बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी रविवार को मोदी कैबिनेट 3.0 में शामिल हुए। उन्होंने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली है। गया जिले से केंद्रीय मंत्री बनने वाले वो पहले सांसद हैं।
जीतन राम मांझी आज बिहार में दलितों के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं। लेकिन उन्होंने काफी संघर्ष के बाद राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद कभी पीछे नहीं देखा। साल 2014 में वो बिहार के मुख्यमंत्री भी बने थे।
पिता मजदूरी करते थे, खुद तार विभाग में की जॉब
जीतन राम मांझी का जन्म 1944 में गया जिले के मोहड़ा प्रखंड के महकार में हुआ था। इनके पिता रामजीत मांझी थे। रामजीत मांझी गांव के एक सम्पन्न किसान के यहां मजदूरी किया करते थे। इसके एवज में कुछ पैसे मिल जाया करते थे।
मांझी के माता-पिता एक साथ ताड़ी पिया करते थे। एक दिन दोनों बाजार गए थे और लौटते वक्त दोनों ने ताड़ी पी। इसके बाद आपस में झगड़ गए। यह देख मांझी को बुरा लगा। पिता को कहा कि आप मां को पीटेंगे तो हम पढाई नहीं करेंगे। इसके बाद दोनों के बीच कुछ स्थिति सुधरी और पढाई शुरू हुई।
इस बीच मांझी की शांति देवी से शादी हुई। इनके चार बेटी और दो बेटे हैं। दो बेटों में से एक संतोष सुमन वर्तमान प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। जीतनराम मांझी ने गया कॉलेज से स्नातक किया और घर की स्थिति बेहतर नहीं होने की वजह से उन्होंने तार विभाग में सरकारी नौकरी प्राप्त की। मन शुरू से ही राजनीति की ओर खींचा चला जा रहा था। लेकिन घर की स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से छोटे भाई को पुलिस में नौकरी नहीं मिलने तक तार विभाग में नौकरी की।

कांग्रेस के टिकट पर लड़े चुनाव
मांझी ने तार विभाग की नौकरी छोड़ दी और राजीनीति में आ गए। पहली दफा उन्होंने 1976 में कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगा पर नहीं मिला। लेकिन 1980 में कांग्रेस ने उन्हें बुलाकर फतेहपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया। इसके बाद जीतन राम मांझी ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा।
साल 1980 से लगातार बिहार विधानसभा के सदस्य हैं। यही नहीं समय की नजाकत को भांप कर समय-समय पर पार्टियां बदलीं और चुनाव जीतते चले गए।
2015 में उन्होंने अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा बनाई। इससे पूर्व वे 9 महीने के लिए प्रदेश के 23वें मुख्यमंत्री बने थे। इस बीच उन्होंने तीन बार विधान सभा का चुनाव लड़ा। 2009, 2014 और 2020 में सांसद का भी चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली। इस बार 2024 में एनडीए से सांसद का चुनाव लड़ा तो जीत गए।