अब ये विरोधियों की कठहुज्जती नहीं तो क्या हैॽ वर्ना भारत जोड़ने का टेंडर सिर्फ मोदी जी का विरोध करने वालों के नाम थोड़े ही निकला है। फिर भी राहुल बाबा चालीस हजारी टीशर्ट पहनकर‚ पैदल–पैदल भारत जोड़ने निकलें तो‚ वाह–वाह! और मोदी जी की पार्टी टेंट से पच्चीस–पच्चीस खोका लगाकर‚ गोवा‚ मणिपुर वगैरह में दूसरी पार्टियों के विधायक अपने साथ जोड़े तो‚ हाय–हाय! तुम्हारा बिहार में एनडीए से नाता तोड़ना भी विपक्ष को जोड़ना और फडनवीस का डिप्टी सीएम की कुर्सी से नाता जोड़ना भी शिव सेना को तोड़ना! भाई‚ कुछ तो इंसाफ होना चाहिए!
नहीं‚ हम यह नहीं कह रहे हैं कि राहुल का भारत जोड़ो‚ भारत जोड़ो नहीं है। जोड़ो–जोड़ो कर रहे हैं तो‚ जोड़ो ही होगा। अब यह दूसरी बात है कि उनके जोड़ने से क्या टूटा हुआ भारत जुड़ जाएगा! वैसे ये जोड़ो–जोड़ो का शोर मचाने वाले‚ आखिर भारत के बारे में कहना क्या चाहते हैंॽ क्या वे इरादतन भारत को टूटा हुआ नहीं बता रहे हैंॽ ये चाहे हमारी भारत माता के लिए टूटने की गाली हो या श्राप‚ काम एंटीनेशनलों वाला है। जिस भारत को हमारे सरदार पटेल जी ने इतनी मेहनत से जोड़ा था‚ उसके टूटने की बातें की जा रही हैं और वह भी आजादी के अमृत वर्ष में! वर्ना जो पहले ही जुड़ा हुआ हो‚ उसे जोड़ने की यात्रा तो कोई पप्पू भी नहीं निकालेगा। भारत को खुलकर टूटा हुआ कहने की हिम्मत तो है नहीं‚ सो जोड़ने की बात कहकर‚ इशारों में भारत को टूटा हुआ बताया जा रहा है।
साजिश यह है कि टूटा–टूटा कहकर‚ देश को उसके टूटा होने का यकीन दिला दो; टूट तो फिर खुद ही जाएगा। यह जोड़ो के नाम पर तोड़ो नहीं तो और क्या है! खैर! अगर बिना तोड़े जोड़ो को जोड़ो माना जा सकता है‚ तो दूसरी पार्टियों से तोड़कर‚ अपने साथ जोड़ने को‚ भारत जोड़ो क्यों नहीं माना जाना चाहिएॽ और हां! भारत जोड़ो इसलिए कि यह इस या उस जगह का मामला नहीं है। वे भारत भर में तोड़–तोड़कर‚ जोड़ रहे हैं। नड्ड़ा जी ने तो कह भी दिया है कि उनका भारत जोड़ो उस दिन पूरा होगा‚ जब तोड़ने के लिए कोई विपक्ष नहीं बचेगा। जोड़ने के लिए तोड़ने को जोड़ना कहना हम कब सीखेंगे!