वैशाख शुक्ल पूर्णिमा में सोमवार को विशाखा नक्षत्र व वरीयान के साथ परिघ के संयुक्त योग में इस वर्ष का पहला चंद्रग्रहण लग रहा है। यह चंद्रग्रहण खग्रास होगा। इस महीने का यह दूसरा ग्रहण होगा। प्रातः ०७.०२ बजे से दोपहर १२.२० बजे तक अवधिः ०५ घंटे १८ मिनट । इसी मास में अमावस्या को सूर्यग्रहण लगा था और अब पूर्णिमा को लग रहा है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को अशुभ माना गया है। यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा तथा इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सूर्यग्रहण में गंगा स्नान से सौ अश्वमेघ यज्ञ व चंद्रग्रहण में गंगा स्नान से एक हजार वाजस्नेय यज्ञ के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है। इसीलिए ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान व घरों में इसका छिडकाव करना चाहिए।
श्रीहरि विष्णु के अतिप्रिय मास वैशाख की स्नान–दान की पूर्णिमा कल सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी। वैशाख पूर्णिमा को ही भगवान नारायण ने कूर्म अवतार व बुद्धावतार लिया था। इसीलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वैशाख पूर्णिमा को श्रद्धालु गंगा‚ कमला‚ गंडक‚ कौशिकी‚ बागमती में स्नान करेंगे। इस दिन स्नान–दान‚ श्रीहरि विष्णु की पूजा–अर्चना‚ लIमी नारायण भगवान को खीर का भोग‚ इत्र अर्पण‚ घी के दीपक से आरती‚ शांति पाठ व चंद्र दोष से मुक्ति के लिए जाप‚ हवन‚ दान करना उत्तम रहेगा। इस दिन स्नान‚ पूजा–पाठ के बाद जल युक्त घडा‚ तिल‚ घृत‚ स्वर्ण आदि का दान करना अतिपुण्यकारी होगा।
ग्रहण काल में दान–धर्म कृत्य से सौभाग्य में वृद्धि
खग्रास चंद्रग्रहण के दौरान वैदिक मंत्रों और गायत्री मंत्र का जाप‚ हनुमान चालीसा व हनुमान जी के मंत्रोच्चारण‚ सफेद फूल व चंदन से चंद्रमा के साथ भगवान शिव की आराधना‚ दुर्गा सप्तशती का पाठ व गुरु को स्मरण और ग्रहण समाप्ति के बाद गंगाजल में ईत्र मिलाकर पूरे घर में छिडÃकाव करने से धनलक्ष्मी व सौभाग्य में वृद्धि होती है। ग्रहण के दौरान या बाद में गुरु‚ ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान करने से समृद्धि और धन की देवी माता लIमी की विशेष कृपा होती है। चंद्रग्रहण के बाद स्नान के बाद दान करने से विशेष लाभ मिलता है। दान में गेहूं‚ धान‚ चना‚ मसूर दाल‚ गुडÂ अरवा चावल‚ सफेद–गुलाबी वस्त्र‚ चूडा‚ चीनी‚ चांदी–स्टील की कटोरी में खीर दान करना उत्तम होता है।
यहां दिखेगा वर्ष का पहला चंद्रग्रहण
इस वर्ष का पहला खग्रास चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। इस ग्रहण को यूरोप‚ दक्षिण–पश्चिम एशिया‚ अफ्रीका‚ उत्तरी अमेरिका‚ पैसिफिक‚ अटलांटिक‚ अंटार्कटिका और हिन्द महासागर में देखा जायेगा। ग्रहण जहां दिखाई पडता है‚ उसका फलाफल भी वहीं लगता है।
पाटलिपुत्र की पावन धरती पर सोमवार को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित बुद्ध पूर्णिमा का कार्यक्रम न सिर्फ ऐतिहासिक बल्कि भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा। पहली बार पाटलिपुत्र की पावन धरती पर धम्म यात्रा‚ भगवान बुद्ध के जीवन पर आधारित झांकियां‚ बुद्ध देशना एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। इस कार्यक्रम के लिए बिहार के समस्त बौद्ध संगठनों ने बृहद तैयारी की है।
इस कार्यक्रम में जहां देश के विभिन्न प्रांतों से भिख्खू–भिख्खुणी भाग ले रहे हैं वहीं देश के दर्जनों चुनिंदा बौद्ध दर्शन के विद्वान वक्ता भी बुद्ध संदेश के माध्यम से बिहार सहित सम्पूर्ण देशवासियों को बौद्धमय समाज बनाने के लिए अपने विचारों से प्रभावित करेंगे। बिहार की धरती बोधगया से ही भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद शांति का संदेश पुरी दुनिया को दिया था। आज जिस तरह से दुनिया में अशांति का माहौल है‚ उसमे सद्भाव‚ प्रेम और भाईचारे को बरकरार रखने की कोशिश समस्त देश वासियों को करना चाहिए। आज के समय में बहुत जरूरी है कि भगवान बुद्ध के संदेश को जन–जन तक पहुंचाया जाए।
भारत में नहीं दिखेगा चंद्रग्रहण‚ सूतक भी मान्य नहीं होगा