मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का एक दिन पहले मुंबई में कार्डियक अरेस्ट के चलते 84 साल की उम्र में निधन हो गया है। आज (बुधवार) उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनकी पार्थिव देह मुंबई स्थित निवास पर रखी गई है। शिवकुमार शर्मा के अंतिम दर्शन के लिए सेलेब्स उनके घर पहुंच रहे हैं। अमिताभ बच्चन, जया बच्चन समेत कई सेलेब्स ने घर पहुंचकर पंडित शिवकुमार शर्मा को श्रद्धांजलि दी।
साढ़े छह दशक तक संगीत-मंचों पर किसी पहाड़ी झरने की तरह कल-कल बहने वाला संतूर बुधवार की सुबह हमेशा के लिए खामोश हो गया। इस कश्मीर लोक वाद्य को विश्व भर में पहचान दिलाने वाले संतूर वादक और संगीतकार पंडित शिव कुमार शर्मा का मंगलवार की सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे।
उनके सचिव दिनेश ने बताया कि मुंबई के पाली हिल स्थित आवास पर सुबह आठ से साढ़े आठ बजे के बीच शर्मा ने अंतिम सांस ली। अगले सप्ताह उन्हें भोपाल में एक कार्यक्रम प्रस्तुत करना था। वे गुर्दे की समस्याओं से भी पीड़ित थे। पद्म विभूषण से सम्मानित शर्मा का जन्म 1938 में जम्मू में हुआ था। माना जाता है कि वे पहले संगीतकार थे जिन्होंने संतूर को भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रतिष्ठित किया।
5 साल की उम्र से संगीत की शिक्षा
पं. शिवकुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में हुआ था। उनके पिता पं. उमादत्त शर्मा भी जाने-माने गायक थे, संगीत उनके खून में ही था। पांच साल की उम्र में पं. शर्मा की संगीत शिक्षा शुरू हो गई। पिता ने उन्हें सुर साधना और तबला दोनों की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी। 13 साल की उम्र में उन्होंने संतूर सीखना शुरू किया। संतूर जम्मू-कश्मीर का लोक वाद्ययंत्र था, जिसे इंटरनेशनल फेम दिलाने का श्रेय पं. शिवकुमार को ही जाता है।
1955 में 17 साल की उम्र में पहला शो
1955 में महज 17 साल की उम्र में पं. शिवकुमार शर्मा ने मुंबई में संतूर वादन का अपना पहला शो किया। इसके बाद उन्होंने संतूर के तारों से दुनिया को संगीत की एक नई आवाज से वाकिफ कराया। क्लासिकल संगीत में उनका साथ देने आए बांसुरी वादक पं. हरिप्रसाद चौरसिया। दोनों ने 1967 से साथ में काम करना शुरू किया और शिव-हरि के नाम से जोड़ी बनाई।
शिव-हरि की जोड़ी का सफरनामा
संतूरवादक पं. शिवकुमार शर्मा और बांसुरीवादक पं. हरिप्रसाद चौरसिया अपनी जुगलबंदी के लिए प्रसिद्ध थे। 1967 में पहली बार दोनों ने शिव-हरि के नाम से एक क्लासिकल एलबम तैयार किया। एलबम का नाम था ‘कॉल ऑफ द वैली।’
इसके बाद उन्होंने कई म्यूजिक एलबम साथ किए। शिव-हरि की जोड़ी को फिल्मों में पहला ब्रेक यश चोपड़ा ने दिया। 1981 में आई फिल्म सिलसिला में शिव-हरि की जोड़ी ने संगीत दिया था। यश चोपड़ा की चार फिल्मों सहित दोनों ने कुल आठ फिल्मों में संगीत दिया।
बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया के साथ शर्मा की जोड़ी को ‘शिव-हरि’ का नाम दिया गया था। इस जोड़ी ने ‘सिलसिला’, ‘लम्हे’ और ‘चांदनी’ जैसी कई फिल्मों में संगीत दिया, जिसे लोगों ने बेहद पसंद किया। शिवकुमार के बेटे राहुल शर्मा भी एक संतूर वादक हैं। प्रख्यात सरोद वादक अमजद अली खान ने ट्वीट कर शर्मा के निधन को एक युग का अंत कहा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शर्मा के संतूर के खामोश होने पर दुख जताया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन को सांस्कृतिक जगत की क्षति कहा, तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे उन्हें संगीत जगत का गौरव बताया। शर्मा के एक पारिवारिक सूत्र ने बताया, ‘उनका नियमित डायलिसिस होता था, फिर भी वह नियमित कामकाज करते रहते थे।’ उनके परिवार में पत्नी मनोरमा और बेटे राहुल तथा रोहित हैं। राहुल ने कहा कि उनके पिता और ‘गुरुजी’ शांतिपूर्वक इस दुनिया से चले गए।
उन्होंने पूरे विश्व को अपने संगीत से शांति प्रदान की और उसे संगीतमय किया। उन्होंने संतूर के लिए जो किया वह दुनियाभर में जाना जाता है। हमने 15 दिन पहले एक साथ कंसर्ट किया था। दिवंगत शास्त्रीय गायक पंडित जसराज की बेटी दुर्गा जसराज ने कहा ‘मैंने अपना दूसरा पिता खो दिया। वह सुबह बाथरूम में अचेत हो गए। उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह बच नहीं पाए। वह क्षणभर में ही चल बसे। एक तरह से वह शांतिपूर्वक चले गए।’ शिवकुमार शर्मा को 1986 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1991 में पद्मश्री तथा 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।