सोमवार को ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा के दौरान फैली एक अफवाह ने मेवात के नूंह में साम्प्रदायिक आग लगा दी। इससे हरियाणा का आसमान एकाएक लपटों और धुंए से भर गया। पहले एक समुदाय के विरु द्ध हुई हिंसा और प्रतिक्रिया में दूसरे समुदाय के विरु द्ध हुए हमले में जानमाल की काफी क्षति हुई है। पांच पुलिसकर्मियों समेत पांच लोगों के मारे जाने और दर्जनों के जख्मी होने की खबर है। हताहतों की यह संख्या और बढ़ सकती है। हरियाणा सरकार इसके पीछे साजिश बताती है। हिंसा की तैयारी और व्यापक स्तर को देखते हुए सरकार से इत्तेफाक रखा जा सकता है। जिस तरह यात्रा का घेराव कर और उस पर पत्थर एवं पेट्रोल बम बरसा गए। फिर गोलियां चलीं और दर्जनों वाहन फूंके गए। उससे एक सुनियोजन ही सिद्ध होता है। पर क्या इस सुनियोजित षड्यंत्र को‚ जिसने स्थापित साम्प्रदायिक सद्भाव और शांति को तार–तार किया और कानून–व्यवस्था को अराजक तरीके से बिगाड़ दिया‚ उसको समय रहते रोका नहीं जा सकता थाॽ स्थानीय प्रशासन के लिए प्रारंभ में ही ऐहतियात कदम उठाना संभव था। पहली बात तो यह कि जुलूस में शामिल श्रद्धालुओं के संख्या को देखते हुए पुलिस की पर्याप्त और सक्षम तैनाती नहीं थी। उसको खुद भी नुकसान पहुंचा और वह लोगों की सुरक्षा नहीं दे पाई। लोगों को भाग कर पास के धार्मिक स्थल में जान बचानी पड़ी। दूसरी बात‚ विश्व हिंदू परिषद की तरफ से निकाली गई इस जलाभिषेक यात्रा में मोनू मानेसर के शामिल होने के कथित ऐलान को भी रोका जा सकता था। विहिप से संबद्ध मोनू दूसरे समुदाय के दो व्यक्तियों की हत्या कर उनके शवों को जलाने के अपराध में वांछित है। यात्रा में ऐसे व्यक्ति के शामिल होने और उसके कथित ऐलान ने निश्चित रूप से दूसरे समुदाय के लोगों को भड़काने का काम किया होगा। हिंसा की पूर्व की तैयारी और उसके व्यापक स्तर में यह बात दिखती है। पुलिस प्रशासन को इसका इनपुट नहीं मिला होगा‚ ऐसा मानना मुश्किल है। प्रशासन दोनों समुदायों के मान्य लोगों से शांति कायम करने‚ उपद्रवियों पर मुकदमा दायर करने और उन्हें धरपकड़ की कोशिश कर रहा है‚ वह सही है। समुदायों की कम आबादी वाले इलाकों की पहचान कर वहां गश्ती बढ़ाने और तनाव को अन्य इलाकों तक न फैलने देने के उसके प्रयास भी उचित दिशा में हैं। पर यह ध्यान रहे कि उसकी कार्रवाई किसी पूर्वग्रह से प्रेरित न हो कर साक्ष्य पर आधारित होना चाहिए।
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