बीपीएससी पीटी का पेपर लीक होने के मामले में ईओयू द्वारा की जा रही जांच में परत दर परत खुलासे हो रहे हैं। जैसे–जैसे जांच आगे बढ़ रही है‚ वैसे–वैसे पेपर लीक कांड़ का सच लोगों के सामने आ रहा है। जांच के दौरान एक नई बात सामने आई है। ८ मई को परीक्षा शुरू होने से ठीक १७ मिनट पहले ही लीक हुआ सी सेट का प्रश्न–पत्र बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक के व्हाट्सएप पर पहुंच गया था। जिस व्यक्ति ने उनके नंबर पर प्रश्न–पत्र भेजा था‚ वह कोई मामूली आदमी नहीं हैं‚ बल्कि एक आईएएस अधिकारी हैं। जैसे ही ईओयू ने पेपर लीक कांड़ की जांच की जिम्मेदारी संभाली‚ तभी से उसने सभी सोशल साइट्स को खंगालना शुरू कर दिया था। जांच एजेंसी ने कई लोगों से पूछताछ भी की। इसी बीच‚ एक सुराग हाथ लगा‚ जिसके आधार पर ईओयू के ड़ीएसपी भास्कर रंजन‚ जो इस केस के अनुसंधानकर्ता हैं‚ उनके बयान पर ९ मई को पटना स्थित ईओयू थाने में केस दर्ज किया गया था।
११:४३ मिनट पर बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक के व्हाट्सएप पर आ गया था लीक हुआ पेपर, ८ मई को बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक के मोबाइल नंबर ९४७२२७६२८१ पर ११:४३ बजे लीक हुए सी–सेट के पेपर का फोटो आ चुका था। इनके मोबाइल पर यह पेपर ९४७२३४३००१ नंबर से भेजा गया था। जांच में यह मोबाइल नंबर एक आईएएस अधिकारी का होेने की बात सामने आयी है। सूत्रों की मानें‚ तो ईओयू ने उस अधिकारी की पहचान कर उनसे बातचीत भी की है। इस सिलसिले में जांच एजेंसी ने कई जगहों पर छापेमारी भी की है‚ जहां से कई सबूत उसके हाथ लगे हैं। टीम और पुख्ता सबूत जुटाने में लगी है। इसके लिए वह कई और लोगों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की कार्रवाई में लगी है।
बिहार लोकसेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने से पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में आ गया है. मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की टीम ने इस मामले में 3 और संदिग्धों को हिरासत में लिया है. इनमें से एक पटना और बाकी के 2 संदिग्ध अन्य जिलों के निवासी बताए गए हैं. जांच एजेंसी ने इनके मोबाइल फोन और लैपटॉप को खंगाला है. जांच में जुटे अधिकारियों ने आने वाले 2 से 3 दिनों में बड़ा खुलासा होने का भी दावा किया है. बता दें कि पर्चा लीक होने के बाद आयोग ने परीक्षा को रद्द करने की घोषणा कर दी है. अब इस एग्जाम के 15 जून के बाद होने की संभावना है.
आर्थिक अपराध इकाई ने बीपीएससी पेपर लीक कांड की जांच तेज कर दी है. बीपीएससी की 8 मई को संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा का वायरल प्रश्नपत्र बीपीएससी कार्यालय को परीक्षा शुरू होने के करीब 17 मिनट पहले मिला चुका था. दोपहर करीब 12 बजे परीक्षा शुरू होने के ठीक 3 मिनट बाद इसकी पुष्टि हो गई थी कि वायरल प्रश्नपत्र सही है. ईओयू की जांच में बीपीएससी के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. सूत्रों की मानें तो बीपीएससी के अधिकारियों ने पूछताछ में बताया कि जब उनके मोबाइल पर वायरल प्रश्नपत्र आया तो उन्होंने इसकी जानकारी वरीय अधिकारियों को दी. उस समय तक परीक्षा शुरू नहीं हुई थी. आनन-फानन में बीपीएससी के एक वरीय अधिकारी को गर्दनीबाग स्थित परीक्षा केंद्र भेजा गया था. इस बीच परीक्षा शुरू हो गई थी. 12 बजकर 3 मिनट पर अधिकारी ने जब वायरल प्रश्नपत्र के सेट सी का मिलान असली प्रश्नपत्र से किया तो वह समान दिखा. यह जानते ही खलबली मच गई.
एग्जाम कंट्रोलर से पूछताछ
बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक के मोबाइल नंबर पर वायरल प्रश्नपत्र भेजे जाने के मामले में उनसे भी ईओयू अधिकारियों ने जानकारी हासिल की है. वायरल प्रश्नपत्र सबसे पहली बार कब मिला, मिलने के बाद क्या प्रतिक्रिया हुई और क्या कदम उठाए गए आदि सवाल पूछे गए. इस मामले में आगे भी जांच में उनका सहयोग लिया जाएगा. इसके अलावा बीपीएससी के कुछ अन्य कर्मियों से भी ईओयू की टीम पूछताछ कर सकती है.
बढ़ गया है जांच का दायरा
सूत्रों की मानें तो इस मामले में जांच का दायरा काफी बड़ा हो चुका है. कई जगहों से EOU की टीम सबूत जुटाने में लगी है. अभी भी कई लोगों से पूछताछ की जा रही है. एक-दो दिनों में इस मामले में कुछ और बड़ी कार्रवाई होने की संभावना है. दूसरी तरफ गिरफ्तार किए गए भोजपुर जिले में बड़हरा के BDO जयवर्धन गुप्ता, कुंवर सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. योगेंद्र प्रसाद सिंह, प्रोफेसर सुशील कुमार सिंह और अगम कुमार सहाय को बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया और फिर वहां से जेल भेज दिया गया.