भले ही भारत में तेजी से डिजिटलाइजेशन बढ़ रहा है‚लेकिन इसके साथ–साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाओं में भी तेजी आ रही है। लोकसभा में १३ मार्च २०२३ को बताया गया कि वित्त वर्ष २०२२ में ऑनलाइन धोखाधड़ी के ६५‚०४५ मामले दर्ज हुए‚ जिनमें ग्राहकों के २२६.४ करोड़ रु पये फंसे हुए थे‚ जबकि वित्त वर्ष २०२१ में धोखाधड़ी के ७०‚६५५ मामले दर्ज हुए और उनमें २२६.६ करोड़ रु पये फंसे थे। ऑनलाइन धोखाधड़ी के इन मामलों में डेबिट कार्ड‚ क्रेडिट कार्ड‚ इंटरनेट बैंकिंग आदि से जुड़े लेनदेन शामिल थे। इन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि वित्त वर्ष २०२१ की तुलना में वित्त वर्ष २०२२ में ऑनलाइन धोखाधड़ी की संख्या में कमी आई‚ लेकिन इनमें फंसी राशि लगभग समान रही।
विश्लेषण से यह भी पता चला कि एटीएम धोखाधड़ी के मामले कुछ राज्यों में सिमटे हुए हैं। कार्ड्स से भी देश के ५ राज्यों में ३ चौथाई धोखाधड़ी की जा रही है। मामले में महाराष्ट्र अव्वल है। यहां‚ वित्त वर्ष २०२२ में २६‚०८५ धोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए‚ जिसमें ७४.६२ करोड़ रुपये की राशि फंसी हुई थी अर्थात इस राज्य में हर दिन औसतन २८‚६०६ रु पये की ऑनलाइन धोखाधड़ी की गई। देश में कुल धोखाधड़ी की घटनाओं का ४० प्रतिशत सिर्फ महाराष्ट्र में घटित हुए हैं। इस दौरान दिल्ली में २४.३५ करोड़ रुपये के ८‚०७५ मामले दर्ज हुए‚ जो कुल दर्ज धोखाधड़ी का १२.४ प्रतिशत था। इन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि भले ही महाराष्ट्र एक विकसित राज्य है‚ लेकिन यहां के लोग वित्तीय रूप से कम जागरूक हैं‚ अन्यथा धोखाधड़ी की इतनी ज्यादा घटनाएं यहां नहीं घटित होती।
बैंकों की बात करें तो वित्त वर्ष २०२२ में कोटक महिंद्रा बैंक में ऑनलाइन धोखाधड़ी के ३३‚२९६ मामले दर्ज हुए‚ जो कुल धोखाधड़ी के मामलों का लगभग आधा था। हालांकि‚ वित्त वर्ष २०२१ में ६५ प्रतिशत मामले इस बैंक में दर्ज हुए थे‚ जो राशि में ५७.७२ करोड़ रु पये थी‚ जबकि वित्त वर्ष २०२१ के दौरान इस बैंक में ६४.२३ करोड़ रु पये की धोखाधड़ी की घटनाएं दर्ज हुई थी। ऐक्सिस बैंक में वित्त वर्ष २०२२ में २५.०७ करोड़ रु पये की धोखाधड़ी हुई थी‚ जो कुल धोखाधड़ी की घटनाओं का १० प्रतिशत था। इस बैंक में ऑनलाइन धोखाधड़ी के ६‚१२४ मामले दर्ज हुए थे। वित्त वर्ष २०२२ के दौरान आईसीआईसीआई बैंक में ३४.३९ करोड़ रुपये के ५‚००२ मामले दर्ज हुए‚ जबकि एचडीएफसी बैंक में १०.६१ करोड़ रुपये के ३‚८६६ मामले दर्ज हुए। वहीं‚ अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कॉरपोरेशन में ५.८३ करोड़ रुपये के २‚२५८ मामले दर्ज हुए। आईसीआईसीआई बैंक में वित्त वर्ष २०२१ में ३२.६७ करोड़ रु पये के १‚३९० धोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए और राशि और धोखाधड़ी दोनों मामलों में इस बैंक में वित्त वर्ष २०२२ में बढ़ोतरी हुई। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष २०२१ में देश के सबसे बड़े बैंक‚ भारतीय स्टेट बैंक में होने वाली धोखाधड़ी की घटनाओं की संख्या में ४० प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और वित्त वर्ष २०२२ के दौरान भी इस बैंक में केवल २२.६२ करोड़ रुपये की ही धोखाधड़ी की घटनाएं हुइ। ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि निजी बैंकों की तुलना में सरकारी बैंकों ने ऑनलाइन धोखाधड़ी को कम करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
मार्च २०२३ में पुणे के एक कारोबारी प्रफुल्ल पी सारदा ने आरटीआई में भारतीय रिजर्व बैंक से भारतीय बैंकों में हो रही ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाओं की सूचना मांगी थी‚ जिसके जवाब में केंद्रीय बैंक ने जानकारी दी कि जनवरी २०१४ से दिसम्बर २०२२ तक भारतीय बैंकों में एटीएम और डेबिट कार्ड से कुल १‚४०‚७३६ धोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए‚ जिनमें ५०७.१२ करोड़ रु पये की राशि फंसी हुई थी‚ जबकि इस अवधि में क्रेडिट कार्ड से की जाने वाली धोखाधड़ी के १‚३७‚२३७ मामले दर्ज हुए‚जो राशि में ५१४.९० करोड़ रु पये थी। वहीं‚ इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से की गई धोखाधड़ी की संख्या ६१५६१ थी और इनमें ३५४.७८ करोड़ रुपये की रकम फंसी हुई थी। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष २०१४–२०१५ में एटीएम और डेबिट कार्डसे की जाने वाली धोखाधड़ी की संख्या महज ७१ थी‚ जो वित्त वर्ष २०१९–२०२० में बढ़कर ३६‚९७८ हो गई। वित्त वर्ष २०१४–१५ के दौरान क्रेडिट कार्ड से की जाने वाली धोखाधड़ी के केवल ११९ मामले दर्ज किए गए थे‚ जो राशि में ३.४१ करोड़ रु पए थी। वित्त वर्ष २०१९–२० में धोखाधड़ी की संख्या बढ़कर २६‚५८० हो गई और फंसी हुई राशि भी ७४.६९ करोड़ रु पये हो गई‚ लेकिन वित्त वर्ष २०२२–२३ में क्रेडिट कार्ड से की जाने वाली धोखाधड़ी की संख्या कम होकर २०‚०१७ रह गई। हालांकि‚ मामले में फंसी हुई कर्ज की राशि बढ़कर ९३.८९ करोड़ रुपये हो गई।
इंटरनेट बैंक से की जाने वाली धोखाधड़ी की संख्या वित्त वर्ष २०१४–१५ में ४२ थी और इनमें फंसी हुई राशि २.२० करोड़ रुपये थी‚ लेकिन वित्त वर्ष २०२०–२१ में धोखाधड़ी की संख्या बढ़कर २०‚४७६ हो गई और फंसी हुई राशि भी बढ़कर ८६.६६ करोड़ रु पये हो गई। हालांकि‚ वित्त वर्ष २०२२–२३ में धोखाधड़ी के मामले कम होकर ८‚१२१ रह गए और फंसी हुई राशि भी कम होकर ६९.९६ करोड़ रुपये रह गई। आंकड़ों से साफ है‚ बैंकों और भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद अभी भी क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी करने का सबसे आसान माध्यम बना हुआ है। इसके साथ–साथ इंटरनेट बैंकिंग‚ एटीएम और डेबिट कार्ड से भी साइबर ठग जमकर धोखाधड़ी करने में कामयाब हो रहे हैं।
ऑनलाइन धोखाधड़ी में तभी कमी आ सकती है‚ जब लोगों को वित्तीय रूप से जागरूक बनाया जाएगा। इसके लिए बैंक‚ सरकार और बैंकिंग मामलों के जानकार आम और खास दोनों को अखबार‚ टेलीविजन‚ सिनेमा और रेडियो के माध्यम से जागरूक करना होगा। इसके अलावा सोशल मीडि़या की ताकत का भी इस्तेमाल करना होगा। इसके अलावा स्कूल‚ कॉलेज‚ कार्यालयों‚ गांव आदि में नियमित रूप से सेमिनार/वर्कशॉप आयोजित किए जाएं तो बेहतर होगा। पूरे प्रकरण की पड़ताल से साफ है‚ सावधानी ही बचाव है। लालच नहीं करें। यह सभी समस्याओं की जड़ है। मनोवैज्ञानिक दबाव में नहीं आएं। धमकी मिलने पर पुलिस की मदद लेने से नहीं हिचकें। निडर बनें‚ तभी ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।