प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के मामले में यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. मलिक की सजा पर फैसला पहले 3.30 बजे आना था, फिर इसे 4 बजे तक टाल दिया गया. अब कभी भी इस पर फैसला आ सकता है. इस दौरान दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को पहले ही अदालत ने दोषी ठहराया था. एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने 19 मई को मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपों में दोषी ठहराया था.
एनआईए के आरोपों का यासीन ने नहीं किया बचाव
यासीन मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियों और कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप लगाया गया था. उसने इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था. सुनवाई की आखिरी तारीख को उसने अदालत को बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश), यूएपीए की धारा 20 (एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) समेत अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुकाबला नहीं करेगा.
सजा पर कुछ नहीं बोलूंगा: यासीन मलिक
कोर्ट रूम में मौजूद वकील फरहान के अनुसार यासीन मलिक ने अदालत में कहा कि वह सजा पर कुछ नही बोलेगा. अदालत दिल खोलकर उसको सजा दे. मलिक ने कहा, मेरी तरफ से सजा के लिए कोई बात नहीं होगी. वहीं, NIA ने यासीन मलिक को फांसी देने की मांग की. इसके बाद यासीन मलिक दस मिनट तक शांत रहा. यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा कि मुझे जब भी कहा गया मैंने समर्पण किया, बाकी कोर्ट को जो ठीक लगे वो उसके लिए तैयार है.