ब्रिटेन के नये बनने जा रहे सम्राट चार्ल्स–तृतीय के ६ मई को होने वाले राज्याभिषेक में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी उपस्थित रहेंगे। उनके राज्याभिषेक से भारत के अनेक लोग खुश हैं‚ जिनसे वे अपनी भारत की यात्राओं के समय मिलते रहे थे। बेशक‚ उनकी सरपरस्ती में भारत–ब्रिटेन संबंध मजबूत होंगे। हालांकि‚ ब्रिटेन में हाल की भारत विरोधी गतिविधियों के कारण संबंधों में कुछ कड़वाहट अवश्य पैदा हुई है। भारत चाहता है कि ब्रिटेन अपने देश में खालिस्तानियों की हरकतों पर लगाम लगाए। लंदन में खालिस्तान समर्थक समूहों से जुड़े हालिया हमलों के कारण भारत–ब्रिटेन व्यापार वार्ता ठप हो गई है। भारत ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर ब्रिटेन के साथ बातचीत को रोक दिया है। भारत पिछले महीने लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमला करने वाले खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई चाहता है। भारत सरकार ने ब्रिटेन की सरकार को साफ संदेश दिया है कि वो खालिस्तान समर्थक की सार्वजनिक निंदा के बिना इस वार्ता पर कोई प्रगति नहीं करेगी।
बता दें कि पिछली १९ मार्च को लंदन में इंडिया हाउस में तिरंगे को खालिस्तानी समर्थकों द्वारा नीचे उतार दिया गया था और दो अधिकारियों को घायल कर दिया गया था जिसके बाद भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई थी। बता दें कि ब्रिटेन सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार‚ भारत–यूके द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध २०२२ में ३४ बिलियन पाउंड का था। यह एक वर्ष में १० बिलियन पाउंड बढ़ गया है। अगर एफटीए पर बात बन जाती है‚ तो इन आंकड़ों में बड़ी वृद्धि होने की उम्मीद है। इस बीच‚ उपराष्ट्रपति धनखड़ सम्राट चार्ल्स को भारत यात्रा का निमंत्रण देंगे। वे भी अपनी आगामी भारत यात्रा के समय दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के सेंट जॉन वोकेशनल सेंटर की गतिविधियों को भी देखना चाहेंगे। वे १९९७ में दिल्ली आए थे। जब ब्रिटेन के प्रिंस थे तब सेंट जॉन वोकेशनल सेंटर की गतिविधियों को भी देखने पहुंचे थे। यहां पर समाज के कमजोर तबकों से जुड़े सैकड़ों नौजवानों के लिए एयरकंडीशनिंग‚ मोटर मैकेनिक‚ ब्यूटिशियन‚ कारपेंटर‚ टेलरिंग वगैरह के कोर्स चलाए जाते हैं। उस वक्त‚ उन्होंने ट्रेनिंग ले रहे बहुत से नौजवानों से बात भी की थी। संतोष जताया था कि प्रशिक्षित नौजवान जीवन में अपने लिए जगह बना रहे हैं।
दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के सदस्य मोनोदीप डेनियल ने बताया कि प्रिंस चार्ल्स ने वादा किया था कि वे ब्रदरहुड सोसायटी के बाकी प्रोजेक्ट्स को आगे की यात्राओं में देखेंगे। दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के संस्थापकों में गांधी जी के परम सहयोगी दीन बंधु सीएफ एंड्रयूज थे। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ाया भी था। वे दक्षिण अमेंका में गांधी जी से १९१६ में मिले थे। उन्होंने १९०४–१४ तक सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ाया। उन्हीं के प्रयासों से गांधी जी पहली बार १२–१५ अप्रैल‚ १९१५ को दिल्ली आए थे। सम्राट चार्ल्स की मां राजकुमारी एलिजाबेथ १९९७ में अपने भारत दौरे के समय दिल्ली आई थीं। वह तब दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के राजनिवास मार्ग स्थित ब्रदर्स हाउस भी गई थीं। वहां पर उन्होंने उन पादरियों से मुलाकात भी की थी जो अविवाहित रहते हुए दीन–हीनों की सेवा में भी लगे हुए हैं। सम्राट चार्ल्स का राज्याभिषेक उस वक्त हो रहा है‚ जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भारत मूल के श्रषि सुनक हैं। सुनक की पत्नी भारत के प्रख्यात उद्योगपति एन. नारायणमूर्ति की सुपुत्री अक्षता हैं। यह भी मानना होगा कि दोनों देशों के आपसी संबंधों को मजबूत रखने में ब्रिटेन में बसे हुए प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका है। इनमें अमेंकी और कैरिबियाई देशों से आकर बसे भारतीय भी हैं। ये सब ब्रिटेन और भारत के बीच पुल का काम कर रहे हैं। प्रवासी भारतीय ब्रिटेन में हर क्षेत्र में मौजूद हैं। चाहे वो व्यापार‚ राजनीति‚ खेल का क्षेत्र हो या कोई और‚ इन्होंने सबमें एक मुकाम हासिल किया है। खास बात यह भी है कि ब्रिटेन ने आपसी संबंधों को बेहतर करने लिए ज्यादातर प्रवासी भारतीयों को ही सामने रखा है। प्रिंस से किंग बने चार्ल्स पहली बार १९७५ में भारत आए थे। गुजरे दशकों से जिन्हें सब प्रिंस चार्ल्स के रूप में जानते थे‚ वे अब हो रहे हैं किंग चार्ल्स तृतीय। वे भारत के अंतिम वॉयसराय लॉर्ड माउंटबेटन के साथ पहली बार २ मई‚१९७५ को नई दिल्ली आए थे। वे तब पूरी तरह से युवा थे। उनकी उम्र २२ साल थी। उनका पालम एयरपोर्ट पर तब के उपराष्ट्रपति बी.डी.जत्ती ने स्वागत किया था। वे राष्ट्रपति भवन में ही ठहरे थे। उनकी उस यात्रा की एक छोटी सी फिल्म यूट्यूब पर है। उसमें लॉर्ड माउंटबेटन राष्ट्रपति भवन के बारे में प्रिंस चार्ल्स को इशारों से जानकारी दे रहे हैं। इसी राष्ट्रपति भवन में लॉर्ड माउंटबेटन भारत के अंतिम वॉयसराय के रूप में १२ फरवरी‚ १९४८ से १५ अगस्त‚ १९४७ और भारत के पहले गवर्नर जनरल के रूप में २१ जून‚ १९४८ तक रहे थे। जाहिर है‚ उन्हें राष्ट्रपति भवन के भूगोल और वास्तुकला की जानकारी थी।
इस बीच‚ मौजूदा जी–२० देशों के मंच का अध्यक्ष भारत चाहेगा कि उसे आगामी सितम्बर में होने वाले शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन में ब्रिटेन का भरपूर साथ और समर्थन मिले। भारत में जी–२० शिखर सम्मेलन की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं। भारत के विभिन्न शहरों में भी जी–२० से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
भारत में ब्रिटेन के राजदूत एलेक्जेंडर एलिस ने हाल ही में कहा भी है कि भारत में दुनिया की कई बड़ी समस्याओं को सुलझाने की क्षमता है। जी–२० की अध्यक्षता करते हुए भारत के पास मौका है कि वह दुनिया को नये और आधुनिक भारत के दर्शन कराए। दरअसल‚ भारत–ब्रिटेन विभिन्न क्षेत्रों में मिल–जुलकर काम कर रहे हैं। भारत दिसम्बर‚ २०२२ से ३० नवम्बर‚ २०२३ तक जी–२० देशों की अध्यक्षता कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी–२० के लिए अपना एजेंडा समावेशी‚ महत्वाकांक्षी और एक्शन आधारित बताया है। जी–२० के दौरान भारत के मॉडल को दूसरे देशों के सामने रखा जा सकता है‚ खासकर विकासशील देशों के सामने। बहरहाल‚ यह तय मानिए कि भारत–ब्रिटेन के संबंधों में बेहतरी आती रहेगी।