भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली मुंबई इंडि़यंस पहली महिला प्रीमियर लीग की चैंपियन बन गई। उसने फाइनल में दिल्ली कैपिटल्स को सात विकेट से हराया। फाइनल का काफी हद तक रोचक रहना इसकी सफलता की कहानी कहता है। यह माना जा रहा है कि जिस तरह से आईपीएल ने भारतीय पुरुष क्रिकेट में क्रांति की है‚ उसी तरह देश की महिला क्रिकेट का इस लीग से उद्धार हो जाएगा। अभी इस लीग से कितनी कमाई हुई‚ उसके आंकड़े़ तो नहीं आए हैं। पर एलिमिनेटर मैच में ४०००० दर्शकों का आना और फाइनल में इससे भी ज्यादा दर्शकों का पहुंचना और इस लीग के मीडि़या राइट्स खरीदने वाली वायकॉम १८ का लाइव मैचों को देखने वालों की तादाद से खुश होना‚ इससे अच्छी कमाई के संकेत जरूर देते हैं।
यह सही है कि इस पहली लीग में सभी प्रमुख अवार्ड़ विदेशी खिलाडि़़यों को जाने और मोस्ट वैल्यूवल खिलाड़़ी की सूची में पहले दस खिलाडि़़यों की सूची ेमें किसी भारतीय खिलाड़़ी का नहीं होना झटका तो देता है। पर हमें यह समझने की जरूरत है कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड़ का स्तर हमसे कहीं बेहतर है। यह सही है कि भारतीय महिला क्रिकेट के बीसीसीआई की छतरी के नीचे आए डे़ढ़ दशक से ज्यादा समय हो गया पर सही मायनों में बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट पर ध्यान देना पिछले कुछ सालों से ही शुरू किया है। अब भारतीय टीम इन दिग्गजों को टक्कर देने लगी है। यदि इस लीग का आयोजन जारी रहा तो हमें दिग्गजों की जमात तक पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया को विश्व चैंपियन बनाने वाली मेग लैनिंग इस लीग में दिल्ली कैपिटल्स की अगुआई कर रहीं थीं। लैनिंग के साथ भारतीय ओपनर शेफाली वर्मा पारी की शुरुआत कर रहीं थीं। उन्होंने फाइनल के बाद कहा कि मुझे इस लीग में लैनिंग से बहुत कुछ सीखने को मिला है। इसी तरह अन्य युवाओं को भी अंतरराष्ट्रीय स्टारों के साथ खेलने से एक तो मनोबल जरूर बढ़ा होगा‚ साथ ही तमाम नई बातें सीखने को भी मिलीं होंगी। भारतीय युवा खिलाडि़़यों को इस लीग से फायदा जरूर हुआ है। भारत को अंड़र–१९ विश्व कप जिताने वाली शेफाली वर्मा ने २५२ रन बनाकर यह दिखाया कि आने वाले दिनों में उनका जलवा जरूर दिखेगा। यहां तक इस लीग में मिले अवार्ड़ों की बात है तो दिल्ली कैपिटल्स की कप्तान मेग लैनिंग ने सबसे ज्यादा ३४५ रन बनाकर ऑरेंज कैप‚ मुंबई इंडि़यंस की हैली मैथ्यूज ने १६ विकेट लेकर पर्पल कैप पर कब्जा जमाया। भारतीय युवा स्पिनर सायका ईशाक इस दौड़़ में पांचवें स्थान पर जरूर रहीं पर उन्होंने मैथ्यूज के १६ विकेट के मुकाबले १५ विकेट निकालकर अपनी छाप जरूर छोड़़ी है। शोफी डि़वाइन ने सबसे ज्यादा १३ छक्के लगाए‚ शोफिया डं़कले ने सबसे तेज अर्धशतक लगाया और मारिजान काप ने १५ रन पर पांच विकेट निकालकर सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी की।
इस ड़ब्ल्यूपीएल की आयोजक बीसीसीआई ने मैचों को रोचक बनाने के लिए भले ही बाउंड्री लाइन को ४२ मीटर के आसपास कर दिया। इसका मकसद ज्यादा चौके और छक्के लगने से मैचों की रोचकता आएगी तो ज्यादा दर्शक भी मैचों की तरफ आकर्षित होंगे। पर इन मैचों में कई खिलाडि़यों ने तो ८० मीटर से भी ज्यादा के छक्के लगाए। इसलिए लगता है कि आईसीसी टी–२० विश्व कप में ६५ मीटर की बाउंड्री रखी गई थी। इस लीग में भी इतनी बड़़ी बाउंड्री तो होनी ही चाहिए‚ जिससे देश के युवा यहां खेलने के बाद अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए भी फिट रहें। ऐसी स्थिति ना आए कि यहां छक्कों पर जमाकर वाह–वाही लूटने वाले खिलाड़़ी बड़े़ मैदानों में खेलने पर कैच हो जाएं।
लीग में सबसे ज्यादा निराश सबसे महंगी खिलाड़़ी स्मृति मंधाना ने किया। वह आठ मैचों में १४९ रन ही बना सकीं। उनके बल्ले से एक भी अर्धशतक तक नहीं निकल सका। इसके चलतेआरसीबी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी और प्लेऑफ में स्थान नहीं बना सकी। स्मृति को भारत की सर्वश्रेष्ठ बैटर्स में शुमार किया जाता है और उन्होंने तमाम मौकों पर जलवा बिखेरा है। पर इस लीग के दौरान रंगत में नहीं होने की उनकी टीम को भी कीमत चुकानी पड़़ी। दिल्ली कैपिटल्स की जेमिमा रोड्रिग्ज का बल्ला भी खामोश रहा। लेकिन वह इसकी कमी कुछ शानदार कैच लेकर पूरी करने में सफल रहीं।
ड़ब्ल्यूपीएल के पहले आयोजन से यह तो साफ हो गया है कि इसे पसंद किया गया। आने वाले समय में टीमों की संख्या बढ़ाने और मैचों का घर और बाहर के आधार पर आयोजित करने से इसकी लोकप्रियता और बढ़ेगी। ज्यादा कमाई होने पर खिलाडि़़यों की जेबें भी ज्यादा गर्म होंगी।भारतीय खिलाडि़़यों के स्तर में सुधार आना भी लाजिमी है। आइसीसी ट्राफी के सपने को भी पंख लग सकते हैं।