मंगलवार को राज्य में महागठबंधन सरकार का आकार सामने आ गया। मंत्रिमंड़ल विस्तार के साथ ही महागठबंधन की सरकार जात‚ जमात और सभी समीकरणों को एक साथ साधने की कोशिश करती दिखी। सभी जाति और जमात के लोगों को इस सरकार में प्रतिनिधित्व देने की भरपूर कोशिश की गई है। हालांकि राजद का एमवाई समीकरण इस मंत्रिमंड़ल पर हावी दिखा। सबसे ज्यादा यादव बिरादरी को इस मंत्रिमंड़ल में जगह मिली है।
दलित समुदाय को भी अच्छी तवज्जो दी गयी है। वहीं अल्पसंख्यकों पर सभी दलों ने भरोसा जताया है और इन जमात को भी मंत्रिमंड़ल में अच्छा खासा प्रतिनिधितत्व दिया गया है। सवर्ण जमात के लोगों मसलन राजपूत‚ भूमिहार‚ ब्राह्मण को भी महागठबंधन की सरकार में जगह दी गई है। जबकि कायस्थ विरादरी की अनदेखी की गई है। महागठबंधन की सरकार को जातीय गणित की नजर से देखा जाए तो सबसे ज्यादा 8 यादवों को मंत्रिमंड़ल में जगह मिली है। जिसमें राजद ने ७ और जदयू ने एक यादव को मंत्री बनाया है। दलित समुदाय को इस मंत्रिमंडल में अच्छी खासी हिस्सेदारी दी गई है। इस समुदाय से 6 लोगों को मंत्रीपद से नवाजा गया है। इसमें राजद के 2‚ जदयू के 2‚ जबकि हम और कांग्रेस के एक–एक दलित मंत्री बने हैं। पिछडा और अति पिछडा समुदाय को भी मंत्रिमंडल में बडी जिम्मेदारी दी गई है। इस समाज को भी इस महागठबंधन सरकार में 6 मंत्रालय मिले हैं। इसमें कुशवाहा समुदाय के 3 और अति पिछडा से 3 मंत्री बने हैं। सभी दलों ने मुस्लिम समुदाय पर नजरे इनायत की हैं। कुल 5 मुस्लिम मंत्री बनाए गए हैं। वहीं सवर्ण जमात से भी 6 लोगों को मंत्रिमंड़ल में शामिल किया गया है। जिसमें सबसे ज्यादा राजपूत बिरादरी के 3 मंत्री बने हैं जिसमें राजद और जदयू से एक–एक जबकि निर्दलीय से 1 राजपूत को मंत्री बनाया गया है। भूमिहार जाति से 2 मंत्री बने हैं जिसमें राजद और जदयू कोटे से 1–1 शामिल हैं। वहीं ब्राह्मण समुदाय से सिर्फ 1 मंत्री बने हैं जो जदयू से हैं। वहीं कायस्थ विरादरी की इस मंत्रिमंड़ल में अनदेखी की गई है। कुर्मी विरादरी को मंत्रिमंड़ल में दो जगह मिली है जिसमें खुद नीतीश कुमार के अलावा उनकी जाति से एक को मंत्री बनाया गया है।