बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और महागठबंधन (Grand Alliance) शनिवार को अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज एक दिवसीय दौरे पर बिहार पहुंच रहे हैं और अपनी यात्रा के दौरान, शाह पार्टी गतिविधियों को मजबूत करने के लिए वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र के तहत लौरिया में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। तो वहीं दूसरी ओर महागठबंधन पूर्णिया में मेगा रैली के जरिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जवाब देने की तैयारी कर रहा है, जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह समेत महागठबंधन के अन्य नेता रैली को संबोधित करेंगे। इससे पहले तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर हमला बोला है और बड़ा आरोप लगाया है।
2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में बिहार का सीमांचल महत्वपूर्ण केंद्र होगा। इसके संकेत अभी से मिलने लगे हैं। चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 2022 के आखिर में अपनी पहली सभा पूर्णिया में की थी। अब सात दलों के महागठबंधन की महारैली पूर्णिया में हो रही है। जोर आजमाइश का आलम यह कि पूर्णिया के उसी मैदान में महागठबंधन की रैली हो रही है, जहां अमित शाह की सभा हुई थी। रैली में जुटने वाली भीड़ से यह अनुमान लगेगा कि किसमें कितना है दम। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 23 सितंबर को पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में सभा कर लोकसभा चुनाव प्रचार का शंखनाद किया था। उसके बाद वे किशनगंज गए थे। एनडीए से जेडीयू के अलग होने के बाद बीजेपी की यह पहली सभा थी। आज बिहार में तीन रैली है। महागठबंधन, अमित शाह और किसान महापंचायत। महागठबंधन की रैली में सात दल अपनी ताकत आजमा रहे हैं। अमित शाह सीमांचल को साधने के लिए दोबारा पूर्णिया में हुंकार भर रहे हैं। वहीं बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह राकेश टिकैत के जरिए अपनी राजनीति साध रहे हैं।
अमित शाह ने की थी सभा
उस रैली में अमित शाह का भाषण तकरीबन आधे घंटे का था और उनके निशाने पर महागठबंधन की दो बड़ी पार्टियों- आरजेडी व जेडीयू के शीर्ष नेता लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार रहे थे। उन्होंने कहा था कि सीमांचल में उनकी यात्रा से लालू और नीतीश के पेट में दर्द हो रहा है। वे कह रहे हैं कि सीमांचल में मैं झगड़ा कराऊंगा। शायद यही वजह रही कि महागठबंधन ने भी अपनी पहली चुनावी रैली के श्रीगणेश के लिए पूर्णिया के उसी मैदान को चुना, जहां से अमित शाह ने संबोधित किया था।
क्यों सबकी पसंद बन गये हैं सीमांचल के चार जिले
बिहार के सीमांचल में पूर्णिया, किशनगंज, अररिया और कटिहार जिले प्रमुख रूप से आते हैं। इन जिलों में मुस्लिम आबादी निर्णायक है। अधिक मुस्लिम आबादी के कारण महागठबंधन को अपना बड़ा जनाधार दिखता है। आमतौर पर यही माना जाता है कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देते। ऐसे में मुस्लिम वोटों का एकमात्र ठेकेदार महागठबंधन बनना चाहता है। लोकसभा चुनाव में अगर महागठबंधन को कामयाबी मिलती है तो 2025 के विधानसभा चुनाव में भी महागठबंधन की राह आसान हो जाएगी। महागठबंधन की चिंता असदुद्दीन ओवैसी की पर्टी एआईएमआईएम के इस इलाके में उभार से भी बढ़ी हुई है। 2020 में ओवैसी के 5 विधायक इन्हीं इलाकों से चुने गये थे। हालांकि बाद में इनमें 4 ने आरजेडी ज्वाइन कर लिया था। अगर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण होता है तो इसमें बीजेपी अपना लाभ देख रही है। वह हिन्दू वोटों को ध्रुवीकृत करने का प्रयास करेगी।
भाजपा ने महागठबंधन पर कसा तंज
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, “गृह मंत्री अमित शाह जी की आज की जनसभा को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है। बड़ी संख्या में लोग गृह मंत्री की बात सुनना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में जो कल्याणकारी कार्य हो रहे हैं, उससे वाल्मीकि नगर के लोग उत्साहित हैं और गृह मंत्री अमित शाह का स्वाग करने के लिए तैयार हैं। जिस दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जनसभा के लिए बिहार आ रहे हैं उसी दिन पूर्णिया में महागठबंधन की रैली पर राय ने कहा, ‘भाजपा की जनसभा की तुलना महागठबंधन की रैली से करना सही नहीं है।
राय ने कहा कि भाजपा की जनसभा होगी सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के संकल्प के साथ आयोजित महागठबंधन की रैली तुष्टिकरण की रैली है। तुष्टीकरण की राजनीति का संदेश देने के लिए महागठबंधन आज पूर्णिया में रैली कर रहा है। उस रैली और बीजेपी की इस जनसभा के बीच क्या तुलना। बीजेपी का कार्यक्रम सिर्फ एक लोकसभा सीट का कार्यक्रम है। पीएम मोदी के नाम और काम का कोई जवाब नहीं है। उनके काम का नतीजा देश के हर घर और हर गांव में दिखाई दे रहा है। वाल्मीकि नगर की जनसभा बड़े पैमाने पर होगी। गृह मंत्री विकास की बात करेंगे।” वह शांति और सुरक्षा की बात करेंगे जबकि महागठबंधन की रैली तुष्टीकरण की रैली है।
राजद ने दिया करारा जवाब
यह पूछे जाने पर कि क्या महागठबंधन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को राजनीतिक संदेश देने के लिए उसी दिन बिहार में रैली कर रहा है, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, “आपको पहले यह पता लगाना होगा कि किसकी रैली पहले से तय थी।” हमारी रैली पहले से तय थी। गृह मंत्री एक छोटी रैली में भाग लेने वाले हैं, हमारी एक मेगा रैली है। यह एक बड़ा अंतर है। अमित शाह जी देश के गृह मंत्री हैं, वे कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वह बिहार आ रहे हैं। उन्हें दो सवालों का जवाब देना है और इसमें से एक विशेष है। प्रधानमंत्री द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के बाद हम उम्मीद करेंगे कि गृह मंत्री इस मुद्दे पर बोलेंगे और बिहार को इसका अधिकार मिलना चाहिए। ”
राजद नेता ने कहा, “मेरा दूसरा सवाल यह है कि गृह मंत्री देश का गृह मंत्री होता है, इसलिए उन्हें प्रयास करना चाहिए कि उनके बयान से देश का सामाजिक समरसता बढ़े न कि घटे। मुझे विश्वास है कि वह मेरे अनुरोध को स्वीकार करेंगे।”
राष्ट्रीय लोक जनता दल ने कहा
इस बीच, राष्ट्रीय लोक जनता दल के मुख्य प्रवक्ता माधव आनंद ने पूर्णिया में महागठबंधन की रैली के बारे में बात करते हुए कहा, ‘यह रैली राजद और जदयू के बीच चल रही अंदरूनी कलह से लोगों का ध्यान हटाने के लिए है। इस रैली के माध्यम से, न तो जनता की तरक्की होगी और न ही जनता का कोई कल्याण होगा। बस आने वाले दिनों में राजद और जदयू के अंदर सीएम की कुर्सी को लेकर चल रही लड़ाई और तेज होगी।’
आनंद ने कहा, ‘इस रैली के जरिए राजद और जदयू दोनों आंतरिक तौर पर अपनी ताकत आजमाने की कोशिश कर रहे हैं। यह विशेष रूप से देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार कब तक अपनी कुर्सी बरकरार रख पाते हैं और तेजस्वी यादव कब तक जादू की कुर्सी से दूरी बना पाते हैं।’
महागठबंधन ने रैली में ताकत झोंकी
महागठबंधन ने आज होने वाली रैली की सफलता के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। हालांकि कांग्रेस की भागीदारी बेमन से ही दिख रही है। इसके दो कारण बताये जा रहे हैं। पहला यह कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के मद्देनजर बिहार के बड़े कांग्रेसी नेता बाहर हैं। दूसरा कारण यह माना जा रहा है कि रैली के प्रचार के लिए जो पोस्टर बने हैं, उसमें कांग्रेस नेताओं को जगह नहीं मिली है। पोस्टर में लालू-नीतीश और तेजस्वी यादव तो प्रमुखता से दिख रहे हैं, लेकिन सोनिया गांधी या राहुल की तस्वीर नहीं है। अपुष्ट जानकारी यह मिल रही है कि जान-बूझ कर ऐसा किया है। महागठबंधन के बड़े नेता यह मान चुके हैं कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में एकला चलने का मन बना चुकी है। इसलिए उसे तरजीह देने का कोई लाभ नहीं होगा। उल्टे लालू ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जो प्लान किया है, उसमें राहुल गांधी की बजाय नीतीश कुमार को पीएम फेस के रूप में प्रोजेक्ट करना है। इधर कांग्रेस अपने नेता राहुल गांधी को ही पीएम फेस बनाना चाहती है। इसकी घोषणा कांग्रेस के सीनियर लीडर कमलनाथ ने पहले ही कर दी थी, जब राहुल भारत जोड़ो यात्रा पर निकले थे।
नीतीश को पीएम फेस बनाने का हो सकता है ऐलान
सूचना यह मिल रही है कि आज की रैली में नीतीश कुमार को महागठबंधन अपना पीएम उम्मीदवार घोषित कर सकता है। होली बाद नीतीश विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मिलने और उन्हें एकजुट करने के काम में लगेंगे। कांग्रेस को छोड़ महागठबंधन के नेता नीतीश को पीएम फेस बनाने के लिए तैयार हो गये हैं। हालांकि नीतीश कुमार के लिए विपक्षी एकता की कवायद आसान नहीं होगी। फिलहाल विपक्ष चार खेमों में बंटा हुआ है। पहला खेमा कांग्रेस का है, जो अपने उम्मीदवार के साथ चुनाव में अकेले उतरने का मन बना चुकी है। दूसरा खेमा तेलंगाना के सीएम केसी राव का है, जिन्होंने आम आदमी पार्टी और सीपीएम के साथ समाजवादी पार्टी को भी अपने फोल्ड में लाने की कोशिश की है। एक खेमा अभी निर्गुट है, जिसमें पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और ओड़िशा के सीएम नवीन पटनायक हैं। निर्गुट खेमे को बीजेपी के साथ राहुल और नीतीश कुमार भी नापसंद हैं। हालांकि इस खेमे ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं।