करीब २० साल पुरानी है। दिसंबर २००२ में गुजरात विधानसभा चुनाव हो रहे थे। उससे कुछ माह पहले ही गोधरा कांड‚ और उसके बाद गुजरात के दंगे गुजर चुके थे। विरोधी दलों के पास भाजपा पर प्रहार करने के लिए भरपूर मौका और मसाला दोनों था। वे उसका इस्तेमाल भी कर रहे थे।
उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे नरेन्द्र मोदी को कठघरे में खड़ा करने का कोई मौका विपक्षी दल‚ खासतौर से कांग्रेस नहीं छोड़ रही थी। तब मोदी ने सिर्फ दो शब्दों का सहारा लिया। ये दो शब्द थे ‘जीतेगा गुजरात’। और उनके इन दो शब्दों ने ऐसा कमाल दिखाया कि २५ दिसम्बर को आए नतीजों में भाजपा को लगभग ५० प्रतिशत वोट के साथ राज्य की १८२ में से १२७ सीटें प्राप्त हुइ‚ लेकिन कांग्रेस ने अपनी गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा। नतीजतन वह जड़़ हो गई। पांच साल बाद २००७ में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की स्टार प्रचारक सोनिया गांधी ने राजकोट के निकट जसदन की अपनी सभा में नरेन्द्र मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहकर फिर मुसीबत मोल ले ली। हालांकि मोदी के खिलाफ कोई लहर वैसे भी नहीं थी‚ लेकिन भाजपा में कुछ अंदरूनी कलह जरूर शुरू हो चुकी थी। जो प्रवीण तोगडि़या २००२ में मोदी के लिए जी–जान से काम कर रहे थे‚ वह इस बार न सिर्फ शांत बैठे थे‚ बल्कि अंदर–ही–अंदर मोदी की जड़ें काटने में लगे थे। इसके बावजूद नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ११७ सीटें जीतकर सरकार बनाने में कामयाब रही। आगे भी न कांग्रेस के बिगड़े बोल रुके‚ न भाजपा की जीत का सिलसिला।
नरेन्द्र मोदी का राज्य की राजनीति छोड़कर केंद्र की राजनीति में आना भी कांग्रेस रास नहीं आया। उसके नेता मोदी पर तरह–तरह के बयान दे रहे थे। इन्हीं में से एक थे कांग्रेस के बड़बोले नेता मणिशंकर अय्यर। चूंकि उन दिनों मोदी अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि का जिक्र कभी–कभार अपने भाषणों में किया करते थे। इसी कड़ी में उन्होंने खुद को एक चाय वाले का बेटा भी बताया था। उनकी इसी बात को आधार बनाते हुए मणिशंकर अय्यर ने कह डाला कि ये कभी देश का प्रधानमंत्री नहीं बनेगा। इसे ‘चाय की दुकान’ ही खोलनी पड़ेगी। अय्यर का यही बयान कांग्रेस पर भारी पड़ गया।
मोदी ने कहना शुरू कर दिया कि ये गरीबों से नफरत करने वाले लोग हैं। कांग्रेस को लगता है कि एक गरीब चायवाला देश का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता हैॽ मोदी की अपनी संवाद शैली है। वह अपनी बात देश के गरीबों तक पहुंचाने में कामयाब रहे‚ और अय्यर का जुमला पूरी कांग्रेस पर भारी पड़ गया। भाजपा अप्रत्याशित रूप से २८२ सीटें जीने में कामयाब रही‚ और कांग्रेस ४४ सीटों पर सिमट गई‚ लेकिन कांग्रेस ने तो जैसे सबक न सीखने की कसम खा रखी है। २०१७ के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी मुसीबत मणिशंकर अय्यर ही बने। इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए ‘नीच’ शब्द का प्रयोग कर डाला। जो कांग्रेस का पिछडे वर्ग के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाता है ।
यह बात दलित–पिछड़े वर्ग के दिलों को छूने लगी और पिछले कई चुनावों की तुलना में अपेक्षाकृत अच्छी स्थिति में दिख रही कांग्रेस एक बार फिर मात खा गई। उसे ७७ सीटों पर सिमट जाना पड़ा। भाजपा लंबे समय बाद १०० से नीचे पहुंचकर भी सत्ता पाने में कामयाब रही। यही नहीं‚ बाद में तो कांग्रेस के कई विधायक टूटकर भाजपा में जा मिले‚ जिसका परिणाम है कि अभी भाजपा फिर से अपनी लगभग पुरानी स्थिति में पहुंच चुकी है। फिर २०१९ के लोक सभा चुनाव से पहले जब मोदी खुद को देश का चौकीदार बता रहे थे‚ तो राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ कहकर ‘आ बैल मुझे मार’ की कहावत चरितार्थ कर दी। इसके बाद तो इंटरनेट मीडिया पर ‘मैं भी चौकीदार’ स्लोगन की धूम मच गई। हर व्यक्ति खुद को चौकीदार बताने लगा‚ और लोक सभा चुनाव में भाजपा पहले से भी २० सीटें ज्यादा जीतने में सफल रही‚ लेकिन लगता है इस बार बदजुबानी का मोर्चा अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने संभाल रखा है।
हाल ही में ‘आप’ के गुजरात प्रभारी गोपाल इटालिया ने न सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी को‚ बल्कि उनकी मां हीराबेन को भी अपशब्द कह डाले। उन्होंने मोदी को नीच‚ तो उनकी मां को नौटंकीबाज कह डाला। अब उनका यह बयान उन्हीं की पार्टी के लिए मुसीबत बनता दिखाई दे रहा है। गुजरात का हर व्यक्ति नरेन्द्र मोदी के परिवार की असलियत भली प्रकार समझता है। उसे पता है कि मोदी राजनीतिक शुचिता बरकरार रखने के लिए ही अपने परिवार को खुद से दूर रखते हैं। इसके लिए उन्हें किसी के प्रमाण की आवश्यकता नहीं है।
कांग्रेस के एक नेता ने जिस प्रकार नरेन्द्र मोदी और उनकी मां का कार्टून पोस्ट किया‚ उससे भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले शर्मसार हुए‚ लेकिन गोपाल इटालिया‚ मणिशंकर अय्यर एवं राहुल गांधी जैसे नेताओं के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध दिए गए बयान ये तो दर्शाते ही हैं कि वे मोदी का सैद्धांतिक और राजनीतिक ही नहीं‚ व्यक्तिगत विरोध भी कर रहे हैं। मोदी के विरुद्ध बार–बार ‘नीच’ शब्द का संबोधन बाहर आना यह भी दर्शाता है कि देश में आज भी एक कुलीन वर्ग है‚ जिसे पिछड़ों का आगे आना रास नहीं आ रहा है‚ लेकिन वे इस बात को भूल रहे हैं कि गेंद को जितना दबाया जाता है‚ वह उतनी ही तेजी से उछलकर ऊपर जाती है। यही मोदी के साथ भी हो रहा है‚ और होता रहेगा। इस कुलीन वर्ग का विरोध नरेन्द्र मोदी को और आगे ही ले जाएगा।