केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले राष्ट्रीय लोजपा के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस के सिर्फ 12 दिनों में ही सुर बदल गए हैं। जिस NDA पर अपने साथ नाइंसाफी किए जाने का गंभीर आरोप लगा रहे थे, अब फिर से अपनी पार्टी को इसी गठबंधन का अभिन्न अंग बता रहे हैं।
19 मार्च को उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। उसी दिन दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं दिए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। लेकिन, अब उन्होंने फिर यू टर्न ले लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नेता बता रहे हैं। उनके निर्णय को सर्वोपरि बता रहे हैं।
30 मार्च को सोशल मीडिया पर अपने वेरिफाइड अकाउंट से लोकसभा चुनाव में NDA के 400 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया हैं। प्रधानमंत्री के साथ अपनी फोटो सोशल मीडिया X पर शेयर भी की। अब सवाल है कि आखिर कौन सी ऐसी बात हो गई कि जिससे पशुपति कुमार पारस हाजीपुर से खुद के चुनाव लड़ने की बात से पीछे हट गए?
सीट शेयरिंग की घोषणा से पहले का फॉर्मूला लगा सही
सवाल का जवाब तलाशने के लिए दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने राष्ट्रीय लोजपा से लेकर NDA में शामिल दूसरे दलों के नेताओं से बात की। पॉलिटिकल पार्टियों की गतिविधियों पर नजर रख रहे लोगों से भी बात हुई। इन सब के बीच एक महत्वपूर्ण बात सामने आई कि पशुपति कुमार पारस और सांसद भतीजे प्रिंस राज ने भाजपा के तरफ से दिए गए पुराने फॉर्मूले पर अपनी हामी भर दी है।
मतलब, बिहार के 40 सीटों को लेकर NDA के आधिकारिक घोषणा से ठीक पहले भाजपा की तरफ से चुनाव बाद पशुपति कुमार पारस को किसी राज्य का राज्यपाल बनाए जाने और भतीजे प्रिंस राज को बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाकर नीतीश सरकार में मंत्री बनाए जाने का ऑफर था। सूत्रों का दावा है कि अब इस ऑफर को चाचा-भतीजे ने मान लिया है।
मुलाकात के बाद बनी बात
सूत्र बताते हैं कि हाल ही में भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े से प्रिंस राज की दिल्ली में मुलाकात हुई थी। इसी मुलाकात में दोनों के बीच कई महत्वपूर्ण बातें हुई। प्रिंस को अपने भविष्य की चिंता सता रही थी। सांसद होने के साथ ही वो पार्टी में बिहार के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।
अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ ही खुद के लिए भी सम्मानजनक जगह NDA के अंदर चाह रहे थे। इसी कारण से भाजपा के दिए पुराने ऑफर को उन्होंने मान लिया। फिर इस पर चाचा ने भी अपनी हामी भर दी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि बहुत जल्द इस मामले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से पशुपति कुमार पारस की मुलाकात होने वाली है।
नहीं हुई कोई डील
इस मामले में आधिकारिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल से बात की। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी की कहीं कोई डील नहीं हुई है। हमारी पार्टी NDA में ही है। इस गठबंधन से हम कभी अलग नहीं हुए हैं। अलग होने की बात भी कभी किसी ने नहीं की थी। पशुपति कुमार पारस हमेशा कहते रहे हैं कि जब तक जिंदा हूं, तब तक NDA में ही रहूंगा। आज भी वो अपनी बातों पर कायम हैं।
पशुपति कुमार पारस को राज्यपाल और प्रिंस राज को मंत्री बनाए जाने के प्रस्ताव की बात से श्रवण अग्रवाल ने साफ इनकार किया है। उनका दावा है कि कोई ऐसा प्रस्ताव आया ही नहीं। हमारी पार्टी बिहार में मजबूती के साथ NDA उम्मीदवारों को सभी 40 सीटों पर जीताने के लिए काम करेगी। जहां तक बात केंद्र में मंत्री पद से उनका इस्तीफा दिए जाने की बात है तो वो कार्यकर्ताओं के गुस्से और दबाव की वजह से ऐसा किया था। क्योंकि, पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलने से कार्यकर्ता बहुत गुस्से में थे।