इशरत–ए–कतरा है दरिया में फना हो जाना‚ दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना’। मिर्जा गालिब के चÌचत शेरों में से यह एक ऐसा शेर है जो हमें दर्द सहने की नसीहत देता है‚ परंतु आजकल के भाग–दौड़ भरे दौर में हमारे शरीर में दर्द सहने की शक्ति कम होती जा रही है। हम किसी भी उम्र के क्यों न हों‚ जरा सी दर्द को भगाने के लिए ‘पेन किलर’ के बिना नहीं चल सकते। पर क्या हम इन रंगबिरंगी गोलियों के दुष्प्रभावों से वाकिफ हैंॽ
आमतौर पर हम सिरदर्द जैसी छोटी सी पीड़ा पर‚ पेट या बदन दर्द पर तुरंत पेन किलर ले लेते हैं। बिना इस बात का ख्याल हुए कि इन गोलियों का हमारे शरीर पर क्या असर पड़ेगा। हमारी जरा सी लापरवाही‚ इन दवाओं को जीवन भर का दर्द बना सकती हैं‚ जबकि पेट दर्द‚ सिर दर्द और बदन दर्द के लिए नानी–दादी के बताए ऐसे हजारों घरेलू नुस्खे हैं जिनसे तुरंत आराम मिल सकता है। परंतु मार्केटिंग के युग में हर चीज को इस ढंग से बेचा जाता है कि वो हमारी जरूरत बन जाती है। चर्चित कलाकार हों या मशहूर खिलाड़ी‚ उनको पर्दे पर दिखा कर दवा कंपनियां हमें इन पेन किलर के जाल में फंसा ही लेती हैं। दर्द से झटपट छुटकारा पाने के लिए‚ बिना डाक्टर की प्रि्क्रिरप्शन मिलने वाली दवाएं ‘ओवर द काउंटर ड्रग्स’ (ओटीसी) के नाम से जानी जाती हैं।
इन रंग–बिरंगी दवाओं की हल्की डोज से आपको आराम भले ही मिल जाता हो‚ लेकिन इनका साइड एफेक्ट जाने बिना इनका सेवन करना घातक हो सकता है। लंबे समय तक पेन किलर को बिना सोचे–समझे या बिना डॉक्टरी सलाह के लेने से किडनी खराब होने तक का खतरा हो सकता है। आज कल के तनावपूर्ण माहौल में युवा पीढ़ी कई बार थकान मिटाने और दर्द से आराम के लिए पेन किलर की इतनी आदी हो जाते हैं कि ये दवाएं उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाती हैं और इनकी लत लग जाती है। बिना दर्द के और लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से न सिर्फ किडनी बल्कि लीवर खराब होने के साथ–साथ हमारे शरीर में डिप्रेशन जैसी कई मानसिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अक्सर देखा गया है कि तेज दर्द से जल्द आराम लेने की होड़ में हम एक से अधिक पेन किलर ले लेते हैं। डाक्टरों के अनुसार ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए। यदि हम जल्दबाजी में एक से अधिक पेन किलर ले लेते हैं तो इनके साइड इफेक्ट का खतरा बढ़ जाता है। डाक्टरों के अनुसार पेन किलर के ओवरडोज से आंतरिक रक्तस्राव या ‘इंटरनल ब्लीडिंग’ हो सकती है। इतना ही नहीं पेन किलर के ओवरडोज से दिल का दौरा भी पड़ सकता है। दवा कंपनियां अपनी दवा को लोकप्रिय बनाने की नीयत से डाक्टरों को लुभावने ऑफर देती हैं। इसी लालच में आकर प्रायः कुछ डाक्टर इन्हें मरीजों को लिख कर दे देते हैं। दर्द में आराम आने पर मरीजों को इनकी आदत पड़ जाती है। जहां एक या दो मरीजों को दवा से आराम मिलना शुरू हुआ वहीं दवा का नाम चलन में आ जाता है। इस पैंतरे से दवा कंपनी पेन किलर के बाजार में अपनी जगह आसानी से बना लेती है। डाक्टरों की माने तो पेन किलर के हल्के डोज को तेज दर्द में राहत के लिए तो ले सकते हैं‚ परंतु इनपर निर्भर होना काफी खतरनाक हो सकता है। एक शोध के अनुसार पेन किलर के साइड इफेक्ट की एक लंबी सूची है। यह हर रोगी और उसके दर्द पर निर्भर करती है। इनमें अहम साइड इफेक्ट हैं कॉन्सटिपेशन या लूज मोशन्स‚ पेट में अल्सर या ब्लीडिंग‚ गैस्ट्रो–इन्टेस्टाइनिल समस्याएं‚ अनिद्रा व ध्यान न लगना जैसी मानसिक समस्याएं‚ त्वचा पर चकत्ते और खुजली या जलन‚ श्वास संबंधी दिक्कतें आदि। इसलिए केवल दवा कंपनी के प्रचार‚ दवा बेचने वाले दुकानदार और मिलने वालों की आम चर्चा से नहीं बल्कि सही डाक्टरी सलाह के बाद ही सही पेन किलर लें। शोध यह भी बताते हैं कि पेन किलर लेने पर शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है। इसलिए जब भी पेन किलर लेने की सलाह मिले तो पानी पीते रहें। अच्छी मात्रा में पानी पीने से पेन किलर के विषालु पदार्थ या टॉक्सिन का असर कम हो जाता है। जिस कारण इनके साइड इफेक्ट की आशंका भी कम हो जाती है।
आम भाषा में मरीज के उपचार करने वाले ‘दवा–दारू’ जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं‚ परंतु पेन किलर के संबंध में दवा और दारू एक दूसरे के दुश्मन हैं। पेन किलर दवा और शराब‚ दोनों ही एसिडिटी बढ़ाते हैं। आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारे शरीर पर इन दोनों का प्रभाव कितना बुरा हो सकता है। आज के इंटरनेट के युग में आप पेन किलर लेने से पहले इनके दुष्प्रभावों के बारे में अवश्य पढ़ें। दवा कंपनी के प्रचार का शिकार बने बिना आप जेनेरिक दवा या होमियोपैथिक दावा का सेवन भी कर सकते हैं। किसी भी तरह के दर्द से राहत के लिए एलोपैथिक दवाओं के मुकाबले होमियोपैथिक दवाओं का असर बहुत अच्छा होता है और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। यहां तक कि सर्जिकल ऑपरेशन के बाद भी ये दवाएं दर्द से राहत देती हैं। ये वैकल्पिक दवाएं आपकी जेब पर भी भारी नहीं पड़तीं। मगर इन विकल्पों का उपयोग भी होमियोपैथिक डाक्टर की सलाह पर ही करें। जहां तक हो सके एलोपैथिक दवाओं के आदि न बनें और इनके दुष्प्रभाव से बचें।