बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। उनके बड़े बेटे उत्कर्ष ने उन्हें मुखाग्नि दी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सुशील मोदी के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन किए।
पटना में मंगलवार देर शाम राजकीय सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी गई। सुशील मोदी के पार्थिव शरीर को मंगलवार करीब 2.20 बजे दिल्ली से पटना एयरपोर्ट लाया गया। एयरपोर्ट पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। फूलों से सजी पुलिस की गाड़ी में पार्थिव शरीर को उनके घर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया।
इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए RSS ऑफिस, विधान परिषद और बीजेपी ऑफिस लाया गया। बीजेपी कार्यालय से उनके पार्थिव शरीर को दीघा घाट लाया गया, जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। दीघा घाट पर ही उनका अंतिम संस्कार किया गया।
सोमवार शाम को दिल्ली AIIMS में सुशील मोदी का इलाज के दौरान निधन हो गया। वे 72 साल के थे। उन्होंने करीब 7 महीने पहले गले में दर्द की शिकायत पर जांच कराई थी, जिसमें कैंसर का पता चला था। दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था।
सुशील मोदी ने हिला दी थी लालू की पॉलिटिकल नींव
4 अप्रैल 2017, एक आम दिन हो सकता था, लेकिन तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष सुशील कुमार मोदी के मन में कुछ और चल रहा था। सुशील मोदी ने कुछ ऐसा किया, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। ये एक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी।
यूं तो विपक्षी नेताओं का सत्ताधारी दल और उनके नेताओं पर आरोप लगाना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन, 4 अप्रैल को सुशील मोदी ने जो सिलसिला शुरू किया, वो तब तक चला, जब तक 26 जुलाई, 2017 को बिहार की महागठबंधन सरकार गिर नहीं गई।
लालू यादव का साथ छोड़कर नीतीश कुमार ने एक बार फिर एनडीए के साथ सरकार बनाई और सुशील मोदी नेता प्रतिपक्ष से फिर उपमुख्यमंत्री बन गए। जानिए कैसे बिहार के सबसे मजबूत पार्टी के सुप्रीमो लालू यादव की नींव को सुशील मोदी ने हिला कर रख दिया…।
साथ में शुरू हुआ करियर
सीनियर जर्नलिस्ट लव कुमार मिश्रा बताते हैं कि बिहार में लालू प्रसाद यादव और सुशील कुमार मोदी ने पटना यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति से अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी। लेकिन, लालू के पॉलिटिकल करियर की नींव हिलाने में सुशील कुमार मोदी अहम चेहरा रहे।
बीजेपी के लिए बिहार में हिलाई लालू की नींव
साल 1990 में पहली बार लालू प्रसाद यादव की बिहार में सरकार बनी तो सुशील कुमार मोदी बीजेपी में रहते हुए बिहार सरकार के खिलाफ अग्रेसिव दिखने शुरू हुए। सुशील मोदी ने लालू यादव के करप्शन के खिलाफ तभी से बोलना शुरू किया था। लव कुमार मिश्रा आगे बताते हैं कि आज अगर लालू यादव किसी भी चुनाव को लड़ने के लिए डिसक्वालिफाई हुए हैं, उसके कॉन्ट्रीब्यूशन का श्रेय सुशील कुमार मोदी को ही जाता है।
लालू के चारा घोटाले को लेकर सुशील मोदी ने ही पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद पटना के 2 जजों ने चारा घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। जिस कारण लालू यादव को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद लालू यादव के ऊपर पटना और रांची सहित कई जगहों पर मुकदमें चले।
रांची में जो मुकदमा चला उसमें चार अलग-अलग जिले में दर्ज केस में दोषी पाए गए। लालू यादव को सभी मामलों में लगभग 26 साल की सजा सुनाई गई। साल 2013 में डिसक्वॉलिफिकेशन कानून आया। इसके तहत 2 साल से अधिक की सजा पाने वाले चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। जिसके बाद लालू प्रसाद यादव अब कोई चुनाव नहीं लड़ सकते।
सुशील मोदी ही थे, जिन्होंने लालू यादव के खिलाफ उनके भ्रष्टाचार को उजागर किया था। इसके बाद से बिहार में बीजेपी के पास इतने मजबूत मुद्दे मिले, जो लोकसभा और विधानसभा में पार्टी को मजबूती से जीत दिलाया।
लालू के खिलाफ 101 प्रेस कॉन्फ्रेंस
सीनियर जर्नलिस्ट बताते हैं कि लालू यादव और उनके परिवार के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सुशील मोदी शुरू से मुखर रहे।
सुशील मोदी की 4 अप्रैल, 2017 को हुई पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में पटना के सगुना मोड़ के पास बन रहे एक मॉल की मिट्टी को अवैध तरीके से पटना जू को बेचने का आरोप लगाया था। ये जमीन और उस पर बन रहा मॉल लालू परिवार से जुड़ा था।
उस समय लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव बिहार के पर्यावरण मंत्री थे। इसके बाद तो दस्तावेजों के साथ लालू परिवार पर भ्रष्टाचार, घोटालों और बेनामी संपत्ति के आरोपों का सिलसिला शुरू हुआ।
5 मई को तेजप्रताप के ऊपर गलत तरीके से पेट्रोल पम्प आवंटन का आरोप हो या फिर 20 जून की प्रेस कॉन्फ्रेंस में राबड़ी देवी पर 18 फ्लैट्स की मालकिन होने का आरोप, सुशील मोदी ने लालू परिवार पर लगातार हमला जारी रखा।
4 जुलाई को तेजप्रताप को महज 3 साल 8 महीने की उम्र में दान में मिली 13 एकड़ जमीन का आरोप लगाकर सुशील मोदी ने हंगामा खड़ा कर दिया। ये जमीन मौजूदा शिवहर सांसद रमा देवी ने दान की थी। तब वो घरेलू महिला हुआ करती थीं और उनके पति ब्रज बिहारी प्रसाद लालू प्रसाद यादव के मंत्रिमंडल में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हुआ करते थे।
जमीन दान करने की डीड में लिखा था, “तेजप्रताप रमा देवी का प्यारा है, जिन्हें रमा देवी बहुत प्यार व मोहब्बत करती हैं। तेजप्रताप भी रमा देवी की खुशी का ख्याल रखते हैं। तेजप्रताप नाबालिग है फिर भी जहां तक संभव होता है रमा देवी की सेवा सुश्रुषा करते हैं। इस कारण रमा देवी ने तेज प्रताप को गिफ्ट की। ”
लालू ने मंत्री को भी नहीं बक्शा
सुशील कुमार मोदी के 101 प्रेस कॉन्फ्रेंस के इस रिकॉर्ड में उन्होंने यह बातें भी सामने लाई कि कैसे लालू यादव ने मंत्री पद के लिए भी जमीन का सौदा किया था। उनके 101 प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुशील मोदी ने डॉक्यूमेंट के साथ बताया था कि लालू यादव ने लोकसभा टिकट के बदले प्रत्याशियों से जमीन और प्रॉपर्टी में डील फिक्स की थी। जिनको मंत्री बनाया, उसके बदले क्या गिफ्ट लिया? जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति देवी और रघुनाथ झा का भी नाम था।
रघुनाथ झा, कांति देवी, ललन चौधरी, हृदयानंद चौधरी, प्रभुनाथ यादव, मोहम्मद शमीम, सोफिया तबस्सुम, राकेश रंजन, सीमा वर्मा, सुभाष चौधरी और चंद्रकांता देवी जैसे तमाम कथित दानकर्ताओं के नाम सुशील मोदी ने उजागर किए, जिन्होंने लालू परिवार को जमीनें और महंगे गिफ्ट्स दान किए थे।
रेल मंत्री रहते नौकरी के बदले जमीन और आईआरसीटीसी घोटालों को लेकर सुशील मोदी ने लालू परिवार पर जमकर हमले किए।
ये वो समय था, जब नीतीश कुमार को विपक्ष के सवालों का जवाब देते नहीं बन रहा था। करप्शन से समझौता नहीं करने के नारे लगाने वाले नीतीश कुमार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम भ्रष्टाचार के मामले में आया, जिसके बाद नीतीश ने पहले तेजस्वी से अकेले में बात की और तमाम आरोपों पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा। ऐसा न करने पर 26 जुलाई, 2017 को नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार से इस्तीफा देकर एनडीए के साथ नई सरकार बनाई।
दस्तावेजों से हमेशा मजबूत रहे सुशील मोदी
सुशील मोदी के हर प्रेस कॉन्फ्रेंस का मुद्दा लालू परिवार और उनसे जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप हुआ करते थे। उन्होंने पूरे दस्तावेजों के साथ भ्रष्टाचार के तरीके, उसका दायरा, उससे जुड़े लोग और लालू परिवार की उसमें संलिप्तता को बिंदुवार तरीके से समझाया करते थे।
मोदी की प्रेस रिलीज में एक-एक चीज की जानकारी इतनी बारीकी से हुआ करती थी कि पत्रकारों को कुछ ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती थी। सुशील मोदी की प्रेस कॉन्फ्रेंस मीडिया की हेडलाइन हुआ करती थीं।
इसके अलावा मोदी खुद अपने सोशल मीडिया के जरिए भी लालू परिवार पर लगातार हमले बोलते रहे। सुशील मोदी लगातार ये आरोप लगाते रहे कि बिहार में सत्ता के 15 साल और लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते जमीन लिखवाए गए। उनका कहना था कि मंत्री, विधायक, सांसद या फिर कोई काम कराने या ठेका दिलाने के बदले लालू यादव उनसे जमीन लिया करते थे।
लालू यादव के खटाल में काम करने वाले ललन चौधरी और रेलवे में खलासी के पद पर तैनात हृदयानंद चौधरी से लाखों की जमीन लालू परिवार को दान में मिलने का खुलासा भी सुशील मोदी ने ही किया था।
लालू यादव को सबसे गहरा जख्म देने वालों में भी सुशील मोदी शामिल रहे। यूं तो लालू प्रसाद यादव और सुशील मोदी के व्यक्तिगत संबंध सामान्य रहे, दोनों का राजनीतिक करियर भी एक साथ ही शुरू हुआ था, लेकिन दोनों के राजनीतिक संबंध कभी सहज नहीं रहे। चारा घोटाले को लेकर 1996 में पटना हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका दायर करने वालों में भी सुशील मोदी एक थे।
चारा घोटाले में सजायाफ्ता होने के बाद ही लालू का चुनावी राजनीतिक करियर खत्म हो गया। लालू यादव को काफी समय तक जेल में भी रहना पड़ा। फिलहाल वो स्वास्थ्य कारणों से जेल से बाहर हैं।
सुशील मोदी ने ‘लालू लीला’ नाम से एक किताब भी लिखी है, जिसमें लालू प्रसाद यादव के परिवार से जुड़े सभी कथित घोटालों और अवैध संपत्तियों का सिलसिलेवार ब्योरा दिया हुआ है।
नीतीश कुमार के रहे खास
जब साल 2005 में बिहार में जब बीजेपी के साथ मिलकर नीतीश कुमार की सरकार बनी तो दोनों ने साथ मिलकर बिहार में एंटी करप्सन ड्राइव चलाया। जो साल 2013 तक सक्सेसफुली चला। नीतीश और सुशील ने मिलकर पूरे बिहार भर में कैम्पेन किया था।
स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार पर उठाए सवाल
2005 से 2013 तक बिहार में एनडीए की सरकार में रहने के बाद जब अचानक नीतीश कुमार ने गठबंधन तोड़ दिया और आरजेडी-कांग्रेस का साथ पकड़ा तो सुशील मोदी नीतीश कुमार पर हमलावर हुए। जो सुशील मोदी सीएम कैबिनेट में नीतीश कुमार के इतने करीबी हुआ करते थे, वह अब अचानक हमलावर हुए।
उन्होंने विपक्ष में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े किए। इसके अलावा भारत सरकार की ओर से आ रहे एसटी-एससी स्कॉलरशिप फंड में भी घोटाला पाया था। जिसका उन्होंने पेपर के साथ सबूत पेश करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया था। इनके इस कदम से कई घोटाले उजागर हुए और कई लोगों को जेल भी हुई।
नीतीश के ब्रिज बने सुशील
लव मिश्रा बताते हैं कि एनडीए में नीतीश की एंट्री के लिए सुशील मोदी हर बार ब्रिज का काम करते रहे। लव मिश्रा ने बताया नीतीश कुमार ने साल 2013 में एनडीए का साथ छोड़ आरजेडी और कांग्रेस के साथ बिहार में सरकार बनाई। उस वक्त इनकी सरकार अच्छी चली।
इसके बाद इन्होंने मिलकर महागठबंधन के साथ लोकसभा का चुनाव लड़ा। जिसमें नीतीश कुमार को बुरी तरह से हार मिली और उन्हें केवल 2 लोकसभा सीटें मिली।
इसके बाद नीतीश कुमार का 2017 में अचानक हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने फिर से एनडीए में वापसी की। इस बार सुशील मोदी के साथ मिल कर बिहार में नीतीश कुमार ने एक नई पारी खेली।
इसके बाद अगस्त 2022 में जब नीतीश कुमार ने दोबारा एनडीए का साथ छोड़ा तो वापसी के दरवाजे उनके लिए बंद कर दिए गए। लेकिन, जब फिर से नीतीश कुमार ने एनडीए में वापसी के दरवाजे ढूंढना शुरू किया तो बीजेपी की ओर से सुशील मोदी ने ही दरवाजे खोले थे। जिसके बाद 28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार की एनडीए में फिर से एंट्री हुई।