राम मंदिर के गर्भगृह में विराजित रामलला की अचल मूर्ति की एक्सक्लूसिव तस्वीर सामने आई है. इस तस्वीर में श्याम रंग के रामलला की आंखों में पट्टियां बंधी हैं, जो कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद खुलेंगी. 51 इंच लंबी इस अचल प्रतिमा को राम मंदिर के गर्भगृह में स्वर्णजणित सिंहासन पर गुरुवार को स्थापित किया गया है. फ़िलहाल बाकी की पूजा की रस्मों को किया जा रहा है, लिहाजा अब मंदिर के कपाट तीन दिन तक बंद रहेंगे.
उत्तर प्रदेश (यूपी) के अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह से शुक्रवार (19 जनवरी, 2024) सुबह एक और तस्वीर आई. 5 साल के रामलला का बाल स्वरूप वाला विग्रह इसमें और बेहतर तरीके से नजर आया. एक रोज पहले आई तस्वीर में जहां भगवान की छाती पर श्वेत वस्त्र था, वहीं ताजा फोटो में वह कपड़ा नहीं नजर आया. भगवान के मुख और आसपास के कुछ अंग (मसलन होंठ, माथा और बाल) भी नजर आए. इस बीच, मंदिर में 22 जनवरी, 2024 को होने वाली प्राण-प्रतिष्ठा का मुहूर्त भी सामन आया है. 84 सेकंड के मुहूर्त का ब्यौरा 6 पन्ने में दिया गया है जिसके आधार पर प्रभु की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी.
वहीं, बड़ी खबर है कि अयोध्या में श्रद्धालुओं के लिए आज से राम मंदिर बंद हो जाएगा. शाम 7 बजे से अस्थाई राम मंदिर में उन्हें दर्शन नहीं मिलेंगे. यह निर्णय प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारी को लेकर लिया गया है. हालांकि, 23 जनवरी की सुबह से श्रद्धालु रामलला के दर्शन पा सकेंगे. गर्भगृह में रामलला का विग्रह गुरुवार (18 जनवरी, 2024) को विधि-विधान से पूजा के बाद स्थापित किया गया था. श्याम वर्ण की इस मूर्ति में 5 वर्ष के रामलला कमल के फूल पर खड़े नजर आए थे. उनका मुख और हाथ पीले रंग के वस्त्र से ढंके नजर आए थे.
रामलला की इस अचल प्रतिमा को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगिराज ने बनाया है. रामलला की मूर्ति काफी मोहक लग रही है. 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के से साथ वैदिक विद्वान प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन संपूर्ण कराएंगे. जिसके बाद कहा जाता है कि मूर्ति जीवंत हो उठेगी. बता दें कि इन दिनों पूरा देश राममय है और हर कोई रामधुन गाने में मग्न हैं.
रामलला के नेत्रों पर फिलहाल है पीले रंग की पट्टी
रामलला के विग्रह का मुख फिलहाल पीतांबर वस्त्र से ढंका है, जबकि उनके नेत्रों पर पीले रंग की पट्टी है. यह पट्टी 22 जनवरी, 2024 को उनकी प्राण-प्रतिष्ठा के मौके पर हठाई जाएगी.
आज शाम से बंद हो जाएगा अस्थाई राम मंदिर, 23 को फिर खुलेंगे भक्तों के लिए कपाट
यूपी के अयोध्या में श्रद्धालुओं के लिए आज से राम मंदिर बंद हो जाएगा. शाम 7 बजे से अस्थाई राम मंदिर में उन्हें दर्शन नहीं मिलेंगे. यह निर्णय प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारी को लेकर लिया गया है. हालांकि, 23 जनवरी की सुबह से श्रद्धालु रामलला के दर्शन पा सकेंगे. गर्भगृह में रामलला का विग्रह गुरुवार (18 जनवरी, 2024) को विधि-विधान से पूजा के बाद स्थापित किया गया था. श्याम वर्ण की इस मूर्ति में 5 वर्ष के रामलला कमल के फूल पर खड़े नजर आए थे. उनका मुख और हाथ पीले रंग के वस्त्र से ढंके नजर आए थे.
रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़े अनुष्ठान का आज चौथा दिन, होंगी 21 वैदिक पूजन प्रक्रियाएं
रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़े पूजन के तहत आज शुक्रवार (19 जनवरी, 2024) को सुबह 9 बजे अरणिमन्थन से अग्नि प्रकट होगी. उसके पहले गणपति आदि स्थापित देवताओं का पूजन, द्वारपालों की ओर से सभी शाखाओं का वेदपारायण, देवप्रबोधन, औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, कुण्डपूजन व पञ्चभूसंस्कार होगा. अरणिमन्थन की ओर से प्रकट हुई अग्नि की कुण्ड में स्थापना, ग्रहस्थापन, असंख्यात रुद्रपीठस्थापन, प्रधानदेवतास्थापन, राजाराम – भद्र – श्रीरामयन्त्र – बीठदेवता – अङ्गदेवता – आवरणदेवता – महापूजा, वारुणमण्डल, योगिनीमण्डलस्थापन, क्षेत्रपालमण्डलस्थापन, ग्रहहोम, स्थाप्यदेवहोम, प्रासाद वास्तुश्शान्ति, धान्याधिवास सायंकालिक पूजन और आरती होगी.
अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से जुड़े अनुष्ठान का आज चौथा दिन है. मंदिर में आज 21 वैदिक पूजन प्रक्रियाएं होंगी, जिनका ब्यौरा इस प्रकार है: “स्थापित देवतापूजन (जो देवता कल स्थापित किए गए, उनका पूजन), द्वारपालों द्वारा वेद पारायण (यज्ञ में चार द्वारपाल ब्राह्मण होते उनका पूजन), देवप्रबोधन (देवता को जगाने की पूजन विधि), औषधाधिवास (रामलला के विग्रह को औषधियों में रखा जाएगा), केसराधिवास (रामलला के विग्रह को सुगंधित केसर में रखा जाएगा), घृताधिवास (रामलला के विग्रह को घी में रखा जाएगा), कुंडपूजन (यज्ञ कुंड का पूजन होगा) पंचभूसंस्कार (हवन करने से पूर्व अग्नि के पाँच संस्कार होते हैं, उन्हीं को पंचभूसंस्कार कहते हैं), अरणीमंथन (अग्नि मंत्र का उच्चारण करते हुए अग्नि को प्रकट किया जाता है और फिर वैश्विक कल्याण के लिए उसी अग्नि में हवन किया जाता है), अग्निस्थापन (कुंड में अग्नि स्थापित की जाती है), ग्रहस्थापन (नौ ग्रहों को स्थापित किया जाएगा), असंख्यातरुद्र पीठ स्थापन (असंख्यातरुद्र की स्थापन करके पूजन किया जाएगा), असंख्य रुद्र का पूजन, प्रधानस्थापन (प्रधान वेदी का स्थापन), वारुणमंडल (नक्षत्रों का एक मंडल जिसमें रेवती, पूर्वाषाढ़ा, आर्द्रा, आश्लेषा, मूल उत्तरभाद्रपद और शतभिषा हैं…कुल 27 नक्षत्र हैं जिनका पूजन होगा), योगिनीमंडल स्थापना (64 योगिनियों का पूजन), क्षेत्रपालमंडल स्थापन (आसुरी शक्तियों को रोकने के लिए क्षेत्रपाल का पूजन), ग्रहहोम (नौ ग्रहों का पूजन), स्थाप्यदेवहोम (स्थापित देवताओं का पूजन), प्रासाद वास्तुशांति (निर्माण वास्तु की शांति के लिए पूजन), धान्याधिवास (अनाज में प्रभु के विग्रह को रखना) और पूजन व आरार्तिक्यम (आरती व पूजन).