बिहार में NDA का गठबंधन टूट गया। नीतीश कुमार NDA से अलग होकर महागठबंधन में शामिल हो गए। BJP और JDU ने मिलकर सरकार बना ली। अब सवाल उठता है कि 2020 से अब तक सरकार बेहतर तरीके से चल रही थी, तो अचानक क्या हो गया कि NDA का गठबंधन टूट गया? इसका कारण है दोनों पार्टियों के कुछ नेताओं का बड़बोलापन।
उनके बयानों और क्रिया-कलापों ने गठबंधन को इतना कमजोर कर दिया कि 9 अगस्त को NDA टूट गया और नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो गए। जानिए JDU और BJP के उन नेताओं को, जिनके बयानों से बात और बिगड़ गई…
ललन सिंह
JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को पार्टी की कमान जब से मिली, तब से वो NDA में कम्फर्टेबल नहीं थे। वो अक्सर अपने आपको दबा हुआ समझते थे। उनके अध्यक्ष बनने के बाद से ही BJP और JDU के बीच तल्खियां शुरू हो गई थीं।
उपेंद्र कुशवाहा
JDU संसदीय बोर्ड के चेयरमैन उपेंद्र कुशवाहा ने पहले दिन से ही BJP के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। BJP से नाता तोड़ कर ही उन्होंने पहले तो खुद को चुनाव में आजमाया, बाद में JDU में अपनी पार्टी का विलय कर JDU के नेता बन गए। उसके बाद ललन सिंह से मिलकर BJP की हर रणनीति पर अपना रिएक्शन देना शुरू कर दिया।
हालांकि उपेंद्र कुशवाहा के बयान से कभी-कभी JDU भी असमंजस में पड़ जाती थी, लेकिन नीतीश कुमार के विश्वासपात्र बने उपेंद्र ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ BJP के खिलाफ मोर्चा खोले रखा।
आरसीपी सिंह
गठबंधन टूटने का तात्कालिक कारण आरसीपी सिंह को माना जाता है। वे जब से केंद्र में मंत्री बने, वो BJP के लिए ईमानदार हो गए थे। इसका असर नीतीश कुमार से उनके रिश्तों पर पड़ा। ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा, नीतीश कुमार के करीब आते गए और आरसीपी दूर चले गए। पार्टी को कमजोर करने का आरोप JDU ने लगाया और शोकॉज नोटिस जारी कर दिया।
आरसीपी सिंह पर आरोप लगा कि वो JDU में चिराग मॉडल-दो चला रहे थे। BJP नेताओं के साथ मिलकर पार्टी को तोड़ने की साजिश कर रहे थे।
नित्यानंद राय
साल 2020 में बिहार में सरकार बनने के साथ ही नित्यानंद राय अपने आपको CM के तौर पर पेश करने लगे थे। नित्यानंद ने बिहार भाजपा में अपना गुट बनाया, जो लगातार नीतीश कुमार को सरकार से सड़क तक निशाने पर रखता था। यह सबकुछ खुलेआम होता था, जो नीतीश कुमार को सीधी चुनौती था।
विजय सिन्हा
विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं। विजय सिन्हा के कड़े निर्णयों के कारण सरकार और गठबंधन असमंजस में आ जाती थी। विधानसभा सत्र में बहस और फिर विधानसभा भवन के शताब्दी समारोह में फोटो नहीं लगना, नीतीश कुमार को खल गया था। सिन्हा ने सदन के अंदर अपने क्षेत्र में पुलिस अधिकारियों के तबादले का मामला उठाकर भी नीतीश कुमार के पास रहे गृह विभाग पर सवाल खड़े किए थे।
संजय जायसवाल
BJP के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पर बड़ी जिम्मेदारी थी, गठबंधन को संभालने की। लेकिन संजय ने गठबंधन तोड़ने में बड़ी जिम्मेवारी निभाई। खुलेआम विपक्ष के नेता के रूप में बर्ताव करते थे। कोई मुद्दा हो, वो नीतीश की आलोचना करने में सबसे आगे रहते थे।
अग्निपथ के खिलाफ जब आंदोलन हुआ, तो उन्होंने सरकार को प्रशासनिक तौर पर कमजोर बताया था। हर मसले पर संजय, नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा कर देते थे।