2
लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी मनोझ झा को दूसरी बार राज्यसभा भेजती है। पार्टी प्रशांत किशोर की जाति बताती है। RJD कहती है कि ‘प्रशांत किशोर पांडेय हैं, इनसे सावधान रहें।’
राजनीति-3
लोकसभा चुनाव में अश्विनी चौबे का टिकट बीजेपी काटती है और अब मनन मिश्रा को राज्यसभा भेज रही है।
राजनीति- 4
जेडीयू ने संजय झा को राज्यसभा भेजा है।
ये चार उदाहरण बिहार की राजनीति के ताजा उदाहरण हैं। इससे स्पष्ट है कि ब्राह्मण राजनीतिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। यही वजह है कि बिहार की प्रमुख पार्टियों ने हाल के दिनों में ब्राह्मण नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंपी है। मंडल की राजनीति के बाद बिहार में ब्राह्मण राजनीति का नया स्वरूप दिख रहा है। इसका कारण यह कि सबकी नजर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है।
कुशवाहा के साथ ब्राह्मण राजनीति का जवाब
RJD ने पहले ही बीजेपी के कुशवाहा कार्ड को फेल कर दिया है। बीजेपी के सपोर्ट के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से जीत नहीं सके। काराकाट से महागठबंधन प्रत्याशी राजाराम सिंह जीते। यही नहीं, लालू प्रसाद ने अभय कुशवाहा को लोकसभा में संसदीय दल का नेता बना दिया।
आरजेडी को जवाब देने के लिए बीजेपी ने पहले सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया। इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया। इसके साथ ही लालू प्रसाद के ब्राह्मण कार्ड का जवाब भी बीजेपी ने दे दिया है। मनन मिश्रा को राज्यसभा भेजकर चेक एंड बैलेंस करने में लगी है।
सवर्णों में बड़ी जाति है ब्राह्मण
बिहार में हुए जातीय सर्वे के अनुसार, ब्राह्मणों की आबादी 3.66 फीसदी, जो सवर्णों में सबसे अधिक है। इसके अलावा भूमिहार 2.86 फीसदी और राजपूत 3.45 फीसदी है।
आरजेडी ने मनोज झा को दूसरी बार भेजा
बिहार से आरजेडी के राज्यसभा सदस्य मनोज झा अपनी बातों को तार्किक तरीके से रखते हैं। वो तेजस्वी यादव के काफी करीब भी हैं। इसलिए आरजेडी ने उन्हें दूसरी बार राज्यसभा भेजा है। बीजेपी इसके काट में तथ्यों के साथ राज्यसभा में बातें रखने वाले मनन मिश्रा को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया।
21 सितंबर 2023 को महिला आरक्षण बिल पर सदन में अपनी बात रखते हुए राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा था कि ‘इस बिल को दया भाव की तरह पेश किया जा रहा है। दया कभी अधिकार की श्रेणी में नहीं आ सकती है।’
आखिरी में उन्होंने ओम प्रकाश वाल्मीकि की कविता पढ़कर अंदर के ठाकुरों को मारने का आह्वान किया था।
बक्सर में बीजेपी चूक गई
बात ब्राह्मण पॉलिटिक्स की हो रही है तो बक्सर का जिक्र जरूरी है। यहां से आरजेडी ने राजपूत जाति से आने वाले सुधाकर सिंह को टिकट दिया। बीजेपी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का टिकट काटकर मिथिलेश तिवारी को उतारा।
मुकाबला दिलचस्प रहा, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा ने बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया। चर्चा रही कि वो बीजेपी से टिकट चाहते थे, नहीं मिला तो निर्दलीय लड़ गए।
टिकट कटने से नाराज अश्विनी चौबे ने कहा कि ‘मेरा कोई विकल्प नहीं हो सकता। मैंने कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया है। आगे भी नहीं फैलाऊंगा। मैंने सत्य बोला है, इसलिए मेरा टिकट कट गया है। षड़यंत्रकारी ध्वस्त हो जाएंगे। अश्विनी चौबे कोई गाजर-मूली नहीं है कि कोई मुझे हिला दे या कोई चबा जाए।’
यह कहा जा रहा है कि बीजेपी ने अपनी राजनीतिक गलती की वजह से बक्सर सीट गंवा दी और अब ब्राह्मणों के वोट बैंक को बैलेंस करने के लिए मनन मिश्रा को राज्यसभा भेजना तय किया है।
इन जिलों में ब्राह्मण तय करते हैं जीत-हार
बिहार के कुछ जिले ऐसे हैं, जहां ब्राह्मण वोटर विधानसभा चुनाव में जीत-हार तय करते हैं।
- इनमें मिथिलांचल में दरभंगा, मधुबनी, झंझारपुर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, सुपौल, सहरसा, चंपारण जिले में आने वाली सीटें खास तौर पर हैं।
- बिहार में 1961 से 1990 तक पांच ब्राह्मण मुख्यमंत्री हुए, लेकिन मंडल की राजनीति ने ब्राह्मण राजनीति का वर्चस्व तोड़ दिया। लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के बाद से नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री हैं।
- इसके बावजूद जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा बीजेपी में हैं और बिहार सरकार के दो विभाग में मंत्री हैं।
- भागवत झा आजाद के बेटे कीर्ति झा कांग्रेस के साथ हैं, दूसरे बेटे राजवर्धन आजाद जेडीयू के साथ हैं और एमएलसी हैं। वहीं, जिस कांग्रेस का दबदबा ब्राह्मण वोट बैंक पर रहता आया है, उसने लंबे समय तक डॉ. मदन मोहन झा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर रखा। लेकिन, उनको हटाकर भूमिहार जाति से आने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह को यह पद दे दिया गया।
- मदन मोहन झा अभी विधान परिषद के सदस्य हैं। कांग्रेस ने प्रेमचंद्र मिश्रा को भी विधान परिषद भेजा, उनका टर्म पूरा हो चुका है। ब्राह्मण जाति से आने वाले असित नाथ तिवारी ने कुछ महीने पहले कांग्रेस प्रवक्ता का पद छोड़ा और बीजेपी के साथ चले गए।
बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ‘बीजेपी ने सतीश दुबे को राज्यसभा भेजा था। इसके बाद मनन मिश्रा को राज्यसभा भेजा है। कांग्रेस के पास कपिल सिब्बल, मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद जैसे वकील हैं, इसलिए बीजेपी चाह रही होगी कि न्यायालय में मजबूत वकील उनकी तरफ से हों। बीजेपी के इस कदम को न्यायपालिका से गुडविल बनाने का प्रयास भी कह सकते हैं। रविशंकर प्रसाद के रिप्लेसमेंट के तौर पर भी इसे देखना चाहिए।’